जयपुर. राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी को लेकर मुख्यमंत्री के सलाहकार और विधायक दानिश अबरार की नाराजगी का मुद्दा अब तूल पकड़ रहा है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने (Gulab Chand Kataria on Gehlot Government) इस मामले में कहा कि अब जब सत्तारूढ़ दल के विधायक और खुद मुख्यमंत्री के सलाहकार ही ब्यूरोक्रेट्स की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं तो इस बात को समझ जाना चाहिए कि प्रदेश में जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं हो रही.
कटारिया ने कहा कि खुद मुख्यमंत्री विभागों में भ्रष्टाचार की बात को स्वीकार कर चुके हैं और अब उनके ही विधायक ब्यूरोक्रेट्स पर (BJP on Danish Abrar Statement) जनप्रतिनिधियों की अनदेखी का आरोप लगाकर सरकारी समारोह में ही काले झंडे दिखाने का ऐलान कर रहे हैं. इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात कुछ हो ही नहीं सकती.
लाभ के पदों पर असंवैधानिक नियुक्तियों पर पुनर्विचार कर अबरार को करें बर्खास्त : राजेंद्र राठौड़
वहीं, इस मामले में विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने भी एक ट्वीट कर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री पर (Rajendra Rathore Targeted CM Gehlot) निशाना साधा है. राठौड़ ने कहा कि अपनी सरकार के कार्यक्रम का विरोध करने वाले विधायक दानिश अबरार के विरोध का स्वर का संक्रमण कहीं अन्य सलाहकारों में न फैल जाए.
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राठौड़ ने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पत्र भेजा है, जिसमें दानिश अबरार को बर्खास्त करने और असंवैधानिक रूप से लाभ के पदों पर नियुक्त किए गए लोगों के संबंध में पुनर्विचार करने की मांग की गई है. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में राठौड़ ने मुख्यमंत्री सलाहकारों की नियुक्तियों को भी अवैधानिक बताया तो वहीं 20 सूत्री कार्यक्रमों में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों को उपाध्यक्ष बनाए जाने का भी विरोध किया.
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गौरतलब है कि सवाईमाधोपुर से कांग्रेस के विधायक दानिश अबरार ने सवाईमाधोपुर में होने वाली रीको की इन्वेस्टर समिट कार्यक्रम (Business Meet Event in Sawai Madhopur) के इनविटेशन कार्ड में मुख्यमंत्री, उद्योग मंत्री और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का नाम नहीं होने पर आपत्ति उठाते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर (Danish Abrar Wrote a Letter to Gehlot) इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने और काले झंडे दिखाए जाने का ऐलान किया था. इस पर अब सियासत गरमा गई है.