जयपुर. उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बताया कि ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत संपादित विकास कार्यों के क्रियान्वयन के लिए ग्राम पंचायतों में लागू ई-पंचायत सॉफ्टवेयर से कोरोना महामारी के कारण किए गए लॉकडाउन के दौरान विकास कार्यों को गति मिली है. प्रदेश की ग्राम पंचायतों में ई-पंचायत सॉफ्टवेयर लागू किया गया है.
पायलट ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से राज्य स्तर से ग्राम पंचायतों को राशि हस्तांतरण, वार्षिक योजना, प्रशासनिक, तकनीकी एवं वित्तीय स्वीकृतियां, वेंडर्स को भुगतान और व्यय राशि के उपयोगिता एवं पूर्णता प्रमाण पत्र (यूसी/सीसी) और बैंक मिलान कार्य ऑनलाइन जारी किया जा रहा है. विलेज मास्टर प्लान से संबंधित विभिन्न सूचनाओं की ऑनलाइन एन्ट्री, मॉनिटरिंग एवं रिपोर्टिंग भी ई-पंचायत सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जा रही है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण पंचायतों से पंचायत समिति तक आवाजाही बंद रहने के बावजूद ई-पंचायत सॉफ्टवेयर के कारण विकास कार्यों की गति निर्बाध रूप से जारी रही.
डिप्टी सीएम पायलट ने बताया कि ई-पंचायत सॉफ्टवेयर के माध्यम से अब तक 4.70 लाख कार्य पंजीकृत किए जाकर 12.44 लाख प्रशासनिक, तकनीकी एवं वित्तीय स्वीकृतियां जारी की जा चुकी है. ई-पंचायत सॉफ्टवेयर के माध्यम से ग्राम पंचायतों की ओर से लगभग 2626 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत शौचालय निर्माण करने वाले लाभार्थियों को लगभग 3,017 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जा चुका है.
ग्राम पंचायत स्तर पर आयोजित होने वाले विभिन्न शिविरों जैसे महात्मा गांधी ग्रामोत्थान शिविर की मॉनिटरिंग एवं रिपोर्टिंग भी ई-पंचायत सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जा चुकी है. पायलट ने बताया कि पंचायती राज संस्थाओं की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने और पंचायती राज संस्थाओं की ओर से कराए जा रहे विकास कार्यों की सम्पूर्ण जानकारी आमजन को सहजता से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ई-पंचायत सॉफ्टवेयर लागू किया गया है.
पायलट ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर को लागू करने से विकास कार्यों के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आई है और कार्यों की प्रभावी मॉनिटरिंग हो रही है. साथ ही इससे विकास कार्यों के संबंध में होने वाली वित्तीय अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा.