जयपुर. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते घोषित किए गए लॉकडाउन ने प्रदेश के अन्नदाता की परेशानी बढ़ा दी है. गेहूं, चना सहित कुछ फसले कट कर तैयार होने के बावजूद मंडिया बंद होने से उसकी बिक्री नहीं हो पाई. जिससे किसान के मेहनत की कमाई ब्लॉक हो गई. बावजूद इसके हमारा किसान हारा नहीं और उसने अगली फसल की बुआई शुरू कर दी. लेकिन किसान डरा हुआ है कि यदि आगे भी हालात नहीं सुधरे, तो ना तो उसके पास अपना परिवार चलाने को कैसे बचेंगे और ना ही फसल उगाने के लिए. किसानों का क्या है डर जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पहुंची है खेतों में और जानी अन्नदाताओं की व्यथा.
अंतिम जमा पूंजी भी सब्जियों की फसल में झोंकी...
गेहूं और चने की कटाई के बाद अब किसान अगले दो माह अपने खेतों में सीजनेबल सब्जियों की फसलें बो रहे हैं. जिसमें ककड़ी, करेला, खीरा, गवार, बालोर, टमाटर और गवार-फली शामिल है. किसानों ने अपनी जमा पूंजी पहले तो गेहूं चना आदि की खेती में लगा दी, लेकिन फसल नहीं बिकने के कारण वह पैसा ब्लॉक हो गया. जो थोड़ी बहुत जमा पूंजी थी. उसे अब सब्जियों की फसलों बोने में लगा दी.
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फसल खराबी का सता रहा डर...
किसान को अब डर है कि यदि लॉकडाउन के चलते अगले एक डेढ़ महीने तक यही हालात रहे, तो सब्जियां भी मंडियों में नहीं बिक पाएगी और यदि ऐसे ही हालात रहे तो किसानों का कर्जा तो पड़ेगा ही, साथ ही अन्नदाता के लिए रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो जाएगा.
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ताकि लोगों का भर सकें पेट...
यही कारण है कि किसान ने सीजनेबल सब्जियों की फसल तो बो दी है. लेकिन इससे होने वाले उत्पादन का सही दाम किसानों को मिल जाएगा, इसकी उम्मीद फिलहाल किसानों को बहुत कम है. फिर भी अपनी अंतिम जमापूंजी लगाकर किसान ने ये रिस्क ले ही लिया, ताकि देश में खाद्यान्न का संकट ना हो.