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राजस्थान : कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियों के लिए करना होगा 2021 का इंतजार...

राजस्थान में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियों के लिए 2021 तक का इंतजार करना होगा. सरकार बने लगभग 2 साल हो गए हैं, लेकिन कुछ एक बोर्डों को छोड़कर कहीं भी कार्यकर्ताओं को नियुक्तियां नहीं दी गई हैं. अब अंदरखाने ये बात सामने आ रही है कि नए साल पर कार्यकर्ताओं को नियुक्तियां दी जाएंगी.

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Published : Oct 7, 2020, 6:29 PM IST

ashok gehlot,  political appointments in rajasthan
राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार बने करीब 18 महीने का समय पूरा हो चुका है, लेकिन 18 महीने से कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता टकटकी लगाकर इंतजार कर रहा है कि उसे कब विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने के रिवॉर्ड के तौर पर सरकार में हिस्सेदारी यानी कि राजनीतिक नियुक्तियां मिलेंगी. विधानसभा चुनाव के ठीक बाद, क्योंकि लोकसभा चुनाव होने थे. ऐसे में लोकसभा चुनाव तक इन कार्यकर्ताओं को रुकने के लिए कहा गया, लेकिन लोकसभा चुनाव में जो विपरीत नतीजे पार्टी के आए उसके बाद किसी कार्यकर्ता की यह हिम्मत नहीं हुई कि वह अपने लिए राजनीतिक नियुक्तियां मांग ले.

राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां

ऐसे में कुछ समय और निकल गया और जब कहा जा रहा था कि इस साल के शुरुआत में राजनीतिक नियुक्तियां कर दी जाएंगी तो पहले तो कोरोना के चलते नियुक्तियां रुकी और बाद में जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक कोरोना हुआ और पार्टी दो धड़ो में बंट गई. उसके बाद फिर से यह राजनीतिक नियुक्तियां लटक गई. अब कहा जा रहा है कि यह राजनीतिक नियुक्तियां साल 2021 में ही कार्यकर्ताओं को नसीब होगी, हालांकि आपको बता दें कि राजस्थान में करीब 5 दर्जन बोर्ड, निकाय और आयोग हैं जिनमें राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं.

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इसके अलावा हजारों नियुक्तियां सदस्यों के तौर पर जिलो में भी दी जाती हैं, लेकिन प्रमुख बोर्ड निकाय और आयोग की बात करें तो इन पांच दर्जन बोर्ड आयोगों में से अभी महज बाल आयोग, वक्फ बोर्ड और राजस्थान फाउंडेशन में ही नियुक्ति दी गई है. बाकी सभी बोर्ड, आयोग और निगम खाली हैं. ऐसे में अब जब सरकार को 2 साल पूरे हो जाएंगे तो यह बात भी सामने होगी कि अगर सरकार चाहती और शुरू में अगर यह राजनीतिक नियुक्तियां कर देती तो 2 साल के बाद ज्यादातर जगह सरकार के पास नए कार्यकर्ताओं को मौका देने का समय होता. आयोग में संवैधानिक नियुक्तियां होती हैं, बाकी जगह 2 साल से लेकर 6 साल तक की नियुक्ति करना सरकार के हाथ में है.

दरअसल, राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां बोर्ड, निगम और आयोग में होती हैं. इनमें से आयोग को हटा दिया जाए तो बाकी सब नियुक्तियां पूरी तरीके से राजनीतिक होती हैं. हालांकि आयोगों की नियुक्तियां संवैधानिक होती है और यह पूरे 6 वर्ष के लिए की जाती हैं. जबकि बोर्ड और निगम में नियुक्तियां 2 साल से लेकर 6 साल तक करना सरकार के हाथ में होता है. ऐसे में ज्यादातर जगह सरकार 3 साल तो कम से कम एक कार्यकर्ता को मौका देती है लेकिन अगर 2 साल का समय रखा जाता तो अभी सरकार के 2 साल होने के बाद पहली बार ही बोर्ड निगम और आयोग में नियुक्ति का इंतजार कर रहे कार्यकर्ताओं का बड़ा तबका सरकार की हिस्सेदारी पा चुका होता और अब दूसरे कार्यकर्ताओं को शामिल करने की तैयारियां चल रही होती.

