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प्रदेश में लंपी से 50 हजार गायों की मौत, रोजाना 1200 से 1400 गाएं तोड़ रही दम

मवेशियों में फैले लंपी रोग से राजस्थान सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है. यहां अब तक 50 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी (Cows death due to lumpy disease) है. प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद रोजाना 1200 से 1400 गाएं लंपी से दम तोड़ रही हैं.

Cows death due to lumpy disease crossed 50000 mark in Rajasthan, daily toll is bigger
प्रदेश में लंपी से 50 हजार गायों की मौत, रोजाना 1200 से 1400 गाएं तोड़ रही दम
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Published : Sep 12, 2022, 5:10 PM IST

Updated : Sep 12, 2022, 7:20 PM IST

जयपुर. देश के कई राज्यों समेत राजस्थान में बीते करीब 2 महीने से गायों में लंपी डिजीज कहर बरपा रहा है. गायों के लिए प्राण घातक साबित हो रही इस बीमारी से अब तक राजस्थान में 29,24,157 गाय संक्रमित हुईं, जिनमें से 50,366 गायों की मौत हो गई. राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार शुरुआत में इस बीमारी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. नतीजा ये हुआ कि जो गाय देश की राजनीति में सबसे ज्यादा प्रभाव रखती हैं और गाय के नाम पर देश में सरकार बनती है, आज चुनाव नहीं है तो इन गायों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है.

राजस्थान में लंपी के हालात सबसे ज्यादा जटिल बने हुए हैं. जहां 50,000 से ज्यादा गायों की मौत लंपी से हो गई है. जबकि साल 2020 में देश में कोरोना फैला तो चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार तुरंत सक्रिय हुई और कोरोना की रोकथाम में जुट गई. नतीजा यह हुआ कि अकेले राजस्थान में जहां 1 करोड़ 31 लाख 12 हजार 216 लोग कोरोना संक्रमित हुए, तो सरकार के प्रयास के चलते कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भयावह नहीं हुआ और 2 साल में 9,629 लोगों की मौत हुई.

लंपी से गायों की मौत पर क्या किया सरकार ने दावा, क्या है हकीकत

पढ़ें: कोर्ट ने लंपी वायरस को लेकर सरकार को दिए निर्देश, कहा-आवारा पशुओं के लिए भी उठाएं कदम

जबकि बेजुबान गायों में तेजी से फैल रहे लम्पी ने 2 महीने में ही 50 हजार से ज्यादा गायों के प्राण लील लिए हैं. गायों की लगातार हो रही मौत को रोकने के लिए विभाग अब केवल वैक्सीनेशन पर निर्भर है. वहीं 730 पशुधन सहायक लगाकर भी वह इस बीमारी को रोकने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश की 11,00,000 लंपी संक्रमित गायों को कैसे बचाया जाए, यह अपने आप में बड़ी चुनौती है.

पढ़ें: लंपी से प्रदेश में 31 हजार से अधिक गायों की मौत, 19 जिलों में हुआ टीकाकरण

सरकारी आंकड़े 50 हजार, हकीकत में कहीं ज्यादाः प्रदेश में 50,000 से ज्यादा गाएं लम्पी से मर चुकी हैं. सरकारी आंकड़ों के इतर हकीकत में संक्रमण और गायों की मौत की संख्या कहीं ज्यादा है. सरकार के आंकड़े गौशालाओं और उन पशुपालकों के हैं जो गाय पालते हैं, लेकिन हर कोई जानता है कि प्रदेश में ऐसे गोवंश की संख्या कहीं ज्यादा है, जो न तो गौशाला में हैं और न ही पशुपालकों के पास. वे सड़कों पर घूम रही हैं और मर रही हैं, लेकिन उनके तो आंकड़े भी सरकार के पास उपलब्ध नहीं हैं.

पढ़ें: लंपी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के मुद्दे पर भाजपा और राज्य सरकार आमने-सामने

दावों से अलग है हकीकतः सरकार की ओर से लगातार यह दावे किए जा रहे हैं कि अब इस बीमारी के संक्रमण पर धीरे-धीरे काबू पाया जा रहा है और 10 दिन में इस बीमारी पर पूरा काबू हो जाएगा. लेकिन हकीकत यह है कि न तो ये 10 दिन ही पूरे हो रहे हैं और ना ही गायों की मौत का सिलसिला रुक रहा है. बीते 2 महीने के बीच में कुछ दिन ऐसे आए थे, जब लम्पी से मरने वाले गोवंश की संख्या 2000 या उससे ऊपर रही.

