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Special: कोरोना काल का बच्चों के पढ़ाई के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी असर, स्कूल के साथ खुली तंदुरुस्ती की राह

कोरोना काल में करीब 10 महीने तक स्कूल बंद रहने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है. अब स्कूल खुलने के बाद बच्चों की तंदुरुस्ती की राह भी खुल गई है. स्कूल खुलने के बाद ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई, देखिए ये रिपोर्ट...

Effect of corona on school children, Corona effect
स्कूल के साथ खुली तंदुरुस्ती की राह
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Published : Mar 1, 2021, 2:05 PM IST

जयपुर. कोरोना काल में करीब 10 महीने तक स्कूल बंद रहने से ना केवल बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई बल्कि बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है. बच्चे ना केवल एकाकीपन और बोरियत से जूझ रहे थे बल्कि उनकी दिनचर्या भी अस्त-व्यस्त हो गई थी. लेकिन, अब स्कूल खुलने के बाद बच्चों की तंदुरुस्ती की राह भी प्रशस्त हुई है. स्कूल खुलने के बाद ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है.

स्कूल के साथ खुली तंदुरुस्ती की राह

पढ़ें- SPECIAL : मजदूरी करने वाले किसान ने पॉली हाउस लगाकर की खेती...अब खेत उगल रहे सोना

बच्चों और शिक्षकों के साथ ही अभिभावकों ने भी यह बात स्वीकार की है कि स्कूल खुलने से पढ़ाई तो सुचारू हुई ही है, इसके साथ ही उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी सुचारू हुआ है. अभिभावकों का यह भी कहना है कि कोरोना संक्रमण का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. इसलिए इससे बच्चों को बचाने के लिए सभी प्रयास अभिभावकों के स्तर पर और स्कूल के स्तर पर भी किए जा रहे हैं.

डाउट नहीं होता था क्लियर

राजधानी जयपुर की रामदेव पोद्दार राजकीय उच्च मध्यमिक स्कूल के विद्यार्थी भवानी सिंह का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेज में पढ़ाई तो हो जाती थी, लेकिन कोई सवाल पूछना होता या किसी टॉपिक पर कोई डाउट होता तो वह क्लियर नहीं हो पाता था. कई बार तो नेटवर्क की कनेक्टिविटी प्रॉपर नहीं होने से भी पढ़ाई में व्यवधान आता था. अब जब स्कूल खुल गए हैं तो पढ़ाई सुचारू हो पा रही है. क्लास में को इंटरेक्शन होता है, उससे किसी भी टॉपिक को समझना आसान होता है. उनका यह भी कहना है कि 40 फीसदी कोर्स कम करने से पढ़ाई का प्रेशर स्वाभाविक रूप से कम हुआ है.

कोरोना संक्रमण से बचने का कर रहे प्रयास

विद्यार्थी विपिन का कहना है कि अभी कोरोना संक्रमण का खतरा टला नहीं है. इसलिए पूरी एहतियात बरत रहे हैं. टिफिन के साथ ही पानी की बोतल भी घर से ला रहे हैं. पूरे समय मास्क लगाकर रखते हैं और सैनेटाइजर भी हमेशा साथ रखते हैं. उनका कहना है कि स्कूल में भी जगह-जगह साबुन से हाथ धोने और सैनेटाइज करने की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही क्लासरूम में शारीरिक दूरी का पालन कर और अलग-अलग लंच कर भी वे कोरोना संक्रमण से अपने आप को महफूज रखने का प्रयास कर रहे हैं.

पढ़ें- SPECIAL : अंगदान की है जरूरत...प्रदेश में सिर्फ 41 कैडेवर डोनेशन, अंग के लिए तरसते मरीजों की लिस्ट लंबी

ऑनलाइन पढ़ाई में होती थी परेशानी

छात्रा नेहा चाहर बताती हैं कि जब वह घर पर रहकर ऑनलाइन पढ़ाई करती थी तो काफी परेशानी भी उठानी पड़ती थी. कभी नेटवर्क की समस्या तो कभी कुछ और दिक्कत, लेकिन जब से स्कूल खुली है पढ़ाई तो सुचारू हुई ही है इसके साथ ही घर पर होने वाली बोरियत भी दूर हुई है. उनका यह भी कहना है कि क्लासरूम में जो टीचर पढ़ाते हैं उसका मुकाबला ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सकती है.

बोरियत होता था महसूस

छात्रा अनु कंवर का कहना है कि घर पर ऑनलाइन पढ़ाई करते समय बोरियत और एकाकीपन की महसूस होता था. कुछ पूछना होता तो वह भी पूछ नहीं पाते थे. अब स्कूल में ऑफलाइन पढ़ाई हो रही है तो हर टॉपिक को अच्छे से समझ पा रहे हैं.

