जयपुर. अमूमन देखा जाता है कि धरना प्रदर्शन एक-दो या फिर पांच से दस दिन चलता है, लेकिन शिक्षा संकुल में संविदा व्याख्याता संघर्ष समिति का धरना पिछले एक साल से चल रहा हैं. इस धरने में बैठे संविदा व्याख्यताओं की मांग है कि उन्हें नियमित करने के साथ फिर से कार्य ग्रहण करवाया जाए.
बता दें कि प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में व्याख्यताओं की आवश्यकता होने के बावजूद कॉलेज आयुक्तालय ने दिसंबर 2017 से संविदा पर लगे 115 व्याख्याताओं को हटा दिया. कॉलेजों में 2500 से भी ज्यादा पद खाली है और सरकार ने 50 नए पद कॉलेजों को ओर खोल दिए है, जिससे ये संख्या और बढ़ जाती हैं. इसके बावजूद सरकार ने धरने पर बैठे व्यख्यताओं को फिर से कार्य ग्रहण करवाने की नहीं सोची, जिसके बाद सभी संविदा व्याख्याता कोर्ट चले गए और कोर्ट में व्याख्यताओं को तारीख पर तारीख मिलते चले जा रहे है.
हालांकि, जोधपुर कोर्ट ने संविदा व्याख्याताओं को कार्य ग्रहण करने के निर्देश दे दिए है, जिसके बाद 58 व्याख्याताओं ने ज्वॉइन भी कर लिया है, लेकिन जयपुर कोर्ट में दायर याचिका वाले संविदा व्याख्याताओं को अभी तक ज्वॉइनिंग का इंतजार है. वहीं, बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने फटकार लगाते हुए सभी संविदा व्याख्याताओं को 23 मार्च तक ज्वॉइन करने का निर्देश दिया है. अब सब कुछ ठीक-ठाक रहता है तो संविदा व्याख्यताओं को राहत मिल सकती है.
संघर्ष समिति के बैनर तले बैठे संविदा व्यख्याता सुरेश के वर्मा ने बताया कि व्याख्याता 2017 में समान काम, समान वेतन का केस जीतकर आए थे, जिसके बाद आयुक्तालय को मोटी रकम एरियर के रूप में देनी पड़ी. इसको देखते हुए कॉलेज आयुक्तालय ने दिसंबर 2017 से संविदा व्याख्याताओं को हटाना शुरू कर दिया था. बता दें कि वर्मा एक उम्मीद के सहारे पिछले कई महीनों से धरना स्थल पर अकेले बैठे हुए है.