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#Jagte Raho: लोगों की लापरवाही के कारण बढ़ रहे साइबर फ्रॉड के मामले, ये तरीके अपना कर दें ठगों को मुंहतोड़ जवाब

जयपुर सहित प्रदेश के अन्य राज्यों में साइबर ठगी की घटनाएं बढ़ती जा रही है. ऐसे में जरूरी है कि यूजर (Cyber crimes increasing in Rajasthan) सावधान होकर सतर्कता से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करें. साइबर ठगी से बचाव के साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज कई तरह के सलाह दिए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Cyber fraud in Rajasthan
Cyber fraud in Rajasthan
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Published : Apr 11, 2022, 9:02 AM IST

जयपुर. प्रदेश में साइबर ठगी के प्रकरण लगातार बढ़ते जा रहे हैं. दूसरी तरफ पुलिस ठगी के महज कुछ ही प्रकरणों में रिकवरी कर पा रही है. साइबर ठग बीते 1 वर्ष में 70 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. जिसमें पुलिस तकरीबन 9 करोड़ रुपए ही वापस रिकवर कर पाई है. ठगी के प्रकरणों में रिकवरी कम होने के पीछे का मुख्य कारण ठगी का शिकार होने वाले लोगों की लापरवाही है. ठगी का शिकार होने वाला व्यक्ति समय पर इसकी शिकायत दर्ज नहीं करवाता है. जिसके चलते ठगी गई राशि को रिकवर करना और ठगों तक पहुंच पाना पुलिस के लिए नामुमकिन हो जाता है.

तुरंत ब्लॉक कराएं कार्ड: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि राजस्थान (Precautions to be taken against cyber fraud) में साइबर और फाइनेंशियल फ्रॉड के जितने भी प्रकरण सामने आते हैं, उसमें यूजर की लापरवाही के चलते ही ठग बड़ी राशि उनके बैंक खातों से निकाल लेते हैं. बैंकिंग लॉ के अनुसार ठगी का शिकार होने वाले यूजर को 72 घंटे के अंदर उसकी शिकायत दर्ज करवानी होती है. लेकिन यूज़र शिकायत दर्ज करवाने में 4 से 5 दिन तक लगा देते हैं.

साइबर ठगी से बचाव के एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज की सलाह

ठगी का शिकार होने वाला व्यक्ति पहले बैंक जाता है और उसके खाते से हुए ट्रांजैक्शन की डिटेल लेता है. बैंक के कहने पर कस्टमर केयर के नंबर पर फोन कर अपने कार्ड को ब्लॉक करवाता है. इस तमाम प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है जिसका फायदा साइबर ठग उठाते हैं. यूजर के खाते से अनेक ट्रांजैक्शन करते हुए एक मोटी राशि हड़प लेते हैं. ऐसे में ठगी का शिकार होने पर यूजर को घबराना नहीं चाहिए और सबसे पहला काम उसे कस्टमर केयर पर फोन कर अपने कार्ड को ब्लॉक करवाना चाहिए. इसके साथ ही साइबर क्राइम पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर 155260 पर फोन कर उसकी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए.

क्रेडिट और डेबिट कार्ड की ट्रांजैक्शन लिमिट को करें सेट: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि विभिन्न बैंक लोगों की आइटीआर के आधार पर उन्हें लाखों रुपए की लिमिट के क्रेडिट कार्ड प्रदान करती है. हालांकि यूजर कार्ड का भले ही ज्यादा इस्तेमाल ना करता हो, लेकिन उसे कार्ड की ट्रांजैक्शन लिमिट को सेट करना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर साइबर ठग इसका फायदा उठाते हैं.

पढ़ें-Jagte Raho: ऑनलाइन पेमेंट एप्स के रेप्लिका एप से रहें सावधान...साइबर ठग ऐसे बना रहे शिकार

यदि किसी यूजर के कार्ड की लिमिट 2 लाख है तो साइबर ठग उसका फायदा उठाते हुए यूजर के खाते से 2 लाख रुपए पार कर लेते हैं. इसी प्रकार से डेबिट कार्ड की ट्रांजैक्शन लिमिट सेट नहीं करने के चलते ठग यूज़र के डेबिट कार्ड से ठगी कर लेते हैं. ऐसे में यूजर को इंटरनेट या मोबाइल बैंकिंग के जरिए अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड की ट्रांजैक्शन लिमिट को सेट करना चाहिए. यूजर प्रतिदिन ट्रांजैक्शन और प्रतिमाह ट्रांजैक्शन की लिमिट को सेट कर ठगी का शिकार होने से बच सकता है.