बच्चों से नहीं हो पाता था इंटरेक्शन

रामदेव पोद्दार स्कूल के प्रधानाचार्य प्रभाकर इंदौरिया का कहना है कि ऑनलाइन क्लास के दौरान हम जो ई कंटेंट बच्चों को भेजते थे, उसमें बच्चों से इंटरेक्शन नहीं हो पाता था और वो सवाल-जवाब नहीं कर पाते थे. क्लास में पढ़ाई के दौरान जो भावनात्मक संबल मिलता है, वह भी ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चों को नहीं मिल पाता है. वे कहते हैं कि शिक्षक-अभिभावक बैठक में कई अभिभावकों ने बताया कि बच्चे घर पर रहकर परेशान होते और चिड़चिड़ापन उन पर हावी हो रहा था.

बच्चे विकार और अवसाद का हो रहे थे शिकार

दिनचर्या खराब होने के साथ ही बच्चे सोशल मीडिया पर भी ज्यादा समय बिता रहे थे. इन सबके चलते बच्चे विकार और अवसाद का भी शिकार हो रहे थे, जबकि स्कूल खुलने के बाद बच्चे ज्यादा प्रसन्न रहते हैं. अभिभावक यह भी बताते हैं कि बच्चों को खुलकर भूख लगती है और दिनचर्या भी सुचारू चल रही है. इससे उनकी पढ़ाई और सीखने पर भी सकारात्मक असर दिख रहा है. उनका कहना है कि स्कूल खुलने से बच्चों की पढ़ाई के साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर हुआ है.

पढ़ें- SPECIAL : प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों को विदेशी भाषाएं सिखाने की तैयारी, सरकार तक पहुंचा प्रस्ताव

नेटवर्क की समस्या

शिक्षक बताते हैं कि पेरेंट्स मीटिंग में बच्चों और अभिभावकों से बात की तो सामने आया कि ऑनलाइन क्लास के दौरान मोबाइल में नेटवर्क की समस्या आम थी. इसके साथ ही घर में एक मोबाइल होने के कारण भी बच्चों की पढ़ाई पर असर होने की बात सामने आया है. बच्चों के पिता काम के सिलसिले में बाहर जाते तो बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती थी. इस तरह की तमाम समस्याओं के चलते बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था.

स्कूल खुलने के बाद बच्चे खुश

वहीं, अब जब से स्कूल वापस खुले हैं तब से बच्चों की दिनचर्या सुव्यवस्थित होने के साथ ही शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी कम हुई है. इससे उनके शारीरिक विकास भी सुचारू हुआ है. यही कारण है कि स्कूल खुलने के बाद बच्चे भी खुश हैं. हालांकि, अभिभावकों का यह भी कहना है कि कोरोना संक्रमण का खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है. इसलिए बच्चों को कोरोना के खतरे से बचाने के लिए हरसंभव एहतियात बरती जा रही है.

जयपुर. कोरोना काल में करीब 10 महीने तक स्कूल बंद रहने से ना केवल बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई बल्कि बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है. बच्चे ना केवल एकाकीपन और बोरियत से जूझ रहे थे बल्कि उनकी दिनचर्या भी अस्त-व्यस्त हो गई थी. लेकिन, अब स्कूल खुलने के बाद बच्चों की तंदुरुस्ती की राह भी प्रशस्त हुई है. स्कूल खुलने के बाद ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है.

स्कूल के साथ खुली तंदुरुस्ती की राह

पढ़ें- SPECIAL : मजदूरी करने वाले किसान ने पॉली हाउस लगाकर की खेती...अब खेत उगल रहे सोना

बच्चों और शिक्षकों के साथ ही अभिभावकों ने भी यह बात स्वीकार की है कि स्कूल खुलने से पढ़ाई तो सुचारू हुई ही है, इसके साथ ही उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी सुचारू हुआ है. अभिभावकों का यह भी कहना है कि कोरोना संक्रमण का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. इसलिए इससे बच्चों को बचाने के लिए सभी प्रयास अभिभावकों के स्तर पर और स्कूल के स्तर पर भी किए जा रहे हैं.

डाउट नहीं होता था क्लियर

राजधानी जयपुर की रामदेव पोद्दार राजकीय उच्च मध्यमिक स्कूल के विद्यार्थी भवानी सिंह का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेज में पढ़ाई तो हो जाती थी, लेकिन कोई सवाल पूछना होता या किसी टॉपिक पर कोई डाउट होता तो वह क्लियर नहीं हो पाता था. कई बार तो नेटवर्क की कनेक्टिविटी प्रॉपर नहीं होने से भी पढ़ाई में व्यवधान आता था. अब जब स्कूल खुल गए हैं तो पढ़ाई सुचारू हो पा रही है. क्लास में को इंटरेक्शन होता है, उससे किसी भी टॉपिक को समझना आसान होता है. उनका यह भी कहना है कि 40 फीसदी कोर्स कम करने से पढ़ाई का प्रेशर स्वाभाविक रूप से कम हुआ है.

