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स्पेशल रिपोर्टः कोरोना के 'मांद' में घुसकर जिंदगियां बचा रहे ये योद्धा

पूरा देश पूरी ताकत से कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है. शायद यही वजह है कि दुनिया भर से आने वाली तस्वीरों के मुकाबले भारत की हालत बेहतर है. लेकिन इस हालत को बेहतर बनाने के लिए देश में हजारों कोरोना योद्धा अपनी जिंदगी और परिवार को दांव में लगाकर लड़ रहे हैं. इन योद्धाओं से पूरे देश को ताकत मिल रही है. इन्हीं नामों में से एएनएम राजेश्वरी, 8 कंपाउंडर दिलखुश और उनकी पत्नी और डॉ. बुंदेला का नाम भी शामिल है.

Corona warrior, कोरोना के योद्धा
योद्धा जो कोरोना को हराने के लिए लड़ रहे हैं.
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Published : Apr 18, 2020, 8:33 PM IST

Updated : Apr 18, 2020, 8:49 PM IST

जयपुर: राजस्थान के पाली जिले के देसूरी-पहाड़ी इलाके में कार्यरत एएनएम राजेश्वरी पेट में पल रहे 9 महीने के गर्भ के साथ गांव-गांव जाकर अपनी सेवाएं दे रही हैं. राजेश्वरी अलग-अलग गांवों में जाकर बाहर से आने वाले 177 से ज्यादा लोगों की जांच करने के बाद होम आइसोलेट कर चुकी है.

योद्धा जो कोरोना को हराने के लिए लड़ रहे हैं.

ANM राजेश्वरी चौधरी के इस जज्बे की जमकर तारिफ हो रही है. ऐसी ही कुछ कहानी भीलवाड़ा के इस घर में कैद 7 साल की इस मासूम बच्ची दीक्षिता की है. दीक्षिता के पिता दिलखुश कंपाउंडर के पद पर कार्यरत पिछले 17 दिनों से दीक्षिता पापा से नहीं मिल सकी है. मां कंवर, महिला पुलिस रक्षक दल में पुलिस कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं, जो हर दिन बेटी को 8 घंटे के लिए घर में कैद कर ड्यूटी के लिए जाती हैं.

ये भी पढ़ें: टिड्डी रिटर्नः धरतीपुत्रों पर छा रहा संकट का बादल...खेतों में मंडरा रहा टिड्डी दल

इस मासूम को हर दिन मां के घर लौटने का बेसब्री से इंतजार रहता है. वक्त से पहले ही घर के गेट पर जाकर मां के आने की राह देखती रहती है. 7 साल की इस छोटी सी उम्र में दिक्षिता शायद यह समझती है कि उसके मां-बाप उसके जैसी हजारों जिंदगियों को सुरक्षा और जिंदगी देने में लगे हैं. दीक्षिता को परेशानी तो है लेकिन फिर भी शिकायत नहीं. कंपाउंडर पिता दिलखुश और मां कंवर के साथ ही दीक्षिता की पूरे देश में चर्चा हो रही है. और यह चर्चा कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जज्बा पैदा करती करती है.

ये भी पढ़ें: डिस्कॉम ऑफरः कहां मिलेगी छूट और किसे भरनी होगी पेनल्टी...पढ़े पूरी रिपोर्ट

अजमेर जिले के धोला भाटा इलाके में रहने वाले डॉ. G.S बुंदेला भी एक ऐसे कोरोना योद्धा बन चुके है जो फोन करने पर ही घर में जाकर लोगों का उपचार कर रहे हैं. बुंदेला हर सुबह 9 बजे घर से निकल हैं और रात 9 बजे तक घर लौटते हैं.

एक दिन में 40 से 50 से ज्यादा घरों में जाकर लोगों का चेकप कर रहे हैं. ANM राजेश्वरी, दीक्षिता और जी.एस बुंदेला जैसी ऐसी हजारों कहानियां है जो इस मुश्किल की घड़ी में कोरोना से लड़ने के लिए ताकत और साहस देती हैं. देश से ऐसी भी हलांकि कई तस्वीरें सामने आई जहां पुलिस और डॉक्टर्स के के साथ गलत बर्ताव किया गया, लेकिन देश और फर्ज के लिए ये योद्धा अपनी जीत के लिए बढ़ते जा रहे हैं.

जयपुर: राजस्थान के पाली जिले के देसूरी-पहाड़ी इलाके में कार्यरत एएनएम राजेश्वरी पेट में पल रहे 9 महीने के गर्भ के साथ गांव-गांव जाकर अपनी सेवाएं दे रही हैं. राजेश्वरी अलग-अलग गांवों में जाकर बाहर से आने वाले 177 से ज्यादा लोगों की जांच करने के बाद होम आइसोलेट कर चुकी है.

योद्धा जो कोरोना को हराने के लिए लड़ रहे हैं.

ANM राजेश्वरी चौधरी के इस जज्बे की जमकर तारिफ हो रही है. ऐसी ही कुछ कहानी भीलवाड़ा के इस घर में कैद 7 साल की इस मासूम बच्ची दीक्षिता की है. दीक्षिता के पिता दिलखुश कंपाउंडर के पद पर कार्यरत पिछले 17 दिनों से दीक्षिता पापा से नहीं मिल सकी है. मां कंवर, महिला पुलिस रक्षक दल में पुलिस कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं, जो हर दिन बेटी को 8 घंटे के लिए घर में कैद कर ड्यूटी के लिए जाती हैं.

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इस मासूम को हर दिन मां के घर लौटने का बेसब्री से इंतजार रहता है. वक्त से पहले ही घर के गेट पर जाकर मां के आने की राह देखती रहती है. 7 साल की इस छोटी सी उम्र में दिक्षिता शायद यह समझती है कि उसके मां-बाप उसके जैसी हजारों जिंदगियों को सुरक्षा और जिंदगी देने में लगे हैं. दीक्षिता को परेशानी तो है लेकिन फिर भी शिकायत नहीं. कंपाउंडर पिता दिलखुश और मां कंवर के साथ ही दीक्षिता की पूरे देश में चर्चा हो रही है. और यह चर्चा कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जज्बा पैदा करती करती है.

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अजमेर जिले के धोला भाटा इलाके में रहने वाले डॉ. G.S बुंदेला भी एक ऐसे कोरोना योद्धा बन चुके है जो फोन करने पर ही घर में जाकर लोगों का उपचार कर रहे हैं. बुंदेला हर सुबह 9 बजे घर से निकल हैं और रात 9 बजे तक घर लौटते हैं.

एक दिन में 40 से 50 से ज्यादा घरों में जाकर लोगों का चेकप कर रहे हैं. ANM राजेश्वरी, दीक्षिता और जी.एस बुंदेला जैसी ऐसी हजारों कहानियां है जो इस मुश्किल की घड़ी में कोरोना से लड़ने के लिए ताकत और साहस देती हैं. देश से ऐसी भी हलांकि कई तस्वीरें सामने आई जहां पुलिस और डॉक्टर्स के के साथ गलत बर्ताव किया गया, लेकिन देश और फर्ज के लिए ये योद्धा अपनी जीत के लिए बढ़ते जा रहे हैं.

Last Updated : Apr 18, 2020, 8:49 PM IST
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