पढ़ें: Lumpy in Rajasthan: मंत्री कटारिया का दावा, टीके लगाने के साथ ही राजस्थान ने किया मृत्यु दर को काबू

लेकिन उसके बाद से लगातार यह संख्या 1200 से 1400 बनी हुई है, जो अब भी जारी है यानी कि रोजाना इस बीमारी से 1200 से 1400 गोवंश की मौत हो रही (daily death number of cows in Rajasthan) है. विभाग केवल यह कहकर अपनी पीठ थपथपा रहा है कि उसने 8,55,171 गायों को वैक्सीनेटेड कर दिया है. लेकिन सर्वविदित है कि वैक्सीन केवल उन गायों पर ही कारगर है जो इस बीमारी से संक्रमित नहीं हुई है. ऐसे में प्रदेश में आज भी 11,34,709 गाय लंपी डीजीज से संक्रमित हैं.

जयपुर. देश के कई राज्यों समेत राजस्थान में बीते करीब 2 महीने से गायों में लंपी डिजीज कहर बरपा रहा है. गायों के लिए प्राण घातक साबित हो रही इस बीमारी से अब तक राजस्थान में 29,24,157 गाय संक्रमित हुईं, जिनमें से 50,366 गायों की मौत हो गई. राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार शुरुआत में इस बीमारी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. नतीजा ये हुआ कि जो गाय देश की राजनीति में सबसे ज्यादा प्रभाव रखती हैं और गाय के नाम पर देश में सरकार बनती है, आज चुनाव नहीं है तो इन गायों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है.

राजस्थान में लंपी के हालात सबसे ज्यादा जटिल बने हुए हैं. जहां 50,000 से ज्यादा गायों की मौत लंपी से हो गई है. जबकि साल 2020 में देश में कोरोना फैला तो चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार तुरंत सक्रिय हुई और कोरोना की रोकथाम में जुट गई. नतीजा यह हुआ कि अकेले राजस्थान में जहां 1 करोड़ 31 लाख 12 हजार 216 लोग कोरोना संक्रमित हुए, तो सरकार के प्रयास के चलते कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भयावह नहीं हुआ और 2 साल में 9,629 लोगों की मौत हुई.

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जबकि बेजुबान गायों में तेजी से फैल रहे लम्पी ने 2 महीने में ही 50 हजार से ज्यादा गायों के प्राण लील लिए हैं. गायों की लगातार हो रही मौत को रोकने के लिए विभाग अब केवल वैक्सीनेशन पर निर्भर है. वहीं 730 पशुधन सहायक लगाकर भी वह इस बीमारी को रोकने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश की 11,00,000 लंपी संक्रमित गायों को कैसे बचाया जाए, यह अपने आप में बड़ी चुनौती है.

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सरकारी आंकड़े 50 हजार, हकीकत में कहीं ज्यादाः प्रदेश में 50,000 से ज्यादा गाएं लम्पी से मर चुकी हैं. सरकारी आंकड़ों के इतर हकीकत में संक्रमण और गायों की मौत की संख्या कहीं ज्यादा है. सरकार के आंकड़े गौशालाओं और उन पशुपालकों के हैं जो गाय पालते हैं, लेकिन हर कोई जानता है कि प्रदेश में ऐसे गोवंश की संख्या कहीं ज्यादा है, जो न तो गौशाला में हैं और न ही पशुपालकों के पास. वे सड़कों पर घूम रही हैं और मर रही हैं, लेकिन उनके तो आंकड़े भी सरकार के पास उपलब्ध नहीं हैं.

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दावों से अलग है हकीकतः सरकार की ओर से लगातार यह दावे किए जा रहे हैं कि अब इस बीमारी के संक्रमण पर धीरे-धीरे काबू पाया जा रहा है और 10 दिन में इस बीमारी पर पूरा काबू हो जाएगा. लेकिन हकीकत यह है कि न तो ये 10 दिन ही पूरे हो रहे हैं और ना ही गायों की मौत का सिलसिला रुक रहा है. बीते 2 महीने के बीच में कुछ दिन ऐसे आए थे, जब लम्पी से मरने वाले गोवंश की संख्या 2000 या उससे ऊपर रही.

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लेकिन उसके बाद से लगातार यह संख्या 1200 से 1400 बनी हुई है, जो अब भी जारी है यानी कि रोजाना इस बीमारी से 1200 से 1400 गोवंश की मौत हो रही (daily death number of cows in Rajasthan) है. विभाग केवल यह कहकर अपनी पीठ थपथपा रहा है कि उसने 8,55,171 गायों को वैक्सीनेटेड कर दिया है. लेकिन सर्वविदित है कि वैक्सीन केवल उन गायों पर ही कारगर है जो इस बीमारी से संक्रमित नहीं हुई है. ऐसे में प्रदेश में आज भी 11,34,709 गाय लंपी डीजीज से संक्रमित हैं.

Last Updated : Sep 12, 2022, 7:20 PM IST
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