उदयपुर: पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि शिल्पग्राम महोत्सव जहां 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' का प्रतीक है. यहां देश के कोने-कोने से अपने उत्पाद लेकर आने वाले आर्टिजन कई वर्षों से 'वोकल फॉर लोकल' का संदेश देते हैं. वे मंगलवार शाम यहां हवाला-रानी रोड स्थित शिल्पग्राम में मुक्ताकाशी मंच पर सांस्कृतिक समारोह में जुटे सैकड़ों लोक कला प्रेमियों काे संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि यहां आने वाले कलाकार सम्मानीय हैं, जो प्राचीन भारतीय संस्कृति को आज भी अक्षुण्ण रखे हुए हैं. उन्होंने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान और उनकी टीम की महोत्सव के सफल आयोजन के लिए सराहना की. कटारिया ने कहा कि मुझे उदयपुर ने पाल-पोसकर बड़ा किया. 'उदयपुर की जनता के प्यार की बदौलत ही आज मैं बना हूं. मैं वादा करता हूं कि मैं कहीं भी रहूं, उदयपुर और मेवाड़ का गौरव नहीं गिरने दूंगा'.
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चरी, लावणी, पुरुलिया छाऊ आदि लोकनृत्य छाए: शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी मंच पर राजस्थानी गुर्जर समुदाय के चरी डांस में सिर पर जलती आग वाली चरी लिए नृत्यांगनाओं ने दर्शकों को खूब रोमांचित किया. उनको सिर पर चरी के साथ बैठकर, आगे की ओर झुक कर नृत्य करते देख दर्शकों ने खूब तालियां बजाई. वहीं, गुजराती आदिवासी डांस राठवा की धूम और रोमांचक प्रदर्शन पर दर्शक झूमने लगे. हिमाचल प्रदेश के सिरमौरी नाटी और कर्नाटक के देवी उपासना के नृत्य पूजा कुनिथा ने शिल्पग्राम का माहौल भक्तिरस से सराबोर कर दिया. कश्मीर के लोक नृत्य रौफ में डांसर्स के सुंदर समन्वय और 'बुमरो बुमरो श्याम रंग बुमरो' के गीत-संगीत पर दर्शकों ने खूब लुत्फ उठाया. गुजरात के तलवार रास ने जहां देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदों के युद्ध कौशल के प्रदर्शन से दर्शक खूब रोमांचित हुए, तो मणिपुरी लाई हारोबा डांस ने लोगों का मन जीतने के साथ ही खूब तालियां बटोरी. इनके साथ ही उत्तर प्रदेश के ढेडिया डांस में डांसर्स की सुंदर भाव-भंगिमाओं ने दर्शकों को खूब रिझाया. प्रसिद्ध भवाई नृत्य में डांसर्स के रोमांचक करतब देख लोक कला प्रेमी हतप्रभ ही नहीं हुए, बल्कि हर खूबसूरत करतब पर जमकर तालियां बजाई. वहीं, आदिवासी सहरिया स्वांग और पंजाबी लुड्डी ने भी दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी. पश्चिम बंगाल के पुरुलिया छाऊ लोक नृत्य ने भी कला प्रेमियों का दिल जीत लिया.
कल के नए आकर्षण: पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि शिल्पग्राम में बुधवार को ओडिशा का भगवान जगन्नाथ को रिझाने के लिए किया जाने वाला नृत्य गोटीपुआ, रेगिस्तान का मांगणियार गायन, मणिपुर का पुंग ढोल चेलम और पश्चिम बंगाल का राय बेंस दर्शकों का मन मोहेंगे. इन लोक नृत्यों में गोटीपुआ और राय बेंस डांस में दर्शकों को एक्रोबेटिक एक्शन भी रिझाएंगे. इनके आलावा भारतीय पारंपरिक खेल मलखंभ के करतब देख कर भी मेलार्थी रोमांचित होंगे.