पढ़ें: EXCLUSIVE : राजस्थान में बढ़ते अपराधों के कारण प्रदेश शर्मसार है : दीया कुमारी

अब तक इक्का-दुक्का बोर्ड आयोग में ही नियुक्तियां दी गई हैं बाकी जगह तो पहली बार नियुक्ति नहीं हुई है तो दोबारा नियुक्ति की बात तो सोची ही नहीं जा सकती. यह प्रमुख निगम बोर्ड और आयोग हैं जन अभाव अभियोग निराकरण समिति वित्त आयोग, समाज कल्याण बोर्ड, 20 सूत्री कार्यक्रम, राजस्थान आवासन मंडल, राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग, मदरसा बोर्ड, वक्त बोर्ड, राज्य महिला आयोग, राजस्थान डांग विकास बोर्ड, राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राज्य क्रीड़ा परिषद , राजस्थान लोक सेवा आयोग, राजस्थान राज्य बुनकर सहकारी संघ लिमिटेड, राजस्थान पर्यटन विकास निगम, किसान आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, जोधपुर विकास प्राधिकरण, राजस्थान राज्य बीज निगम, पशु कल्याण बोर्ड, राज्य स्तरीय सलाहकार समिति( श्रम विभाग) हैं.

वहीं, राजस्थान फाउंडेशन, राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग, राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, साहित्य अकादमी, उर्दू अकादमी, सांस्कृतिक अकादमी, भाषा साहित्य व संस्कृति अकादमी, राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, राजस्थान ललित कला अकादमी, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, राजस्थान सिंधी भाषा अकादमी, राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन, राजस्थान वक्फ विकास परिषद, राजस्थान राज्य हज कमेटी, राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक लिमिटेड, सार्वजनिक प्रन्यास मंडल, जनजाति आयोग, सेंटर फॉर डेवलपमेंट आफ वॉलंटरी सेक्टर, सीनियर सिटीजन बोर्ड , मगरा क्षेत्रीय विकास बोर्ड, भूदान बोर्ड, युवा बोर्ड, शिल्प माटी कला बोर्ड, लघु उद्योग विकास निगम, निशक्तजन आयोग, गौ सेवा आयोग, पशुपालक कल्याण बोर्ड, मेला प्राधिकरण, विमुक्त घुमंतू एवं अर्ध घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद में भी राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हुई हैं.

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार बने करीब 18 महीने का समय पूरा हो चुका है, लेकिन 18 महीने से कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता टकटकी लगाकर इंतजार कर रहा है कि उसे कब विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने के रिवॉर्ड के तौर पर सरकार में हिस्सेदारी यानी कि राजनीतिक नियुक्तियां मिलेंगी. विधानसभा चुनाव के ठीक बाद, क्योंकि लोकसभा चुनाव होने थे. ऐसे में लोकसभा चुनाव तक इन कार्यकर्ताओं को रुकने के लिए कहा गया, लेकिन लोकसभा चुनाव में जो विपरीत नतीजे पार्टी के आए उसके बाद किसी कार्यकर्ता की यह हिम्मत नहीं हुई कि वह अपने लिए राजनीतिक नियुक्तियां मांग ले.

राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां

ऐसे में कुछ समय और निकल गया और जब कहा जा रहा था कि इस साल के शुरुआत में राजनीतिक नियुक्तियां कर दी जाएंगी तो पहले तो कोरोना के चलते नियुक्तियां रुकी और बाद में जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक कोरोना हुआ और पार्टी दो धड़ो में बंट गई. उसके बाद फिर से यह राजनीतिक नियुक्तियां लटक गई. अब कहा जा रहा है कि यह राजनीतिक नियुक्तियां साल 2021 में ही कार्यकर्ताओं को नसीब होगी, हालांकि आपको बता दें कि राजस्थान में करीब 5 दर्जन बोर्ड, निकाय और आयोग हैं जिनमें राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं.

