जयपुर. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले सिंगल यूज़ प्लास्टिक से बने गिलास, चम्मच और प्लेट से लेकर झंडे-बैनर तक 1 जुलाई से पूरी तरह बैन होने जा रहे हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने इनके उत्पादन, भंडारण, वितरण और इस्तेमाल को पूरी तरह से बंद करने का आदेश दिया. इसके साथ ही प्रदेश में प्लास्टिक के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया गया. खास करके राजधानी के दोनों निगम ने अभियान चलाकर समझाइश शुरू कर दी है.
जागृत जयपुर की लॉन्चिंग के साथ पिछले 1 महीने से जिला प्रशासन और निगम प्रशासन अवेयरनेस प्रोग्राम चला रहा है. इस अवेयरनेस प्रोग्राम के तहत होटल- रेस्टोरेंट, मैरिज गार्डन संचालकों, व्यापारियों और विभिन्न एनजीओ के साथ इंटरेक्शन किया गया. इसके अलावा एक ऑडियो क्लिप जिंगल को डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर्स पर चलाया जा रहा है. इस संबंध में ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर महेंद्र सोनी ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक 1 जुलाई से भारत सरकार ने पूरे देश में बैन किया है. जयपुर में भी ये कानून इसी रूप में लागू होगा.
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सोनी ने इसे प्रवृत्ति (एप्टिट्यूड) से जुड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि इसमें जागृति बहुत ही जरूरी है, और फिर 1 जुलाई के बाद बड़े वायलेशंस पर प्रावधानों के तहत कठोरतम कार्रवाई की जाएगी. जबकि छोटे वायलेशन पर राजस्थान नगरपालिका अधिनियम के तहत जुर्माना लगाया जाएगा. इसके साथ ही सिंगल उस प्लास्टिक को रिप्लेस कर सकें, ऐसा वैकल्पिक मटेरियल भी खोजा जा रहा है. इसके लिए उन्होंने छोटे-बड़े जो भी एंटरप्रेन्योर इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उनको आगे आने की अपील की.
हेरिटेज नगर निगम के कमिश्नर अवधेश मीणा ने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर प्रत्येक जोन में टीमों का गठन कर दिया गया है. ये टीमें रोज फील्ड में उतरकर जागरूक भी कर रही हैं, और आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई भी की जा रही है. इसकी मुख्यालय स्तर पर मॉनिटरिंग भी की जा रही है. उन्होंने बताया कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने सिंगल यूज प्लास्टिक में जो वस्तुएं शामिल है, उन्हें नोटिफाई करते हुए प्रसारित किया जा रहा है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में हर दिन 1100 टन से ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट जनरेट हो रहा है. हालांकि 2010 में राजस्थान में प्लास्टिक को बैन किया गया था. नियमानुसार सख्ती बरतने का भी आदेश था. जिसके मुताबिक प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल करने वालों का चालान कर जुर्माना वसूलने और आवश्यकता पड़ने पर सीजर की कार्रवाई (जब्ती की कार्रवाई) की भी शक्तियां दी गईं.
प्लास्टिक वेस्ट की बात की जाए तो प्रदेश में हर दिन 15,000 मैट्रिक टन कचरा निकलता है. जिसमें से 20 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट शामिल है. वहीं जयपुर का टोटल वेस्ट 1400 मैट्रिक टन है जिसमें प्लास्टिक वेस्ट 280 मैट्रिक टन है. अभी भी डंपिंग यार्ड तक पहुंचने वाले कचरे में 20% तक प्लास्टिक निकल रही है, जिसे डिस्पोज करने के लिए वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट को लेकर एग्रीमेंट हो चुका है. इस वेस्ट से बिजली बनाकर उसे बेचा भी जाएगा. इसके अलावा 300 टन कैपेसिटी का एमआरएफ प्रोजेक्ट का भी टेंडर कर दिया गया है. इसमें प्लास्टिक वेस्ट को रिसाइकिल किया जा सकेगा. जयपुर में प्लास्टिक वेस्ट को इस्तेमाल करके रिफ्यूज ड्राइ फ्यूल भी बनाया जा रहा है. इसका इस्तेमाल सीमेंट प्लांट में हो रहा है.
ये हैं सिंगल यूज़ प्लास्टिक: 40 माइक्रोमीटर या उससे कम स्तर के प्लास्टिक को सिंगल यूज प्लास्टिक में शामिल किया गया हैं. इसका मतलब प्लास्टिक से बनी वो चीजें हैं, जो एक बार ही उपयोग में लाई जाती है और फेंक दी जाती है. जिसमें सब्जी की पॉलीथिन कैरीबैग, चाय के प्लास्टिक कप, चाट गोलगप्पे वाली प्लास्टिक प्लेट, बाजार से खरीदी पानी की बोतल, स्ट्रॉ, शादी पार्टियों में इस्तेमाल होने वाले डिस्पोजल सभी सिंगल यूज प्लास्टिक में आते हैं.
साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर देश को 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का लक्ष्य रखा था. जिसके बाद युद्ध स्तर पर सभी प्रदेशों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाते हुए, इसके विकल्प तलाशे गए. इस बीच कोरोना काल में दोबारा पॉलीथिन बैग, प्लास्टिक की बोतलें, फूड पैकेजिंग का धड़ल्ले से इस्तेमाल शुरू हो गया. यही नहीं सब्जी और फल विक्रेता भी कागज की थैलियां छोड़ एक बार फिर पॉलीथिन थैलियों को इस्तेमाल करने लगे.