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राजस्थान में कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों में कोई झोल नहीं : चिकित्सा मंत्री

ईटीवी भारत पर 'कोरोना से मौत के आंकड़ों में झोल' और 'डेथ सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन के आंकड़े डराने वाले' खबर प्रसारित होने के बाद सीएम अशोक गहलोत ने कोरोना से मौत के मामलों की ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि कोविड-19 और नॉन कोविड-19 मौतों की वास्तविकता का पता चले और कोविड-19 पीड़ित परिवारों की सामाजिक सुरक्षा के संबंध में निर्णय किए जा सके. इस पर चिकित्सा मंत्री ने मार्च 2020 से लेकर अब तक प्रदेश में हुई कोविड-19 से मौतों के आंकड़ों को सार्वजनिक करते हुए, किसी भी स्तर पर कोई हेरफेर नहीं होने का दावा किया है.

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राजस्थान में कोरोना से हुई मौत के आंकड़े प्रामाणिक
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Published : May 26, 2021, 1:05 PM IST

जयपुर. राजधानी में लगातार दूसरे दिन कोरोना संक्रमण के नए केसों में गिरावट दर्ज हुई है. मंगलवार को यहां 832 केस मिले हैं. वहीं राहत की बात ये है कि एक भी इलाके में केस 100 के पार नहीं हुए. इस बीच प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने पहली लहर की तरह ही दूसरी लहर में कोविड-19 का बेहतरीन प्रबंधन करने के हर संभव प्रयास का दावा किया है.

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कोरोना से हुई मौतों की ऑडिट के निर्देश

चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि प्रदेशवासियों की जीवन रक्षा के लिए निरंतर किए जा रहे प्रयासों के कारण प्रदेश में अन्य राज्यों के मुकाबले मृत्यु दर कम रही है. मार्च 2020 से लेकर अब तक प्रदेश में कोरोना से 7911 मौत हुई है. हालांकि, अप्रैल और मई महीने में अब तक सर्वाधिक 5093 मौत हुई है. इससे पहले 13 महीने में कुल 2818 मौत हुई. इनमें अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर 2020 के 4 महीने में कुल 1632 मौत और बचे 9 महीने की 1186 मौतें शामिल हैं.

पढ़ें : कोरोना से हुई मौतों की ऑडिट के निर्देश, CM बोले- राजस्थान में आंकड़े छिपाने की परंपरा नहीं

पढ़ें : EXCLUSIVE: कोरोना से मौत के आंकड़ों में झोल, महापौर ने गहलोत सरकार को घेरा

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अस्पतालों में कोविड से होने वाली हर एक मौत का रिकॉर्ड रखा जाना सुनिश्चित कर रही है. इसमें किसी तरह की गड़बड़ की कोई संभावना नहीं है. कोविड की पहली लहर के समय से ही प्रयास किया जा रहा है कि पॉजिटिव केस से लेकर मृत्यु तक आंकड़ों में स्पष्टता रहे. किसी स्तर पर कोई हेरफेर न हो, इस संबंध में निचले स्तर पर सख्त निर्देश दिए गए हैं. राज्य सरकार को आंकड़ों की नहीं प्रदेशवासियों के जीवन की चिंता है.

डॉ. शर्मा ने कहा कि राजस्थान एक बड़ा प्रदेश है, जिसकी जनसंख्या करीब 8 करोड़ है. ऐसे में विभिन्न क्षेत्रों में कोविड-19 के अतिरिक्त अन्य बीमारियों, दुर्घटनाओं, आयु और अन्य कारणों से मौतें होना स्वाभाविक है. ऐसी मौतों को कोविड-19 से जोड़ना उचित नहीं है. ये संभव है कि किसी रोगी ने अज्ञानता या लापरवाहीवश कोविड-19 की जांच नहीं कराई हो और न ही अस्पताल में भर्ती हुआ हो. ऐसे मामलों में जिनमें रोगी की कोरोना जांच नहीं हुई हो, उनकी मौत का इंद्राज कोविड से होने वाली मौतों के साथ नहीं किया जाता है.

पढ़ें : सांसद रंजीता कोली ने किया खुलासा, आखिर कैसे घटाया भरतपुर में कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा...

