जयपुर. विधि विभाग के अंतर्गत नोटरी पब्लिक का पद दिव्यांग अधिवक्ताओं को नियुक्ति में आरक्षण और प्राथमिकता देने की मांग तेज हो गई है. प्रदेश के तीन विधायकों ने इसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केन्द्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद को लिखा पत्र लिखा है. श्रीडूंगरगढ़ विधायक गिरधारी लाल महिया ने लिखा सीएम अशोक गहलोत को पत्र तो खींवसर विधायक नारायण बैनीवाल और फलौदी विधायक पव्वाराम विश्नोई ने केन्द्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखा है. इसके साथ दिव्यांग मामलों के विशेषज्ञ हेमंत भाई गोयल ने भी प्री बजट मीटिंग में सीएम के समक्ष सुझाव रखा है.
वहीं विधि विभाग के अंतर्गत नोटरी पब्लिक का पद अपेक्षाकृत कम भागदौड़ का होता है और बैठे बैठे ही इस पद की जिम्मेदारी को बिना किसी परेशानी के संपादित किया जा सकता है. इसलिए ये पद दिव्यांग अधिवक्ताओं के लिए उपयुक्त माना जा सकता है. नोटरी नियमों में संशोधन तो केंद्र सरकार के विधि विभाग के स्तर पर ही संभव है, लेकिन प्रदेश सरकार के स्तर पर नोटरी पब्लिक के पद पर होने वाली नियुक्तियों में दिव्यांग अधिवक्ताओं को प्राथमिकता प्रदान करने का प्रावधान अवश्य किया जा सकता है, जिससे प्रदेश के सैंकड़ों दिव्यांग अधिवक्ताओं को इस पद पर नियुक्ति की राह आसान होना संभव है.
नोटरी रूल्स 1956 के संशोधित प्रावधानों के अनुसार राजस्थान में केंद्र सरकार के स्तर पर अधिकतम 1500 और राज्य सरकार के स्तर पर अधिकतम 2000 नोटरी पब्लिक की नियुक्तियां की जानी होती हैं. इसलिए राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र की नोटरी पब्लिक की नियुक्ति में दिव्यांग अधिवक्ताओं को प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए. कांग्रेस के जन घोषणा पत्र पेज 32 बिंदु 18 के अनुसार दिव्यांगजनों की विशेष योग्यता को देखते हुए सरकार में उपलब्ध पदों को चिन्हित कर उन पर नियुक्ति के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने का विषय शामिल है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने जन घोषणा पत्र को 29 दिसम्बर 2018 को सरकारी दस्तावेज घोषित किया है.
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दिव्यांगजन मामलों के विशेषज्ञ हेमंत भाई गोयल ने राजस्थान सरकार से दिव्यांग अधिवक्ताओं को नोटरी पब्लिक की नियुक्ति में अधिकतम प्राथमिकता प्रदान करने की मांग की है, जबकि केन्द्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर इस पद की नियुक्ति में दिव्यांग अधिवक्ताओं को चार प्रतिशत आरक्षण एवं अनुभव में छूट देने संबंधी मांग की है. इसी अभियान के तहत राजस्थान के तीन विधायकों ने मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय विधि मंत्री को पत्र लिखा है. एक साल पहले विशेष योग्यजन न्यायालय ने भी गोयल द्वारा दायर परिवाद में निर्णय सुनाते हुए आरक्षण एवं अनुभव में छूट देने की सिफारिश की थी.