जयपुर. राजस्थान में 2023 के आखिर में विधानसभा चुनाव होंगे. इस बार चुनावी मिशन के लिए (Rajasthan Mission 2023) प्रमुख राजनीतिक दल एक दूसरे के कामकाज की कमियों को तलाशने का दौर शुरू कर चुके हैं. कांग्रेस विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के मुद्दों को सांप्रदायिक बताकर देश को बांटने वाली रणनीति के लिए जिम्मेदार बता रही है तो वहीं ध्रुवीकरण के आरोपों का सामना कर रही बीजेपी धार्मिक तुष्टीकरण की नीति को लेकर सरकार को निशाने पर ले रही है. दोनों ही दलों में कार्यक्रमों की कड़ियों के बीच इन दिनों कांग्रेस और पार्टी से जुड़े नेताओं के आयोजन बदलती रणनीति का इशारा कर रहे हैं.
प्रताप सिंह ने निकाली कांवड़ यात्रा : रसद मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने हाल ही में अपने विधानसभा क्षेत्र सिविल लाइंस में कांवड़ यात्रा में शिरकत की. खुद प्रताप सिंह कांवड़ लेकर चले. माना जा रहा है कि प्रताप सिंह पार्टी के उसी नक्शे कदम पर चल रहे हैं, जिस पर मौजूदा दौर की रणनीति का असर नजर आ रहा है. प्रताप सिंह के विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से पिछले चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली थी. ऐसे में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और संघनिष्ठ नेता अरुण चतुर्वेदी के लिए आने वाला चुनाव खासा अहम हो जाता है. लिहाजा, राजनीति के संतुलन के लिहाज से सांप्रदायिक वोटों के बीच का तालमेल जरूरी दिख रहा है. दक्षिण में ऐसे हालात के बीच कांवड़ यात्रा में शिरकत करके राजनीतिक पैगाम भी दिया तो वहीं कांवड़ यात्रा के दौरान लगाई गई शर्तों को लेकर कांग्रेस की मंशा साफ करने की भी कोशिश की.
देवस्थान विभाग भी सक्रिय : देवस्थान विभाग में मंत्री शकुंतला रावत के कार्यभार संभालने के साथ में अलग प्रकार की सक्रियता नजर आने लगी है. विभाग की तरफ से मंदिरों में धार्मिक आयोजनों का दौर (Gehlot Ministers Doing Religious Work) लगातार जारी है. पहले राम नवमी पर मंदिरों में सुंदरकांड भागवत कथा के आयोजन और अब सावन के महीने में हर सोमवार पर प्रमुख शिव मंदिरों में सहस्त्र घट के आयोजन एक सियासी पैगाम का संकेत देते हैं. इन कार्यक्रमों के बीच शकुंतला रावत के साथ मुस्लिम विधायक साफिया जुबेर के जलाभिषेक की तस्वीर सियासी रणनीति के आधार को और मजबूत कर देती है.
पढ़ें : हिंदू बनाम हिंदुत्ववादी : अशोक गहलोत ने 'छद्म' जोड़कर की राहुल गांधी के 'हिंदुत्व' की रक्षा !
इस लिहाज से लगता है कि अशोक गहलोत सरकार राजस्थान में फिलहाल (Religious Tour of Congress in Rajasthan) अपनी छवि सुधारने पर काम कर रही है. जिस तरह से बीते दिनों करौली, जोधपुर और उदयपुर में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मसले पर सरकार पर उंगलियां उठी थीं, अब उन सवालों पर विराम लगाने की कोशिश जारी है.
मुस्लिम विधायक भी नहीं रहे पीछे : अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन रफीक खान ने भी बीते दिनों रामनवमी पर जयपुर शहर में आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र से मंदिरों के बाहर शुभकामना संदेश लगवाए थे. उन्होंने भी पद यात्रा के दौरान एक भव्य कार्यक्रम रखा, जिसमें धर्मावलंबियों का स्वागत किया गया. जाहिर है कि धार्मिक सद्भाव के लिहाज से इस प्रकार की नीति (Hinduism Politics of Congress) एक तरफ अच्छी लगती है तो दूसरी ओर सियासत के बीच सवाल भी खड़े होते हैं. आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ भी हाल ही में पुष्कर दौरे पर एक धार्मिक यात्रा में पैदल चलते हुए नजर आए थे. राजनेताओं का धार्मिक कार्यक्रमों में शिरकत करना यूं तो आम बात है, लेकिन तस्वीरों के जरिए शिरकत के इन कार्यक्रमों का प्रचार भविष्य की राजनीति की तरफ इशारा भी करता है.