कोरोना संक्रमण से बचने का कर रहे प्रयास

विद्यार्थी विपिन का कहना है कि अभी कोरोना संक्रमण का खतरा टला नहीं है. इसलिए पूरी एहतियात बरत रहे हैं. टिफिन के साथ ही पानी की बोतल भी घर से ला रहे हैं. पूरे समय मास्क लगाकर रखते हैं और सैनेटाइजर भी हमेशा साथ रखते हैं. उनका कहना है कि स्कूल में भी जगह-जगह साबुन से हाथ धोने और सैनेटाइज करने की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही क्लासरूम में शारीरिक दूरी का पालन कर और अलग-अलग लंच कर भी वे कोरोना संक्रमण से अपने आप को महफूज रखने का प्रयास कर रहे हैं.

पढ़ें- SPECIAL : अंगदान की है जरूरत...प्रदेश में सिर्फ 41 कैडेवर डोनेशन, अंग के लिए तरसते मरीजों की लिस्ट लंबी

ऑनलाइन पढ़ाई में होती थी परेशानी

छात्रा नेहा चाहर बताती हैं कि जब वह घर पर रहकर ऑनलाइन पढ़ाई करती थी तो काफी परेशानी भी उठानी पड़ती थी. कभी नेटवर्क की समस्या तो कभी कुछ और दिक्कत, लेकिन जब से स्कूल खुली है पढ़ाई तो सुचारू हुई ही है इसके साथ ही घर पर होने वाली बोरियत भी दूर हुई है. उनका यह भी कहना है कि क्लासरूम में जो टीचर पढ़ाते हैं उसका मुकाबला ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सकती है.

बोरियत होता था महसूस

छात्रा अनु कंवर का कहना है कि घर पर ऑनलाइन पढ़ाई करते समय बोरियत और एकाकीपन की महसूस होता था. कुछ पूछना होता तो वह भी पूछ नहीं पाते थे. अब स्कूल में ऑफलाइन पढ़ाई हो रही है तो हर टॉपिक को अच्छे से समझ पा रहे हैं.

बच्चों से नहीं हो पाता था इंटरेक्शन

रामदेव पोद्दार स्कूल के प्रधानाचार्य प्रभाकर इंदौरिया का कहना है कि ऑनलाइन क्लास के दौरान हम जो ई कंटेंट बच्चों को भेजते थे, उसमें बच्चों से इंटरेक्शन नहीं हो पाता था और वो सवाल-जवाब नहीं कर पाते थे. क्लास में पढ़ाई के दौरान जो भावनात्मक संबल मिलता है, वह भी ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चों को नहीं मिल पाता है. वे कहते हैं कि शिक्षक-अभिभावक बैठक में कई अभिभावकों ने बताया कि बच्चे घर पर रहकर परेशान होते और चिड़चिड़ापन उन पर हावी हो रहा था.

बच्चे विकार और अवसाद का हो रहे थे शिकार

दिनचर्या खराब होने के साथ ही बच्चे सोशल मीडिया पर भी ज्यादा समय बिता रहे थे. इन सबके चलते बच्चे विकार और अवसाद का भी शिकार हो रहे थे, जबकि स्कूल खुलने के बाद बच्चे ज्यादा प्रसन्न रहते हैं. अभिभावक यह भी बताते हैं कि बच्चों को खुलकर भूख लगती है और दिनचर्या भी सुचारू चल रही है. इससे उनकी पढ़ाई और सीखने पर भी सकारात्मक असर दिख रहा है. उनका कहना है कि स्कूल खुलने से बच्चों की पढ़ाई के साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर हुआ है.

पढ़ें- SPECIAL : प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों को विदेशी भाषाएं सिखाने की तैयारी, सरकार तक पहुंचा प्रस्ताव

नेटवर्क की समस्या

शिक्षक बताते हैं कि पेरेंट्स मीटिंग में बच्चों और अभिभावकों से बात की तो सामने आया कि ऑनलाइन क्लास के दौरान मोबाइल में नेटवर्क की समस्या आम थी. इसके साथ ही घर में एक मोबाइल होने के कारण भी बच्चों की पढ़ाई पर असर होने की बात सामने आया है. बच्चों के पिता काम के सिलसिले में बाहर जाते तो बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती थी. इस तरह की तमाम समस्याओं के चलते बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था.

स्कूल खुलने के बाद बच्चे खुश

वहीं, अब जब से स्कूल वापस खुले हैं तब से बच्चों की दिनचर्या सुव्यवस्थित होने के साथ ही शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी कम हुई है. इससे उनके शारीरिक विकास भी सुचारू हुआ है. यही कारण है कि स्कूल खुलने के बाद बच्चे भी खुश हैं. हालांकि, अभिभावकों का यह भी कहना है कि कोरोना संक्रमण का खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है. इसलिए बच्चों को कोरोना के खतरे से बचाने के लिए हरसंभव एहतियात बरती जा रही है.

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