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Gehlot Nomination Row: केरल पहुंचेंगे गहलोत, पायलट भी होंगे मौजूद...राहुल की हां-न के बाद निर्णय

कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति के केन्द्र में इन दिनों राजस्थान है. मरुभूमि के दो दिग्गजों के इर्द गिर्द संभावनाओं और आशंकाओं का जाल बुना जा रहा है. गहलोत बनाम पायलट की चौतरफा चर्चा है (Gehlot Vs Pilot). एक बार फिर राजस्थान की राजनीति करवट लेगी कोच्चि में. क्यों? क्योंकि यहीं पर वाया दिल्ली सीएम गहलोत भारत जोड़ो यात्रा में शिरकत करने पहुंचेंगे. खास बात ये है कि वहीं पर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी हैं.

Gehlot Nomination Row
भारत जोड़ो यात्रा में दिखेंगे राहुल, गहलोत और सचिन साथ
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Published : Sep 21, 2022, 11:48 AM IST

जयपुर. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए रस्साकशी दिल्ली में चल रही हो, लेकिन उसका असर सीधे तौर पर राजस्थान की राजनीति पर दिखाई दे रहा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं (Gehlot Nomination Row). ऐसे में राजस्थान कांग्रेस की राजनीति का केंद्र बन गया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राजस्थान की राजनीति के दोनों महारथी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट सीधे प्रभावित हो रहे हैं. दोनों ही नेता अब कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी कि हां और न के सहारे टिके हुए हैं.

राहुल की हां न क्यों?: गहलोत कई बार सार्वजनिक मंच से एलान कर चुके हैं कि वो राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल नहीं हैं वो राजस्थान में ही रहना चाहते हैं. उनकी मंशा है कि राहुल उस पद पर काबिज हों, लेकिन मामला अटका है. राहुल गांधी बतौर अध्यक्ष ताजपोशी नहीं चाहते. इस सबके बीच राहुल की हां अहमियत रखती है क्योंकि अगर अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो एक व्यक्ति एक पद फार्मूले के तहत उन्हें अपना पद देर सवेर छोड़ना पड़ेगा.

पायलट के लिए न जरूरी!: दूसरी ओर सचिन पायलट राहुल गांधी की उस न के सहारे हैं, जिसके तहत अगर राहुल गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से इनकार करने के अपने फैसले पर अडिग रहते हैं तो राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली हो सकती है. जिसके बाद सचिन पायलट ही उसके पहले उत्तराधिकारी होंगे.

हालांकि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा कि राजस्थान में गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद क्या-क्या परिवर्तन होंगे लेकिन इतना तय है की गहलोत राहुल की हां चाहते हैं और पायलट राहुल की न. यही कारण है कि दोनों नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में उनके साथ पैदल चलते दिखाई दे रहे हैं.

पढ़ें-Gehlot on Nomination: गहलोत ने दिए संकेत, बोले- राहुल नहीं माने तो नामांकन में आप सबको आना होगा दिल्ली

ये भी पढ़ें-PCC Meeting in Jaipur: जिन गहलोत को अध्यक्ष बनाने की हो रही बात, उन्होंने ही रखा राहुल गांधी के नाम का प्रस्ताव

भारत जोड़ो यात्रा में साथ साथ: जहां भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राहुल गांधी के साथ मौजूद रहे थे, तो वहीं आज सचिन पायलट भारत जोड़ो यात्रा के तहत राहुल गांधी के साथ पैदल चलते दिखाई दे रहे हैं. ऐसी कई तस्वीरें भी सामने आईं हैं जिसमें सचिन पायलट राहुल गांधी संग गंभीर चर्चा करते दिखाई दे रहे हैं. चूंकि इस समय सचिन पायलट का राजनीतिक भविष्य भी राहुल गांधी के आगामी निर्णय पर निर्भर करता है ,ऐसे में राहुल गांधी के साथ वह कदमताल करते दिखाई दे रहे हैं.

