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सहकारिता अधिकरण में सदस्य नियुक्त करने पर लगी रोक कोर्ट ने हटाई - advocate quota

राजस्थान हाईकोर्ट ने सहकारिता अधिकरण में सदस्य को नियुक्त करने पर लगाई गई रोक को हटा लिया है. दायर प्रार्थना पत्र में कहा गया कि अधिकरण में सदस्य पद पर पांच साल के लिए नियुक्ति की जाती है और याचिकाकर्ता का कार्यकाल जून 2018 में पूरा हो चुका है.

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सहकारिता अधिकरण में सदस्य नियुक्त करने पर लगी रोक हटी
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Published : Sep 2, 2021, 7:30 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सहकारिता अधिकरण में अधिवक्ता कोटे से नियुक्त होने वाले सदस्य पद पर नियुक्ति देने पर लगी रोक को हटा लिया है. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने भर्ती में शामिल होने के बाद उस पर रोक लगाने के लिए याचिका पेश की है. न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश मुश्ताक मोहम्मद की याचिका में सुरेश शर्मा की ओर से स्टे हटाने को लेकर दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि अधिकरण में सदस्य पद पर पांच साल के लिए नियुक्ति की जाती है. याचिकाकर्ता का कार्यकाल जून 2018 में पूरा हो चुका है. वहीं उसके कार्यकाल को अवैध रूप से बढ़ाया गया है. कोरोना के दौरान राज्य सरकार ने भर्ती विज्ञापन जारी कर याचिकाकर्ता सहित अन्य का साक्षात्कार ले लिया, लेकिन बाद में उसका परिणाम जारी नहीं किया गया. इसके बाद राज्य सरकार ने 11 नवंबर 2020 को पुन: आवेदन मांग लिए, जिसमें याचिकाकर्ता और प्रार्थना पत्र पेश करने वाले सुरेश शर्मा ने आवेदन किया.

पढ़ें: सरकारी जमीन पर पेट्रोल पंप आवंटन पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

आवेदन के बाद याचिकाकर्ता ने कोरोना काल में निकाली गई भर्ती में स्वयं के चयनित होने का दावा करते हुए नई भर्ती को रद्द करने के लिए याचिका पेश कर दी. जिस पर एकलपीठ ने गत आठ जनवरी को नियुक्ति देने पर रोक लगा दी. प्रार्थना पत्र में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने नई भर्ती की प्रक्रिया में शामिल होने के बाद उस पर रोक लगाने के लिए याचिका पेश की है. ऐसे में एक बार प्रक्रिया में शामिल होने के बाद उसे रद्द नहीं करवाया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने नियुक्ति देने पर लगी रोक को हटा लिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सहकारिता अधिकरण में अधिवक्ता कोटे से नियुक्त होने वाले सदस्य पद पर नियुक्ति देने पर लगी रोक को हटा लिया है. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने भर्ती में शामिल होने के बाद उस पर रोक लगाने के लिए याचिका पेश की है. न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश मुश्ताक मोहम्मद की याचिका में सुरेश शर्मा की ओर से स्टे हटाने को लेकर दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि अधिकरण में सदस्य पद पर पांच साल के लिए नियुक्ति की जाती है. याचिकाकर्ता का कार्यकाल जून 2018 में पूरा हो चुका है. वहीं उसके कार्यकाल को अवैध रूप से बढ़ाया गया है. कोरोना के दौरान राज्य सरकार ने भर्ती विज्ञापन जारी कर याचिकाकर्ता सहित अन्य का साक्षात्कार ले लिया, लेकिन बाद में उसका परिणाम जारी नहीं किया गया. इसके बाद राज्य सरकार ने 11 नवंबर 2020 को पुन: आवेदन मांग लिए, जिसमें याचिकाकर्ता और प्रार्थना पत्र पेश करने वाले सुरेश शर्मा ने आवेदन किया.

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आवेदन के बाद याचिकाकर्ता ने कोरोना काल में निकाली गई भर्ती में स्वयं के चयनित होने का दावा करते हुए नई भर्ती को रद्द करने के लिए याचिका पेश कर दी. जिस पर एकलपीठ ने गत आठ जनवरी को नियुक्ति देने पर रोक लगा दी. प्रार्थना पत्र में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने नई भर्ती की प्रक्रिया में शामिल होने के बाद उस पर रोक लगाने के लिए याचिका पेश की है. ऐसे में एक बार प्रक्रिया में शामिल होने के बाद उसे रद्द नहीं करवाया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने नियुक्ति देने पर लगी रोक को हटा लिया है.

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