जयपुर. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर काम करते हुए सचिन पायलट को साढे 5 साल का समय हो गया है. उनके नेतृत्व में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी और खुद पायलट प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी बने. लेकिन अब राजस्थान में नेताओं की ओर से लगातार यह आवाज आने लगी है कि 2 पद पर बैठे नेताओं को एक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
अपने बयान से सचिन पायलट ने एक तीर से कई निशाने लगाए. उपमुख्यमंत्री होने के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस की कमान थामे सचिन पायलट ने कहा कि कौन कहां काम करेगा और किस पद पर रहकर काम करेगा इसका फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी. उनका जो भी निर्णय होगा वह हर किसी को स्वीकार होगा. उन्होंने बयान बाजी करने वाले नेताओं को सलाह देते हुए पार्टी नेताओं को आगामी निकाय और पंचायती राज चुनावों पर ध्यान देने को कहा.
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उन्होंने कहा कि पार्टी नेता इसकी जगह वह अपने क्षेत्र पर ध्यान दें तो निकाय और पंचायत चुनाव में नतीजे अच्छे आएंगे. पदाधिकारी केवल इस बात का ध्यान रखें कि जनता की मांगों को कैसे पूरा किया जा सकता है, ना की किसे कौन सी जिम्मेदारी देनी है. यह काम सोनिया गांधी का है. वह जो भी निर्णय लेंगीं वह सबको स्वीकार्य होगा.
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इसके साथ ही पायलट ने कहा कि जब वह अध्यक्ष बने थे उस समय कांग्रेस की केवल 21 सीटें आई थी और भाजपा को 163 सीटों का बड़ा बहुमत मिला था. उसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सहयोग था जिसके चलते साढे 5 साल में उन्हें कामयाबी मिली. सिवाय धौलपुर उपचुनाव के वह कोई चुनाव नहीं हारे. यहां तक कि वर्तमान में कांग्रेस की जो सरकार बनी है वह भी कांग्रेस कार्यकर्ता के काम के चलते है. उन्होंने यह भी कहा कि जनता सरकार का काम प्राथमिकता से करती है, जनता को लगता है कि सरकार अच्छा काम करती है तो वह वोट देती है.