जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि कोरोना का डेल्टा वैरिएंट 65 देशों में फैल चुका है. कोरोना के नए रूप डेल्टा प्लस का भारत में ही नहीं, बल्कि कोरोना का खतरनाक डेल्टा प्लस वैरिएंट राजस्थान के बीकानेर में भी प्रवेश कर चुका है. धीरे-धीरे इस नए वैरिएंट का असर फैलने लगेगा.
सीएम गहलोत ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से आप सबको सुरक्षित रखने के लिए राजस्थान सरकार सजगता से तैयारी कर रही है. चिंता न करें, लेकिन सतर्क अवश्य रहें. लापरवाही नहीं करें, कोरोना प्रोटोकॉल की पूरी तरह से पालना करें. सीएम गहलोत ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पूरे देश में दवाइयों, अस्पताल में बैड्स और ऑक्सीजन की भारी किल्लत हुई और लोगों को भारी तकलीफ का सामना करना पड़ा. लेकिन आप सबके सहयोग से राजस्थान ने इनके बेहतर प्रबंधन का प्रयास किया. हम 2.36 करोड़ प्रदेशवासियों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगा चुके हैं. राज्य में वैक्सीन वेस्टेज (Vaccine Wastage) 0% से भी कम है. हमारी रोज 15 लाख टैक्सीन लगाने की तैयारी है और हम केंद्र सरकार से हमें पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन देने के लिए लगातार मांग कर रहे हैं.
मास्क जरूरी है...
सीएम गहलोत ने अपील करते हुए कहा कि पूरे विश्व में विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि वैक्सीन और मास्क ही कोरोना से बचा सकते हैं. इसलिए, जीवन रक्षा के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद भी आपको और आपके परिवार को सुरक्षित रखने के लिए मास्क बेहद जरूरी है. मास्क पहनने में लापरवाही बेहद घातक है.
डेल्टा का नया रूप ज्यादा खतरनाक...
कोरोना का नया डेल्टा स्वरूप देश में तेजी से फैलने लगा है. ये वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है, फेफड़ों को ज्यादा जल्दी संक्रमित करता है और इसमें मृत्यु दर भी अधिक है. वैक्सीनेशन के बाद इंग्लैंड खुलने लगा था, लेकिन बाद में फिर मामले बढ़ने लगे हैं, तो पाबंदियां फिर कर दी. इसी तरह इजराइल में सभी पाबंदियां हटा दी गईं थी, लेकिन इस नए वैरिएंट के कारण फिर से मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. प्रख्यात अमेरिकी विशेषज्ञ डॉ. फाओची ने कोरीना के नए वैरिएंट को सबसे बड़ा खतरा बताया है.
राजस्थान सतर्क है...
कोविड-19 के बदलते वैरिएंट पर प्रभावी निगरानी रखने के लिए एक अभिनव पहल जयपुर में SMS मेडिकल कॉलेज में जीनोम सिक्वेंसिंग व्यवस्था शुरू कर दी है. इसमे अब सैम्पल दिल्ली या पुणे नहीं भेजना पड़ेगा. जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिये वायरस के बदलते स्वरूप का आकलन किया जा सकता है.