जयपुर. राजधानी में ठगी (Cyber Fraud In Jaipur) के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. क्रिप्टो करेंसी को भारत सरकार ने मान्यता नहीं दी है, लेकिन लोग फिर भी इसमें करोड़ों रुपए लोग इन्वेस्ट कर रहे हैं. क्रिप्टो में इनवेस्ट के चक्कर में जयपुर के एक निवेशक के लाखों रुपए डूबने की नौबत आ गई है. पीड़ित ने सबूत के तौर पर पुलिस को सिर्फ एक मोबाइल नंबर दिया है, जो बंद है. पुलिस ने मोबाइल नंबर धारक के खिलाफ आईटी एक्ट में मामला दर्ज किया है.
क्रिप्टो में इन्वेस्ट के नाम पर ठगी
पीड़ित की रिपोर्ट के मुताबिक एक मोबाइल नंबर से फोन आया था और फोन करने वाले ने क्रिप्टो में इन्वेस्ट करने के कई फायदे बताए थे. उसने पीड़ित को मुनाफे का लालच भी दिया. इसके बाद लालच में आकर पीड़ित ने क्रिप्टो में इन्वेस्ट (Cryptocurrency Scam In Jaipur) करने के लिए करीब 2.40 लाख रुपये पीड़ित ने ट्रांसफर कर दिए. लेकिन इसके बाद आरोपियों ने फोन बंद कर लिया. इसके बाद पीड़ित ने परेशान होकर मोबाइल फोन नंबर के आधार पर ठगों के खिलाफ मुहाना थाने में मामला दर्ज करवाया है. पुलिस मोबाइल नंबर के आधार पर ठगों की तलाश में जुट गई है.
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जानिए क्या है क्रिप्टो करेंसी
क्रिप्टो करेंसी वित्तीय लेन-देन का एक जरिया है. बिल्कुल भारतीय रुपये के समान, अंतर सिर्फ इतना है कि यह आभाषी है और दिखाई नहीं देती और न ही आप इसे छू सकते हैं. इसलिए इसे डिजिटल करेंसी भी कहते हैं. इसका पूरा कारोबार ऑनलाइन माध्यम से ही होता है. यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है. यह पूरी तरह से ऑनलाइन होती है और बिना किसी नियमों के इसके जरिए व्यापार होता है. इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी जारी नहीं करती है.
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ऐसे हुई शुरुआत
क्रिप्टो करंसी की शुरुआत 2009 में 'बिटकॉइन' के रुप में हुई थी. इसको जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था. इसके बारे में सिर्फ इतनी ही जानकारी मिलती है. फिलहाल यह शख्स कहां है यह किसी को पता नहीं है.