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कांस्टेबल भर्ती-2020: हाईकोर्ट ने कांस्टेबल पद पर नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब - Jaipur News

राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती-2020 में चयन के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर गृह सचिव, डीजीपी और आईजी भर्ती सहित चित्तौड़गढ़ एसपी से जवाब मांगा है.

Constable recruitment 2020,  Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : May 1, 2021, 8:42 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती-2020 में चयन के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर गृह सचिव, डीजीपी और आईजी भर्ती सहित चित्तौड़गढ़ एसपी से जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश अभिषेक की याचिका पर दिए.

पढ़ें- राजस्थान में अब 3 मई से 'महामारी रेड अलर्ट पखवाड़ा', बेवजह घूमने वाले होंगे संस्थागत क्वॉरेंटाइन, शादी में 31 लोगों की परमिशन

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि आरक्षित वर्ग के याचिकाकर्ता के लिखित परीक्षा में सामान्य वर्ग से अधिक अंक आने के चलते उसे सामान्य वर्ग में शामिल कर दक्षता परीक्षा ली गई. वहीं, याचिकाकर्ता ने दक्षता परीक्षा और लिखित परीक्षा के कुल अर्जित अंक सामान्य वर्ग से कम हासिल किए. जिसके चलते उसे चयन से वंचित कर दिया गया.

याचिका में कहा गया कि अंकों के आधार पर उसे आरक्षित वर्ग में शामिल कर नियुक्ति देनी चाहिए थी. इसके अलावा राज्य सरकार ने भूतपूर्व सैनिकों को भी तय पदों से अधिक शामिल कर लिया. ऐसे में आरक्षित वर्ग से अधिक अंक हासिल करने के बावजूद याचिकाकर्ता को चयन से वंचित करना अवैध है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती-2020 में चयन के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर गृह सचिव, डीजीपी और आईजी भर्ती सहित चित्तौड़गढ़ एसपी से जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश अभिषेक की याचिका पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि आरक्षित वर्ग के याचिकाकर्ता के लिखित परीक्षा में सामान्य वर्ग से अधिक अंक आने के चलते उसे सामान्य वर्ग में शामिल कर दक्षता परीक्षा ली गई. वहीं, याचिकाकर्ता ने दक्षता परीक्षा और लिखित परीक्षा के कुल अर्जित अंक सामान्य वर्ग से कम हासिल किए. जिसके चलते उसे चयन से वंचित कर दिया गया.

याचिका में कहा गया कि अंकों के आधार पर उसे आरक्षित वर्ग में शामिल कर नियुक्ति देनी चाहिए थी. इसके अलावा राज्य सरकार ने भूतपूर्व सैनिकों को भी तय पदों से अधिक शामिल कर लिया. ऐसे में आरक्षित वर्ग से अधिक अंक हासिल करने के बावजूद याचिकाकर्ता को चयन से वंचित करना अवैध है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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