जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को सदन में ओबीसी आरक्षण में भी वर्गीकरण की मांग उठी. कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने सदन में जनजाति क्षेत्रीय विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग कल्याण की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान यह मांग की. इस दौरान मीणा ने देश के उन 10 राज्यों का उदाहरण भी दिया, जहां ओबीसी आरक्षण में ओबीसी की जातियों में भी वर्गीकरण किया गया है.
अनुदान मांगों पर बोलते हुए देवली उनियारा विधायक हरीश मीणा ने कहा कि प्रदेश में 14 फीसदी आबादी जनजाति की है, जिसमें 45 फीसदी टीएसपी क्षेत्र में रहते हैं और 55 फीसदी टीएसपी क्षेत्र के बाहर रहते हैं. लेकिन, इसके विकास की जिम्मेदारी जनजाति क्षेत्रीय मंत्रालय की है.
मीणा ने यह भी कहा कि इसके लिए पीएसी कमेटी बनी है, जिसमें बतौर सदस्य मैं भी शामिल हूं लेकिन पिछले ढाई साल से इसकी मीटिंग नहीं हुई. हालांकि, पिछले दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक जरूर हुई थी, लेकिन केवल अपने दायित्वों की इतिश्री करने वाली थी और इस प्रकार की बैठक का फायदा भी नहीं होने वाला है.
जनजातीय लोगों को मिले नौकरी में प्राथमिकता
हरीश मीणा ने इस दौरान जनजाति विकास के लिए होने वाले बजट के प्रावधान को खर्च करने के लिए गाइडलाइन बनाने की भी मांग की ताकि यह तय हो सके कि बजट का कितना पैसा किस क्षेत्र में किस तरह खर्च किया जाएगा. मीणा ने कहा कि आज टीएसपी क्षेत्र में कई बड़े उपक्रम संचालित हैं, ऐसे में वहां स्थानीय लोगों को नौकरी में आरक्षण मिले. इसकी व्यवस्था प्रदेश सरकार को करना चाहिए वरना आज भी प्रदेश के जनजाति क्षेत्र में रहने वाले लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों की ओर पलायन करते हैं.
पिछली भाजपा सरकार की सोच थी आदिवासी विरोधी
सदन में बोलते हुए हरीश मीणा के निशाने पर पिछली भाजपा सरकार भी रही. मीणा ने कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र देवली उनियारा में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय स्वीकृत हुआ, जिसकी वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति भी जारी हो गई और 1 अक्टूबर 2013 को इसका शिलान्यास भी हो गया. लेकिन पिछली भाजपा सरकार ने उसका काम ठंडे बस्ते में डाल दिया क्योंकि पूर्ववर्ती सरकार की सोच ही आदिवासी विरोधी थी. ऐसे में प्रदेश सरकार से मांग करता हूं कि उस एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय के निर्माण का काम पूरा करवाएं.
प्रदेश में सरकार करवाए शराबबंदी: अनिता भदेल
बजट बहस में बोलते हुए भाजपा विधायक अनिता भदेल ने प्रदेश में शराबबंदी की मांग भी की. भदेल ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति क्षेत्र के लोगों में शराब का चलन अधिक है, ऐसा लोग कहते हैं. दिन भर जो मेहनत करके व्यक्ति कमाता है रात को उसका एक बड़ा हिस्सा शराब में खर्च कर देता है और लोक लज्जा से इन परिवारों की महिलाएं भी कुछ नहीं बोलती.
प्रदेश सरकार करोड़ों रुपए अनुसूचित जाति जनजाति क्षेत्र के विकास और लोगों के विकास में खर्च करती है, लेकिन यदि शराबबंदी कर दी जाएगी तो यह पैसा भी काफी हद तक बच जाएगा. अनिता भदेल ने इस दौरान मुख्यमंत्री अनुप्रति छात्रवृत्ति योजना जिसमें अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के बच्चों को निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था है वह योजना पिछले 2 साल से बंद पड़े होने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि इस बार मुख्यमंत्री ने बजट में इस योजना की वापस घोषणा तो की लेकिन इसकी संख्या 5000 तक सीमित कर दी और कई वर्गों को इसमें जोड़ दिया. ऐसे में अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों को उसका ज्यादा फायदा नहीं मिल पाएगा. ऐसे में इस योजना के तहत कोचिंग के लिए बच्चों की संख्या 5000 से बढ़ाकर 25000 की जाए.
इंद्राज गुर्जर ने उठाया पालनहार योजना का मामला
अनुदान मांगों पर बहस के दौरान कांग्रेस विधायक इंद्राज गुर्जर ने कहा कि प्रदेश में पालनहार योजना का पैसा सही समय पर पात्र परिवारों तक नहीं पहुंच रहा, जबकि आप और हमारा वेतन सही समय पर हम तक पहुंचता है. गुर्जर ने कहा कि ऐसे में इन परिवारों की क्या स्थिति होती होगी यह सोचने का विषय है और सरकार को इसमें सुधार करना चाहिए.
वहीं, इंद्राज गुर्जर ने विधायक फंड का आधा हिस्सा विकलांगों को स्कूटी देने के लिए खर्च करने की स्वीकृति देने की भी मांग की. बजट बहस पर बोलते हुए भाजपा विधायक अर्जुनलाल मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जनजाति क्षेत्रों में विधायकों को शो हेडपंप और 10 ट्यूबवेल सौर ऊर्जा के जरिए लगाए जाने की भी घोषणा करें.