जयपुर. राजधानी सहित प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों को पैदल या फिर निजी वाहनों से कार्यालय आना पड़ सकता है. दरअसल, सरकारी विभागों में लगे संविदा टैक्सी चालक बीते 5 साल से पुराने मानदेय पर काम कर रहे हैं. प्रदेश के 50 हजार संविदा टैक्सी चालकों को 1500 किलोमीटर पर 20 हजार रुपए का मानदेय दिया जाता है, जो अब टैक्सी चालकों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है.
टैक्सी यूनियन के अनुसार इसी मानदेय से गाड़ियों में पेट्रोल-डीजल डालने, गाड़ियों का इंश्योरेंस, मेंटेनेंस के साथ-साथ घर का खर्च भी चलाना होता है. मानदेय बढ़ाने को लेकर सभी प्रशासनिक अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया जा चुका है, लेकिन उन्हें आश्वासन का लॉलीपॉप पकड़ा दिया जाता है. पहले हर 2 साल मानदेय बढ़ाया जाता था, लेकिन प्रशासन लंबे समय से इस पर ध्यान नहीं दे रहा है.
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यही नहीं अब तो बिना नोटिस विभागों से गाड़ियों को हटाया जा रहा है. जिसके चलते संविदा पर लगे ये टैक्सी चालक खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और अब उग्र आंदोलन की चेतावनी देते हुए सरकार से आर-पार की लड़ाई को तैयार हैं. अकेले जयपुर में करीब 6000 गाड़ियां सरकारी अधिकारियों को लाने ले जाने का काम करती हैं और यदि संविदा टैक्सी चालक आंदोलन की राह पर उतरते हैं, तो विभिन्न सरकारी विभागों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.