जयपुर. राजस्थान में हुई राजनीतिक उठापटक के बाद 15 जुलाई 2020 को सभी जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ ही जिला कार्यकारिणी और ब्लॉक कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया था. अभी राजस्थान में 39 जिला अध्यक्ष और जिला कार्यकारिणीयों के साथ ही 400 ब्लॉक अध्यक्षों और उनकी कार्यकारिणी की नियुक्ति का इंतजार हो रहा है.
इसी बीच जब जयपुर शहर जिला कांग्रेस के लेटरहेड पर 1 अप्रैल को बनीपार्क ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष और जयपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव ने कौशलेंद्र अत्रे को वार्ड 34 का अध्यक्ष बनाया तो विवाद शुरू हो गया. राजस्थान कांग्रेस के नेताओं ने नियुक्ति को गलत ठहराते हुए कहा कि जब जिला और ब्लॉक अध्यक्ष निवर्तमान हो चुके हैं तो फिर वह नियुक्ति कैसे दे सकते हैं.
मनोज मुद्गल ने नियुक्ति को ठहराया सही
वहीं, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मनोज मुद्गल अपनी नियुक्तियों को सही ठहराते हुए कहा कि उनकी नियुक्ति ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के चुनाव प्रभारी ऑस्कर फर्नांडिस की ओर से की गई है. ब्लॉक अध्यक्षों को तब तक नहीं हटाया जा सकता, जब तक कि अगला ब्लॉक अध्यक्ष का चुनाव नहीं होता.
ब्लॉक अध्यक्ष कर सकता है आमूलचूल परिवर्तन
ब्लॉक अध्यक्ष अपने संगठन को सक्रिय रखने के लिए कोई भी आमूलचूल परिवर्तन कर सकता है क्योंकि जयपुर नगर निगम के वार्ड की पुरानी परिसीमन सीमा चेंज हो गई है. ऐसे में संगठन को मजबूत बनाए रखने के लिए और सक्रिय बनाए रखने के लिए नए वार्ड प्रभारी अध्यक्ष के रूप में लगाना जरूरी था. यही कारण है कि उन्होंने यह नियुक्तियां की है और वो आगे भी ये नियुक्तियां जारी रखेंगे.
जिला अध्यक्ष का लेटरहेड क्यों इस्तेमाल किया गया...
मनोज मुद्गल ने कहा कि यह नियुक्तियां उन्होंने जिला कांग्रेस महासचिव के तौर पर नहीं, लेकिन ब्लॉक अध्यक्ष के तौर पर की है. हालांकि, इसमें भी यह सवाल खड़ा हो जाता है कि जब उन्होंने ब्लॉक अध्यक्ष के तौर पर यह नियुक्तियां की तो फिर लेटरहेड जिला अध्यक्ष का क्यों इस्तेमाल किया गया. साथ ही जब ब्लॉक अध्यक्ष राजस्थान में निवर्तमान हो चुके हैं तो वो फिर किस पद पर रहते हुए यह नियुक्तियां कर रहे हैं.