डिजिटल इंश्योरेंस से मिलती है थोड़ी राहत: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि आजकल विभिन्न कंपनियां डिजिटल इंश्योरेंस दे रही है, जिसमें किसी भी यूजर के साथ ठगी होने पर उसे एक निर्धारित राशि अदा की जाती है. इस डिजिटल इंश्योरेंस में यूजर की डिवाइस के साथ ही उसके फाइनेंसियल फ्रॉड को भी कवर किया जाता है. ऐसे में क्रेडिट और डेबिट कार्ड का अधिक प्रयोग करने वाले यूजर को डिजिटल इंश्योरेंस लेना चाहिए, ताकि ठगी का शिकार होने पर उसे कंपनसेशन मिल सके. इसके साथ ही यदि यूजर की डिवाइस डैमेज या चोरी होती है तो, उसे उसका भी कंपनसेशन कंपनी देती है.

पढ़ें- #Jagte Raho: साइबर हैकर्स के निशाने पर ब्लू टिक वैरीफाइड सोशल मीडिया अकाउंट, पीएम मोदी समेत राजस्थान के कई बड़े नेता भी हुए शिकार

कार्ड पर से रिमूव करें सीवीवी कोड: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि यूजर क्रेडिट और डेबिट कार्ड के पीछे तीन अक्षर के सीवीवी कोड को कभी भी रिमूव नहीं करते हैं जिसके चलते वो बड़ी आसानी से ठगी का शिकार हो जाते हैं. अनेक विदेशी पोर्टल पर ट्रांजैक्शन के लिए ओटीपी की आवश्यकता नहीं होती है. वहां केवल क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी डालकर सीवीवी कोड एंटर करने से ही ट्रांजैक्शन हो जाता है. ऐसे में यूजर को सीवीवी कोड को कार्ड के पीछे से रिमूव करना चाहिए. यूजर नंबर को याद कर लें या फिर अपने किसी अन्य डिवाइस में सेव करके रख सकते हैं.

वाईफाई ट्रांजैक्शन कार्ड की लिमिट करें सेट: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि वर्तमान में क्रेडिट और डेबिट दोनों तरह के कार्ड में वाईफाई ट्रांजैक्शन की सुविधा प्रदान की जा रही है. सरकार ने इसकी लिमिट 5000 रुपए प्रति ट्रांजैक्शन रखी है. इसका फायदा ठग उठा रहे हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने वाले यूजर को अपना शिकार बना रहे हैं. ठग अपने मोबाइल में टैप एंड पे की सर्विस को एक्टिवेट करते हैं. इसके बाद यूजर के पर्स के पास मोबाइल को ले जाकर उसके पर्स में रखे हुए वाईफाई ट्रांजैक्शन कार्ड के जरिए रुपयों का ट्रांजैक्शन कर लेते हैं, जिसकी भनक यूजर तक को नहीं लगती है. ऐसे में ठगी का शिकार होने से बचने के लिए यूजर को वाईफाई ट्रांजैक्शन कार्ड की लिमिट को भी सेट करना चाहिए. उपयोग में नहीं आने पर वाईफाई ट्रांजैक्शन को ऑफ रखना चाहिए.

जयपुर. प्रदेश में साइबर ठगी के प्रकरण लगातार बढ़ते जा रहे हैं. दूसरी तरफ पुलिस ठगी के महज कुछ ही प्रकरणों में रिकवरी कर पा रही है. साइबर ठग बीते 1 वर्ष में 70 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. जिसमें पुलिस तकरीबन 9 करोड़ रुपए ही वापस रिकवर कर पाई है. ठगी के प्रकरणों में रिकवरी कम होने के पीछे का मुख्य कारण ठगी का शिकार होने वाले लोगों की लापरवाही है. ठगी का शिकार होने वाला व्यक्ति समय पर इसकी शिकायत दर्ज नहीं करवाता है. जिसके चलते ठगी गई राशि को रिकवर करना और ठगों तक पहुंच पाना पुलिस के लिए नामुमकिन हो जाता है.

तुरंत ब्लॉक कराएं कार्ड: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि राजस्थान (Precautions to be taken against cyber fraud) में साइबर और फाइनेंशियल फ्रॉड के जितने भी प्रकरण सामने आते हैं, उसमें यूजर की लापरवाही के चलते ही ठग बड़ी राशि उनके बैंक खातों से निकाल लेते हैं. बैंकिंग लॉ के अनुसार ठगी का शिकार होने वाले यूजर को 72 घंटे के अंदर उसकी शिकायत दर्ज करवानी होती है. लेकिन यूज़र शिकायत दर्ज करवाने में 4 से 5 दिन तक लगा देते हैं.

साइबर ठगी से बचाव के एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज की सलाह

ठगी का शिकार होने वाला व्यक्ति पहले बैंक जाता है और उसके खाते से हुए ट्रांजैक्शन की डिटेल लेता है. बैंक के कहने पर कस्टमर केयर के नंबर पर फोन कर अपने कार्ड को ब्लॉक करवाता है. इस तमाम प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है जिसका फायदा साइबर ठग उठाते हैं. यूजर के खाते से अनेक ट्रांजैक्शन करते हुए एक मोटी राशि हड़प लेते हैं. ऐसे में ठगी का शिकार होने पर यूजर को घबराना नहीं चाहिए और सबसे पहला काम उसे कस्टमर केयर पर फोन कर अपने कार्ड को ब्लॉक करवाना चाहिए. इसके साथ ही साइबर क्राइम पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर 155260 पर फोन कर उसकी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए.