गहलोत दिल्ली से कोच्चि जाएंगे: CM गहलोत आज दिल्ली में होंगे. यहां सोनिया गांधी से मुलाकात करने का कार्यक्रम है. सोनिया गांधी से मिलने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल के साथ केरल के कोच्चि पहुंचेंगे. जहां वह एक बार फिर राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में पैदल मार्च करते दिखाई देंगे. जैसा विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह चुके हैं की इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अंतिम प्रयास करेंगे कि राहुल गांधी किसी भी तरह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए राजी हो जाएं.

जिस तरह की राजनीतिक पटकथा लिखी जाने की कोशिश हो रही है उसे देख कर कहा जा सकता है कि दोनों नेता राहुल गांधी की हां और न के सहारे हैं. गहलोत के लिए राहुल की हां कुर्सी बचाने वाली होगी तो वहीं राहुल की न पायलट के लिए कुर्सी की तरफ बढ़ा कदम होगा.

जयपुर. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए रस्साकशी दिल्ली में चल रही हो, लेकिन उसका असर सीधे तौर पर राजस्थान की राजनीति पर दिखाई दे रहा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं (Gehlot Nomination Row). ऐसे में राजस्थान कांग्रेस की राजनीति का केंद्र बन गया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राजस्थान की राजनीति के दोनों महारथी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट सीधे प्रभावित हो रहे हैं. दोनों ही नेता अब कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी कि हां और न के सहारे टिके हुए हैं.

राहुल की हां न क्यों?: गहलोत कई बार सार्वजनिक मंच से एलान कर चुके हैं कि वो राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल नहीं हैं वो राजस्थान में ही रहना चाहते हैं. उनकी मंशा है कि राहुल उस पद पर काबिज हों, लेकिन मामला अटका है. राहुल गांधी बतौर अध्यक्ष ताजपोशी नहीं चाहते. इस सबके बीच राहुल की हां अहमियत रखती है क्योंकि अगर अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो एक व्यक्ति एक पद फार्मूले के तहत उन्हें अपना पद देर सवेर छोड़ना पड़ेगा.

पायलट के लिए न जरूरी!: दूसरी ओर सचिन पायलट राहुल गांधी की उस न के सहारे हैं, जिसके तहत अगर राहुल गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से इनकार करने के अपने फैसले पर अडिग रहते हैं तो राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली हो सकती है. जिसके बाद सचिन पायलट ही उसके पहले उत्तराधिकारी होंगे.

हालांकि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा कि राजस्थान में गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद क्या-क्या परिवर्तन होंगे लेकिन इतना तय है की गहलोत राहुल की हां चाहते हैं और पायलट राहुल की न. यही कारण है कि दोनों नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में उनके साथ पैदल चलते दिखाई दे रहे हैं.

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भारत जोड़ो यात्रा में साथ साथ: जहां भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राहुल गांधी के साथ मौजूद रहे थे, तो वहीं आज सचिन पायलट भारत जोड़ो यात्रा के तहत राहुल गांधी के साथ पैदल चलते दिखाई दे रहे हैं. ऐसी कई तस्वीरें भी सामने आईं हैं जिसमें सचिन पायलट राहुल गांधी संग गंभीर चर्चा करते दिखाई दे रहे हैं. चूंकि इस समय सचिन पायलट का राजनीतिक भविष्य भी राहुल गांधी के आगामी निर्णय पर निर्भर करता है ,ऐसे में राहुल गांधी के साथ वह कदमताल करते दिखाई दे रहे हैं.

गहलोत दिल्ली से कोच्चि जाएंगे: CM गहलोत आज दिल्ली में होंगे. यहां सोनिया गांधी से मुलाकात करने का कार्यक्रम है. सोनिया गांधी से मिलने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल के साथ केरल के कोच्चि पहुंचेंगे. जहां वह एक बार फिर राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में पैदल मार्च करते दिखाई देंगे. जैसा विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह चुके हैं की इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अंतिम प्रयास करेंगे कि राहुल गांधी किसी भी तरह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए राजी हो जाएं.

जिस तरह की राजनीतिक पटकथा लिखी जाने की कोशिश हो रही है उसे देख कर कहा जा सकता है कि दोनों नेता राहुल गांधी की हां और न के सहारे हैं. गहलोत के लिए राहुल की हां कुर्सी बचाने वाली होगी तो वहीं राहुल की न पायलट के लिए कुर्सी की तरफ बढ़ा कदम होगा.

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