जयपुर. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने केंद्र से खाद्य तेलों में होने वाली मिलावट को लेकर अलग से कानून बनाने की मांग की है. हाल ही में केंद्र सरकार ने सरसों तेल में मिलावट को लेकर एक कानून बनाया है. ऐसे में खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने सरसों की तर्ज पर अन्य खाद्य तेलों में होने वाली मिलावट को लेकर अलग से कानून बनाने की मांग केंद्र सरकार के समक्ष रखी है.
मामले को लेकर राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि खाद्य तेलों में होने वाली मिलावट को रोकने के लिए देश के प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को व्यापार संघ की ओर से पत्र लिखा गया है. जहां सरसों तेल की तर्ज पर मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन सहित सभी खाद्य तेलों में होने वाली मिलावट को लेकर अलग से कानून बनाने की मांग रखी है.
खाद्य पदार्थ व्यापार संघ का यह भी कहना है कि हाल ही में सरसों के तेल में मिलावट को लेकर तो कानून बनाया गया है. ऐसे में सरकार को कच्ची घाणी और कोल्ड प्रेस्ड तेल के उपयोग को लेकर प्रचार-प्रसार करना चाहिए, क्योंकि ये दोनों तेल स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते हैं.
पढ़ें- विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायकों ने किया प्रदर्शन, नियमितीकरण की मांग
प्रदेश में सरसों की होती है मुख्य पैदावार
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने बताया कि प्रदेश में फिलहाल सरसों मुख्य रूप से पैदावार की जाती है और राजस्थान में 14 लाख टन सरसों के तेल का उत्पादन भी किया जाता है. ऐसे में राजस्थान में यदि सरसों का बीज आई क्षेत्र बढ़ाया जाए तो सरसों के तेल की उत्पादन क्षमता लगभग दोगुनी हो जाएगी. ऐसे में खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा है कि सरसों के उत्पादन को लेकर सरकार सहयोग करे.