क्रेडिट और डेबिट कार्ड की ट्रांजैक्शन लिमिट को करें सेट: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि विभिन्न बैंक लोगों की आइटीआर के आधार पर उन्हें लाखों रुपए की लिमिट के क्रेडिट कार्ड प्रदान करती है. हालांकि यूजर कार्ड का भले ही ज्यादा इस्तेमाल ना करता हो, लेकिन उसे कार्ड की ट्रांजैक्शन लिमिट को सेट करना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर साइबर ठग इसका फायदा उठाते हैं.

पढ़ें-Jagte Raho: ऑनलाइन पेमेंट एप्स के रेप्लिका एप से रहें सावधान...साइबर ठग ऐसे बना रहे शिकार

यदि किसी यूजर के कार्ड की लिमिट 2 लाख है तो साइबर ठग उसका फायदा उठाते हुए यूजर के खाते से 2 लाख रुपए पार कर लेते हैं. इसी प्रकार से डेबिट कार्ड की ट्रांजैक्शन लिमिट सेट नहीं करने के चलते ठग यूज़र के डेबिट कार्ड से ठगी कर लेते हैं. ऐसे में यूजर को इंटरनेट या मोबाइल बैंकिंग के जरिए अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड की ट्रांजैक्शन लिमिट को सेट करना चाहिए. यूजर प्रतिदिन ट्रांजैक्शन और प्रतिमाह ट्रांजैक्शन की लिमिट को सेट कर ठगी का शिकार होने से बच सकता है.

डिजिटल इंश्योरेंस से मिलती है थोड़ी राहत: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि आजकल विभिन्न कंपनियां डिजिटल इंश्योरेंस दे रही है, जिसमें किसी भी यूजर के साथ ठगी होने पर उसे एक निर्धारित राशि अदा की जाती है. इस डिजिटल इंश्योरेंस में यूजर की डिवाइस के साथ ही उसके फाइनेंसियल फ्रॉड को भी कवर किया जाता है. ऐसे में क्रेडिट और डेबिट कार्ड का अधिक प्रयोग करने वाले यूजर को डिजिटल इंश्योरेंस लेना चाहिए, ताकि ठगी का शिकार होने पर उसे कंपनसेशन मिल सके. इसके साथ ही यदि यूजर की डिवाइस डैमेज या चोरी होती है तो, उसे उसका भी कंपनसेशन कंपनी देती है.

पढ़ें- #Jagte Raho: साइबर हैकर्स के निशाने पर ब्लू टिक वैरीफाइड सोशल मीडिया अकाउंट, पीएम मोदी समेत राजस्थान के कई बड़े नेता भी हुए शिकार

कार्ड पर से रिमूव करें सीवीवी कोड: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि यूजर क्रेडिट और डेबिट कार्ड के पीछे तीन अक्षर के सीवीवी कोड को कभी भी रिमूव नहीं करते हैं जिसके चलते वो बड़ी आसानी से ठगी का शिकार हो जाते हैं. अनेक विदेशी पोर्टल पर ट्रांजैक्शन के लिए ओटीपी की आवश्यकता नहीं होती है. वहां केवल क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी डालकर सीवीवी कोड एंटर करने से ही ट्रांजैक्शन हो जाता है. ऐसे में यूजर को सीवीवी कोड को कार्ड के पीछे से रिमूव करना चाहिए. यूजर नंबर को याद कर लें या फिर अपने किसी अन्य डिवाइस में सेव करके रख सकते हैं.

वाईफाई ट्रांजैक्शन कार्ड की लिमिट करें सेट: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि वर्तमान में क्रेडिट और डेबिट दोनों तरह के कार्ड में वाईफाई ट्रांजैक्शन की सुविधा प्रदान की जा रही है. सरकार ने इसकी लिमिट 5000 रुपए प्रति ट्रांजैक्शन रखी है. इसका फायदा ठग उठा रहे हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने वाले यूजर को अपना शिकार बना रहे हैं. ठग अपने मोबाइल में टैप एंड पे की सर्विस को एक्टिवेट करते हैं. इसके बाद यूजर के पर्स के पास मोबाइल को ले जाकर उसके पर्स में रखे हुए वाईफाई ट्रांजैक्शन कार्ड के जरिए रुपयों का ट्रांजैक्शन कर लेते हैं, जिसकी भनक यूजर तक को नहीं लगती है. ऐसे में ठगी का शिकार होने से बचने के लिए यूजर को वाईफाई ट्रांजैक्शन कार्ड की लिमिट को भी सेट करना चाहिए. उपयोग में नहीं आने पर वाईफाई ट्रांजैक्शन को ऑफ रखना चाहिए.

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