जयपुर. दौसा घूसकांड प्रकरण की जांच राजस्थान एसीबी की ओर से लगातार जारी है. मामले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. आईपीएस मनीष अग्रवाल पर शिकंजा कसने के बाद अब राजस्थान एसीबी मनीष अग्रवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने में लगी हुई है.
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मनीष अग्रवाल ने ना केवल हाईवे का निर्माण कार्य करने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों से घूस की डिमांड की बल्कि दौसा में किसी भी बड़े व्यापारी को नहीं बख्शा. मनीष अग्रवाल दौसा में एसपी के पद पर रहते हुए वह तमाम काम कर रहा था जिसके लिए उसे मोटी राशि मिल रही थी, फिर चाहे वह काम गैर कानूनी ही क्यों ना हो.
दौसा घूसकांड प्रकरण में आईपीएस मनीष अग्रवाल के खिलाफ राजस्थान एसीबी की ओर से की जा रही कार्रवाई के बारे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम एसीबी मुख्यालय पहुंची. प्रकरण को लेकर जब एसीबी के कई अधिकारियों से बातचीत की तो उन्होंने नाम नहीं छापने की शर्त पर यह बताया कि आईपीएस मनीष अग्रवाल वह सभी काम कर रहा था जो एक लुटेरा कर सकता है.
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एसीबी के अधिकारियों ने बताया कि यही कारण है कि मनीष अग्रवाल के खिलाफ लगातार मिल रही शिकायत से परेशान होकर तत्कालीन डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव ने भी एक पत्र लिखकर मनीष अग्रवाल को अपने रवैया को सुधारने के लिए कहा था.
गैर कानूनी काम करने के लिए बनाता था दबाव
एसीबी के सूत्रों ने बताया कि आईपीएस मनीष अग्रवाल को गिरफ्तार करने के बाद दौसा जिले के कई एसएचओ एसीबी मुख्यालय में आकर आला अधिकारियों से मिल चुके हैं. साथ ही लिखित में शिकायत भी दे चुके हैं. कुछ एसएचओ की ओर से यह शिकायत भी दी गई है कि मनीष अग्रवाल गैर कानूनी काम करने के लिए लगातार थानों के एसएचओ पर दबाव बनाया करता था.
मना करने पर लाइन भेजने का आदेश
वहीं, यदि कोई एसएचओ मनीष अग्रवाल का काम करने से मना कर देता तो उसे तुरंत ही लाइन भेजने के आदेश जारी कर दिए जाते थे. लाइन भेजे गए एसएचओ को फिर से बहाल करने के लिए मनीष अग्रवाल की ओर से दलाल के मार्फत मोटी राशि मांगी जाती जो कि लाखों में है. जो भी पुलिसकर्मी दलाल के मार्फत मनीष अग्रवाल तक राशि पहुंचा देता उसे 2 दिन में बहाल कर दिया जाता था. वहीं, यदि मनीष अग्रवाल से मिलने उसका कोई परिचित या मित्र आता तो उनके सामने पुलिसकर्मियों को मनीष अग्रवाल की ओर से गलत आचरण करते हुए गालियां दी जाती और प्रताड़ित किया जाता था.
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एसीबी ढूंढ रही इन्वेस्टमेंट का लिंक
आईपीएस मनीष अग्रवाल ने ना केवल हाईवे का निर्माण कार्य करने वाली कंपनी से घूस की मांग की बल्कि दौसा के तमाम बड़े व्यापारियों, हाईवे किनारे स्थित होटल, रेस्टोरेंट और अस्पताल के संचालकों से भी मोटी घूस लिया करता था. जो भी व्यक्ति घूस देने से मना करता उसे बेवजह परेशान किया जाता और वहां पर आने वाले लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.
दो दलालों के मार्फत ली जाती थी घूस
मनीष अग्रवाल की ओर से दो दलालों के मार्फत घूस की राशि ली जाती थी. दोनों दलाल घूस की राशि एकत्रित करने के बाद मनीष अग्रवाल को पहुंचाया करते थे. हालांकि, मनीष अग्रवाल ने घूस की राशि को कहां पर इन्वेस्ट किया है, अब तक एसीबी के हाथ इसका कोई भी लिंक नहीं लगा है.
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एसीबी की जांच जारी
जानकारी के अनुसार मनीष अग्रवाल के घर पर एसीबी की ओर से की गई सर्च के दौरान भी ना तो कोई नगद राशि बरामद की गई और ना ही प्रॉपर्टी से संबंधित कोई दस्तावेज. ऐसे में अब एसीबी के अधिकारी इस जांच में जुटे हुए हैं कि घूस की बड़ी राशि को मनीष अग्रवाल की ओर से कहां पर खपाया गया है.