जयपुर. देवी भगवती की उपासना के पर्व चैत्र नवरात्रि का आज रविवार को (9th day of Chaitra Navratra) नवां दिन है. नवें नवरात्रि को मां भगवती के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा और उपासना की जाती है. देवी सिद्धिदात्री की उपासना से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देवी के इस स्वरूप को केतु ग्रह से जोड़ा जाता है और केतु जीवन में अलगाववाद का कारक माना जाता है.
ज्योतिर्विद श्रीराम गुर्जर बताते हैं कि देवी भगवती के सिद्धिदात्री स्वरूप को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से केतु ग्रह से जोड़ा जाता है और केतु को जीवन में अलगाववाद का कारक माना जाता है. ऐसे में कुंडली में जातक जिस घर में बैठते हैं. उस घर से संबंधित जो भी विषय हैं उनसे केतु जातक को अलगाव पैदा कर देते हैं. इसलिए देवी सिद्धिदात्री की पूजा-उपासना से केतु की नकारात्मकता दूर होकर जीवन में नया उल्लास भरता है.
ऐसे करें देवी सिद्धिदात्री की उपासना: सूर्योदय से पूर्व उठने के बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर (Devi Siddhidatri is worshipped on 9th day of Chaitra Navratra) मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने देवी सिद्धिदात्री का ध्यान करें और शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें. चंदन, कुमकुम के साथ देवी को पुष्प अर्पित करें. देवी सिद्धिदात्री को घर में जितने भी अनाज हैं उनका भोग अर्पित कर उनके बीज मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए.
यह है मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः
इस महा उपाय से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं: जिन जातकों को केतु ग्रह की नकारात्मकता के कारण जीवन में परेशानी उठानी पड़ती है. किसी भी काम को पूरे मनोयोग से नहीं कर पाते हैं उन्हें आज नवरात्रि के नवें दिन घर के आसपास के श्वान को कुछ न कुछ खाने को देना चाहिए. ऐसा करने से केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव दूर होंगे और जीवन में नई उमंग व उत्साह का संचार होगा.