जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी के मामले में अग्रिम जमानत मिलने के बावजूद भी एसीजेएम, खेतड़ी (झुंझुनू) की ओर से आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा कि संबंधित मजिस्ट्रेट को आपराधिक कानून की कम जानकारी है.
अदालत ने आदेश की कॉपी विजिलेंस रजिस्ट्रार को भेजते हुए कहा है कि वे प्रकरण को संबंधित कमेटी को भेजें, ताकि कमेटी तय कर सके कि ऐसे मजिस्ट्रेट के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश नानूराम सैनी और विनोद कुमार की याचिका पर दिए. वहीं, अदालत ने गिरफ्तारी वारंट रद्द कर याचिकाकर्ताओं को अग्रिम जमानत का लाभ दिया है.
याचिका में अधिवक्ता विद्युत गुप्ता और पवन शर्मा ने बताया कि खेतड़ी थाने में साल 2003 में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई थी. वहीं मामले में पुलिस की ओर से पेश एफआर के बाद परिवादी की प्रोटेस्ट पिटिशन भी खारिज हो गई. वहीं एडीजे कोर्ट ने 18 जुलाई 2018 को परिवादी की रिवीजन पर सुनवाई करते हुए प्रकरण को दोबारा सुनवाई के लिए एसीजेएम कोर्ट में भेज दिया.
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याचिका में कहा गया कि एसीजेएम कोर्ट ने गत वर्ष 11 जनवरी को प्रसंज्ञान लेते हुए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए. वहीं बाद में गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलने से भी इनकार कर दिया. याचिका में कहा गया कि एक बार अग्रिम जमानत मिलने के बाद वह मुकदमें में फैसला होने तक मान्य रहती है, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने संबंधित मजिस्ट्रेट के खिलाफ प्रकरण विजिलेंस में भेजते हुए याचिकाकर्ताओं को राहत दी है.