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नई आबकारी नीति के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित - Rajasthan News

राजस्थान हाईकोर्ट ने आबकारी नीति-2021 के खिलाफ दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश लक्की वाइंस और अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के बाद दिए.

राजस्थान हाईकोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Mar 17, 2021, 10:29 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आबकारी नीति-2021 के खिलाफ दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश लक्की वाइंस और अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के बाद दिए.

याचिकाओं में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं को साल 2020-21 के लिए शराब लाइसेंस दिया गया था, उस समय राज्य सरकार ने कहा था कि इस लाइसेंस अवधि को एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. वहीं, अब नई नीति में भी सरकार लाइसेंस अवधि को एक साल बढ़ाने के लिए कह रही है, जबकि पिछले साल के शराब लाइसेंस की अवधि नहीं बढ़ाई गई.

यह भी पढ़ेंः 'राहुल गांधी' के प्यार में लट्टू हुई युवती, खाई देख खुदकुशी का बदला इरादा

याचिका में कहा गया कि प्रॉमिस ऑफ स्टोपल के नियम के तहत राज्य सरकार अपने वायदे से मुकर नहीं सकती है. सरकार के वायदे के चलते ही याचिकाकर्ताओं ने शराब लाइसेंस लिया था, लेकिन सरकार ने अवधि बढ़ाने के बजाए नीलामी के जरिए लाइसेंस दे दिए. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने अवधि बढ़ाने की सिर्फ संभावना जताई थी. लाइसेंस अवधि एक साल के लिए ही होती है. इसके अलावा नई नीति के तहत सरकार को राजस्व ज्यादा मिलेगा. दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आबकारी नीति-2021 के खिलाफ दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश लक्की वाइंस और अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के बाद दिए.

याचिकाओं में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं को साल 2020-21 के लिए शराब लाइसेंस दिया गया था, उस समय राज्य सरकार ने कहा था कि इस लाइसेंस अवधि को एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. वहीं, अब नई नीति में भी सरकार लाइसेंस अवधि को एक साल बढ़ाने के लिए कह रही है, जबकि पिछले साल के शराब लाइसेंस की अवधि नहीं बढ़ाई गई.

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याचिका में कहा गया कि प्रॉमिस ऑफ स्टोपल के नियम के तहत राज्य सरकार अपने वायदे से मुकर नहीं सकती है. सरकार के वायदे के चलते ही याचिकाकर्ताओं ने शराब लाइसेंस लिया था, लेकिन सरकार ने अवधि बढ़ाने के बजाए नीलामी के जरिए लाइसेंस दे दिए. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने अवधि बढ़ाने की सिर्फ संभावना जताई थी. लाइसेंस अवधि एक साल के लिए ही होती है. इसके अलावा नई नीति के तहत सरकार को राजस्व ज्यादा मिलेगा. दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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