जयपुर. राजधानी के रेनवाल क्षेत्र में साइबर अपराध की लगातार बढ़ोतरी हो रही है. मोबाईल के फाल्स कॉल के झांसे में आकर लोग लाखों रूपए गंवा चुके हैं. जनवरी से अब तक रेनवाल थाना में साइबर अपराध के 11 मुकदमे दर्ज हुए हैं. लेकिन एक भी मामले में न तो ठगी का कोई आरोपी पकड़ा जा सका है और ना ही किसी के रूपए वापिस मिल सके हैं.
बता दें कि साइबर अपराध की जांच सांभर सीआई की ओर से की जाती है. सर्किल के थाने सीआई के अंडर में आते है, ऐसे में जांच भी वहीं करते हैं. ठगे जाने पर पहले व्यक्ति स्थानीय थाने में चक्कर लगाता है फिर रिपोर्ट दर्ज होने के बाद थाने में बार-बार जाना पड़ता है. ऐसे में पहले ही रूपए गवां चुका व्यक्ति चक्कर लगा-लगा कर परेशान हो जाता है.
वहीं साईबर अपराध का खुलासा नहीं होने के पीछे मुख्य कारण है साइबर एक्सपर्टस का अभाव. एक्सपर्टस के नहीं होने से पुलिस को जयपुर से सहायता लेनी पड़ती है. लेकिन बार-बार एक्सपर्टस को बुलाना संभव नहीं हो पाता. साईबर अपराध का जयपुर में भी पुलिस थाना है, लेकिन वहां 5 लाख से अधिक की ठगी का ही मामला दर्ज हो पाता है.
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बता दें कि ठगी के शिकार लोग अलग-अलग तरह की ठगी के शिकार हुए हैं. पिछले सप्ताह विनोद तिवाड़ी ने यूपी के उरई के लिए ऑन लाईन बस की टिकट बनानी चाही. नेट में ट्रैवल्स कंपनी के नंबर ढूंढकर फोन किया, तो वाट्सएप पर एक लिंक भेजकर कहा कि इसे भर कर भेज दो. ऐसा करते ही खाते से चार लाख निकल गए. जिसके बाद पीड़ित रेनवाल, सांभर और जयपुर साईबर थाने के चक्कर लगा रहा है.
वहीं रेनवाल के रहने वाले अशोक कुमार कुमावत ने 11 सितंबर को फेसबुक पर एक कार बेचने का एड देखा. फोन किया तो सामने वाले ने झांसा देकर सवा लाख रूपए खाते से निकाल लिए. साथ ही जोधपुरा के हेमराज योगी को फोन पर खाता बंद होने की सूचना देकर ओटीपी नंबर पुछ लिया तथा खाते से नेट बैकिंग के जरिए 30 हजार निकल गए. इसी तरह एटीएम बदलकर कई लोगों के लाखों रूपए निकल चुके हैं.
बढ़ते साईबर अपराध की रोकथाम के लिए प्रत्येक पुलिस थाना में साईबर एक्सपर्टस की आवश्यकता है. वहीं लोगों का कहना है कि किसी घर या दुकान में छोटी सी चोरी होने पर पुलिस तत्परता दिखाती है, जबकि लाखों रूपए की साईबर ठगी के बाद भी पुलिस कोई खास मदद नहीं करती. ऑन लाईन ठगी का हवाला देकर पुलिस हाथ खड़े कर देती है.