जयपुर. जिले में साइबर ठगों द्वारा ठगी के तरीकों में वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार लगातार बदलाव किया जा रहा है. वैश्विक महामारी कोरोना के शुरुआती दौर में साइबर ठगों ने पीएम रिलीफ फंड के नाम पर लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया था तो अब कोरोना जांच के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है.
इसके लिए बकायदा लोगों को सरकार की मिलती-जुलती ईमेल आईडी से मेल कर सस्ती दरों पर कोरोना जांच कराने का झांसा दिया जाता है. जैसे ही कोई व्यक्ति साइबर ठगों द्वारा भेजे गए ईमेल के झांसे में आता है, वैसे ही उसके बैंक खाते से धन राशि निकाल ली जाती.
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जयपुर पुलिस के साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट मुकेश चौधरी ने बताया कि साइबर ठग ईमेल के जरिए गूगल डॉक्स का एक लिंक भेजते हैं. जिसमें उन्हें कोरोना जांच और अन्य तरह के झांसे में लेकर साइबर ठगों द्वारा ठगी का शिकार बनाया जाता है. मेल पर भेजे गए लिंक पर क्लिक करते ही एक फॉर्म खुलता है, जिसमें व्यक्ति की तमाम सूचनाएं मांगी जाती हैं. इसके साथ ही उसके डेबिट और क्रेडिट कार्ड की जानकारी भी मांगी जाती है.
वहीं, कोरोना जांच के नाम पर 10 से 20 रुपए का रजिस्ट्रेशन शुल्क देने को कहा जाता है. जैसे ही व्यक्ति यह शुल्क देने के लिए लिंक पर क्लिक कर अपने बैंक खाते या डेबिट और क्रेडिट कार्ड की जानकारी भरता है, वैसे ही साइबर ठग द्वारा उसके खाते से 10 से 20 हजार रुपए का ट्रांजैक्शन कर लिया जाता है.
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वहीं, कुछ मामलों में यह भी देखने को मिला है कि साइबर ठगों द्वारा पीड़ित व्यक्ति से यूपीआई आईडी और यूपीआई पिन मांगा गया है और जिस भी व्यक्ति ने यूपीआई आईडी और पिन बताया है, उसके बैंक खाते में जमा तमाम धनराशि को साइबर ठगों द्वारा निकाल लिया गया है. राजधानी में कोरोना जांच के नाम पर साइबर ठगों द्वारा ठगी करने के आधा दर्जन प्रकरण सामने आए हैं, जिनकी जांच की जा रही है.