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इसके अलावा हजारों नियुक्तियां सदस्यों के तौर पर जिलो में भी दी जाती हैं, लेकिन प्रमुख बोर्ड निकाय और आयोग की बात करें तो इन पांच दर्जन बोर्ड आयोगों में से अभी महज बाल आयोग, वक्फ बोर्ड और राजस्थान फाउंडेशन में ही नियुक्ति दी गई है. बाकी सभी बोर्ड, आयोग और निगम खाली हैं. ऐसे में अब जब सरकार को 2 साल पूरे हो जाएंगे तो यह बात भी सामने होगी कि अगर सरकार चाहती और शुरू में अगर यह राजनीतिक नियुक्तियां कर देती तो 2 साल के बाद ज्यादातर जगह सरकार के पास नए कार्यकर्ताओं को मौका देने का समय होता. आयोग में संवैधानिक नियुक्तियां होती हैं, बाकी जगह 2 साल से लेकर 6 साल तक की नियुक्ति करना सरकार के हाथ में है.

दरअसल, राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां बोर्ड, निगम और आयोग में होती हैं. इनमें से आयोग को हटा दिया जाए तो बाकी सब नियुक्तियां पूरी तरीके से राजनीतिक होती हैं. हालांकि आयोगों की नियुक्तियां संवैधानिक होती है और यह पूरे 6 वर्ष के लिए की जाती हैं. जबकि बोर्ड और निगम में नियुक्तियां 2 साल से लेकर 6 साल तक करना सरकार के हाथ में होता है. ऐसे में ज्यादातर जगह सरकार 3 साल तो कम से कम एक कार्यकर्ता को मौका देती है लेकिन अगर 2 साल का समय रखा जाता तो अभी सरकार के 2 साल होने के बाद पहली बार ही बोर्ड निगम और आयोग में नियुक्ति का इंतजार कर रहे कार्यकर्ताओं का बड़ा तबका सरकार की हिस्सेदारी पा चुका होता और अब दूसरे कार्यकर्ताओं को शामिल करने की तैयारियां चल रही होती.

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अब तक इक्का-दुक्का बोर्ड आयोग में ही नियुक्तियां दी गई हैं बाकी जगह तो पहली बार नियुक्ति नहीं हुई है तो दोबारा नियुक्ति की बात तो सोची ही नहीं जा सकती. यह प्रमुख निगम बोर्ड और आयोग हैं जन अभाव अभियोग निराकरण समिति वित्त आयोग, समाज कल्याण बोर्ड, 20 सूत्री कार्यक्रम, राजस्थान आवासन मंडल, राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग, मदरसा बोर्ड, वक्त बोर्ड, राज्य महिला आयोग, राजस्थान डांग विकास बोर्ड, राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राज्य क्रीड़ा परिषद , राजस्थान लोक सेवा आयोग, राजस्थान राज्य बुनकर सहकारी संघ लिमिटेड, राजस्थान पर्यटन विकास निगम, किसान आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, जोधपुर विकास प्राधिकरण, राजस्थान राज्य बीज निगम, पशु कल्याण बोर्ड, राज्य स्तरीय सलाहकार समिति( श्रम विभाग) हैं.

वहीं, राजस्थान फाउंडेशन, राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग, राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, साहित्य अकादमी, उर्दू अकादमी, सांस्कृतिक अकादमी, भाषा साहित्य व संस्कृति अकादमी, राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, राजस्थान ललित कला अकादमी, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, राजस्थान सिंधी भाषा अकादमी, राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन, राजस्थान वक्फ विकास परिषद, राजस्थान राज्य हज कमेटी, राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक लिमिटेड, सार्वजनिक प्रन्यास मंडल, जनजाति आयोग, सेंटर फॉर डेवलपमेंट आफ वॉलंटरी सेक्टर, सीनियर सिटीजन बोर्ड , मगरा क्षेत्रीय विकास बोर्ड, भूदान बोर्ड, युवा बोर्ड, शिल्प माटी कला बोर्ड, लघु उद्योग विकास निगम, निशक्तजन आयोग, गौ सेवा आयोग, पशुपालक कल्याण बोर्ड, मेला प्राधिकरण, विमुक्त घुमंतू एवं अर्ध घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद में भी राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हुई हैं.

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