नई दिल्ली/जयपुर. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के फोन टैपिंग मामले में क्राइम ब्रांच की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है. इसका मुख्य कारण राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा का क्राइम ब्रांच के समक्ष पेश नहीं होना है. पुलिस दो बार उन्हें नोटिस दे चुकी है, लेकिन वह जांच में शामिल नहीं हुए. दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर 13 जनवरी तक रोक लगा रखी है. इसलिए क्राइम ब्रांच की टीम जल्द ही लोकेश शर्मा को पूछताछ के लिए एक बार फिर से नोटिस भेज सकती है.
जानकारी के अनुसार, केंद्रीय मंत्री फोन टैपिंग मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा को क्राइम ब्रांच के मुख्य आरोपी बनाया है. पुलिस टीम ने इस मामले में पूछताछ के लिए दो बार लोकेश शर्मा को नोटिस भेजा, लेकिन वह उनके समक्ष पेश नहीं हुए. उन्हें पहला नोटिस बीते 22 अक्टूबर को भेजा गया था. उन्हें दोपहर 11 बजे पेश होने के लिए कहा गया था. क्राइम ब्रांच के अधिकारी दिन भर उनका इंतजार करते रहे, लेकिन वह पेश होने नहीं पहुंचे. उसके बाद क्राइम ब्रांच ने उन्हें एक बार फिर 12 नवंबर को क्राइम ब्रांच के रोहिणी स्थित दफ्तर में पेश होने को नोटिस भेजा था.
नोटिस में यह भी कहा गया था कि अगर इस वह पेश नहीं होते हैं तो पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करना पड़ेगा. इस नोटिस के मिलने के बाद लोकेश शर्मा की तरफ से एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया गया, जहां से उन्हें राहत मिल गई है. हाईकोर्ट ने 13 जनवरी तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. क्राइम ब्रांच के सूत्रों का कहना है कि वह एक बार फिर पूछताछ के लिए लोकेश शर्मा को वह नोटिस भेजेंगे. अभी तक उन्हें दो बार नोटिस भेजा गया है लेकिन वह क्राइम ब्रांच के समक्ष पेश नहीं हुए हैं. पुलिस को यह भी साफ है कि वह 13 जनवरी तक लोकेश शर्मा को गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं.
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की फोन टैपिंग को लेकर बीते मार्च में तुगलक रोड थाना पुलिस को शिकायत दी गई थी. इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई थी. क्राइम ब्रांच ने इस घटना को लेकर बीते 26 मार्च को एफआईआर दर्ज की थी. इस मामले में कुछ संदिग्ध लोगों से पूछताछ की जा चुकी है. लेकिन मुख्य आरोपी बनाए गए लोकेश शर्मा अभी तक क्राइम ब्रांच के समक्ष पेश नहीं हुए हैं.