जयपुर. जल जीवन मिशन (jal jeevan mission) के तहत होने वाले कामों में उपयोग में आने वाले नलकूप के पाइपों में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी पहुंच गई है. जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने मामले की जांच मुख्य अभियंता ग्रामीण को सौंपी है.
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मुख्य अभियंता ग्रामीण ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं को पत्र लिखकर 18 जून को तीन बजे तक रिपोर्ट मांगी है. पत्र में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पत्र का हवाला भी दिया गया है. सुधांश पंत ने एक शिकायती पत्र भी मुख्य अभियंता ग्रामीण को भेजा है. एसीएस ने बताया कि जल जीवन मिशन में उपयोग में आने वाले नलकूपों के पाइपों में भ्रष्टाचार किया जा रहा है. इस संबंध में अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से रिपोर्ट मांगी गई है. यह रिपोर्ट अतिरिक्त मुख्य सचिव को 10 जून तक देनी है. इसलिए सभी अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं से फर्जीवाड़े की रिपोर्ट मांगी गई है.
एसीएस सुधांश पंत ने बताया कि नलकूप के लिए आईएस 4270 के तहत उच्च गुणवत्ता का पाइप उपयोग में लेना है. 6 मीटर पाइप का वजन 70 किलो होना चाहिए. इसमें टोलरेंस लगाकर वजन कम से कम 157 किलो होना चाहिए. विभाग की ओर से पाइप की दर 1841 रुपये प्रति मीटर तय की गई थी. इस पाइप का रेट बाजार में 2224 प्रति मीटर है. ठेकेदारों ने 25 प्रतिशत कम रेट पर यह टेंडर हासिल किए हैं. ठेकेदारों को पाइप के 1380 रुपए प्रति मीटर की दर से भुगतान किया जाएगा. इस तरह से प्रति मीटर ठेकेदारों को 844 रुपये प्रति मीटर घाटा होगा.
यदि नलकूप में 150 मीटर का पाइप लगेगा तो 25 फीसदी कम दर पर उन्हें करीब 126600 रुपये का घाटा होगा. यदि विभाग की रेट पर भी यह पाइप लगाया जाता है तो 150 मीटर पाइप लगाने में ठेकेदार को 60 हजार का घाटा होगा. ऐसे में ठेकेदार 25% कम रेट पर लाभ कैसे कमा रहे हैं और 20 से 30 लाख की गाड़ियों में कैसे घूम रहे हैं. जल जीवन मिशन की वे निविदाएं जांच का विषय हैं. जिसमें दरें विभाग की दर से भी कम और 25 फीसदी से कम तक डाली गई हैं.