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि चिकित्सा विभाग प्रदेश में सैंपलिंग, कोरोना पॉजिटिव केस और मौतों सहित अन्य आंकड़ों का नियमित ऑनलाइन संधारण सुनिश्चित कर रहा है. सरकार के स्तर पर जारी किए जाने वाले आंकड़े पूरी तरह तथ्यपरक और प्रामाणिक हैं. इस दौरान उन्होंने प्रदेश वासियों से अपील की कि कोरोना के लक्षण नजर आने पर तुरंत प्रभाव से जांच कराएं और चिकित्सकों से समय पर परामर्श लें. राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों तक डोर-टू-डोर सर्वे के माध्यम से जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध करवा रही है, लोग इसमें सहयोग करें. लक्षण हो तो छुपाए नहीं, बल्कि जांच करवा कर तुरंत उपचार लें.

जयपुर. राजधानी में लगातार दूसरे दिन कोरोना संक्रमण के नए केसों में गिरावट दर्ज हुई है. मंगलवार को यहां 832 केस मिले हैं. वहीं राहत की बात ये है कि एक भी इलाके में केस 100 के पार नहीं हुए. इस बीच प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने पहली लहर की तरह ही दूसरी लहर में कोविड-19 का बेहतरीन प्रबंधन करने के हर संभव प्रयास का दावा किया है.

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कोरोना से हुई मौतों की ऑडिट के निर्देश

चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि प्रदेशवासियों की जीवन रक्षा के लिए निरंतर किए जा रहे प्रयासों के कारण प्रदेश में अन्य राज्यों के मुकाबले मृत्यु दर कम रही है. मार्च 2020 से लेकर अब तक प्रदेश में कोरोना से 7911 मौत हुई है. हालांकि, अप्रैल और मई महीने में अब तक सर्वाधिक 5093 मौत हुई है. इससे पहले 13 महीने में कुल 2818 मौत हुई. इनमें अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर 2020 के 4 महीने में कुल 1632 मौत और बचे 9 महीने की 1186 मौतें शामिल हैं.

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चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अस्पतालों में कोविड से होने वाली हर एक मौत का रिकॉर्ड रखा जाना सुनिश्चित कर रही है. इसमें किसी तरह की गड़बड़ की कोई संभावना नहीं है. कोविड की पहली लहर के समय से ही प्रयास किया जा रहा है कि पॉजिटिव केस से लेकर मृत्यु तक आंकड़ों में स्पष्टता रहे. किसी स्तर पर कोई हेरफेर न हो, इस संबंध में निचले स्तर पर सख्त निर्देश दिए गए हैं. राज्य सरकार को आंकड़ों की नहीं प्रदेशवासियों के जीवन की चिंता है.

डॉ. शर्मा ने कहा कि राजस्थान एक बड़ा प्रदेश है, जिसकी जनसंख्या करीब 8 करोड़ है. ऐसे में विभिन्न क्षेत्रों में कोविड-19 के अतिरिक्त अन्य बीमारियों, दुर्घटनाओं, आयु और अन्य कारणों से मौतें होना स्वाभाविक है. ऐसी मौतों को कोविड-19 से जोड़ना उचित नहीं है. ये संभव है कि किसी रोगी ने अज्ञानता या लापरवाहीवश कोविड-19 की जांच नहीं कराई हो और न ही अस्पताल में भर्ती हुआ हो. ऐसे मामलों में जिनमें रोगी की कोरोना जांच नहीं हुई हो, उनकी मौत का इंद्राज कोविड से होने वाली मौतों के साथ नहीं किया जाता है.

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चिकित्सा मंत्री ने कहा कि चिकित्सा विभाग प्रदेश में सैंपलिंग, कोरोना पॉजिटिव केस और मौतों सहित अन्य आंकड़ों का नियमित ऑनलाइन संधारण सुनिश्चित कर रहा है. सरकार के स्तर पर जारी किए जाने वाले आंकड़े पूरी तरह तथ्यपरक और प्रामाणिक हैं. इस दौरान उन्होंने प्रदेश वासियों से अपील की कि कोरोना के लक्षण नजर आने पर तुरंत प्रभाव से जांच कराएं और चिकित्सकों से समय पर परामर्श लें. राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों तक डोर-टू-डोर सर्वे के माध्यम से जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध करवा रही है, लोग इसमें सहयोग करें. लक्षण हो तो छुपाए नहीं, बल्कि जांच करवा कर तुरंत उपचार लें.

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