जयपुर. कोरोना मरीज जब ठीक हो जाता है, तो उसमें एंटीबॉडी बनते हैं. यही एंटीबॉडी दूसरे कोरोना संक्रमित के काम आते हैं, जो वायरस को नष्ट कर सकते हैं. यही वजह है कि सरकार कोरोना से ठीक हुए मरीज से प्लाज्मा डोनेशन की अपील भी कर रही है, लेकिन कुछ भ्रांतियों के कारण लोग प्लाज्मा डोनेट करने से बच रहे हैं. हालांकि जयपुर नगर निगम हवामहल पश्चिम के उपायुक्त सुरेंद्र यादव ने कोराना को हराने के बाद प्लाज्मा डोनेट कर एक मिसाल कायम की है.
पूरा देश इन दिनों कोरोना वायरस की चपेट में है. राजस्थान में तो हर दिन 2000 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव सामने आ रहे हैं. वहीं अकेले राजधानी में आंकड़ा 300 के पार होता है. हालांकि राजस्थान में रिकवरी रेट भी दूसरे राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है. बावजूद इसके यहां कोरोना से लड़कर जीतने वाले प्लाज्मा डोनेट करने में पिछड़े हुए हैं.
जयपुर नगर निगम हवा महल पश्चिम के उपायुक्त सुरेंद्र यादव ने कोरोना से ठीक होने के 1 महीने के अंदर ही प्लाज्मा डोनेट कर मिसाल कायम की. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि लोगों में प्लाज्मा डोनेट करने को लेकर कुछ भ्रांतियां हैं, लेकिन प्लाज़्मा डोनेट करने से किसी तरह की ना तो कमजोरी आती है, और ना ही शरीर पर कोई और प्रभाव पड़ता है.
उन्होंने बताया कि पहले सरकार के निर्देश पर सभी निगम के अधिकारी-कर्मचारी बतौर कोरोना वॉरियर्स शहर में सफाई और सैनिटाइजेशन का काम करते रहे, जिसकी वजह से कई कर्मचारी और अधिकारी कोरोना की चपेट में भी आए. उन्होंने अपील की कि जो व्यक्ति कोरोना से ठीक हुए हैं, वो अपना प्लाज्मा डोनेट कर 2 लोगों की जान बचा सकते हैं.
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उन्होंने बताया कि कोरोना से बचाव मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग रखकर ही किया जा सकता है. ऐसे में राज्य सरकार के आज से शुरू हो रहे नो मास्क नो एंट्री, 2 गज की दूरी जन आंदोलन के साथ जुड़कर इस कोरोना से लड़ा जा सकता है. इसके तहत आज सभी मंत्री शहर के विभिन्न बाजारों में व्यापारियों और ग्राहकों को मास्क वितरित कर जन आंदोलन की शुरुआत भी करेंगे.
उन्होंने कहा कि अब तक इस महामारी का पर्याप्त उपचार नहीं बन सका है. ऐसे में विशेषज्ञ प्लाज्मा थेरेपी के जरिए मरीजों में एंटीबॉडी सॉल्व कर उनका उपचार कर रहे हैं. लेकिन संक्रमण से डरे लोग एक बार कोविड-19 से ठीक होकर जाते हैं, तो प्लाज्मा देने के लिए लौटते ही नहीं. राजधानी में अब तक 13 हजार से ज्यादा लोग कोरोना को हराकर ठीक हो चुके हैं, लेकिन इनमें से 1% लोगों ने ही प्लाज्मा डोनेट किया है.