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जयपुरः पंचायत समिति चुनाव में टूटा कांग्रेस की जीत का ट्रेंड, खेमें में छाई चिंता की लकीरें

कांग्रेस पार्टी को पंचायत चुनाव में बड़ा नुकसान हुआ है. कांग्रेस को डर इस बात का है कि इन चुनावों में आए नतीजों का असर गुरुवार 11 दिसंबर को होने वाले 12 जिलों के 50 निकाय के चुनाव में ना पड़ जाए.

पंचायत समिति चुनाव, Panchayat Samiti Election
पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस की जीत का ट्रेंड टूटा
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Published : Dec 9, 2020, 1:44 PM IST

जयपुर. राजस्थान में पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के चुनाव नतीजे सत्ताधारी दल कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहे हैं. कांग्रेस के लिए चिंता इस बात की है कि एक तो गांव में हमेशा कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी से मजबूत माना जाता है तो वहीं, हमेशा यह ट्रेंड होता है कि जिसकी प्रदेश में सरकार होती है गांव और शहरों में सरकार भी उसकी ही बनती है, लेकिन यह दोनों ही ट्रेंड जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव में टूट गए हैं.

कांग्रेस की मुसीबत यही खत्म नहीं हुई है. कांग्रेस पार्टी को बड़ा नुकसान पंचायतों के चुनाव में हुआ है. कांग्रेस को डर इस बात का है कि इन चुनावों में आए नतीजों का असर गुरुवार 11 दिसंबर को होने वाले 12 जिलों के 50 निकाय के चुनाव में ना पड़ जाए. क्योंकि वैसे भी कहा जाता है की गांव की तुलना में शहरों में भाजपा ज्यादा मजबूत है.

पढ़ेंः बड़ी खबर : सीकर में विजयी जुलूस के दौरान भाजपा-कांग्रेस समर्थक भिड़े, एक की मौत...पुलिस बल तैनात

वहीं, कांग्रेस के नेताओं का मनोबल पंचायत चुनाव के नतीजों से कमजोर है तो ऐसे में इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है. इसी के चलते भाजपा उत्साहित भी है तो कांग्रेस के खेमे में चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही है.

हालांकि, कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि इन परिणामों का असर निकायों में नहीं पड़ेगा, लेकिन इन चुनाव के नतीजे का डर भी कांग्रेस नेताओं में साफ देखा जा सकता है. बुधवार को 12 जिलों के 50 निकायों में प्रचार का आखिरी दिन है जहां दोनों ही पार्टियों ने दमखम लगा दिया है.

इन 12 जिलों में होने हैं निकाय चुनाव

अलवर, बारां, धौलपुर, दौसा, श्रीगंगानगर, जयपुर, जोधपुर, कोटा ,सवाई माधोपुर, करौली, सिरोही और भरतपुर में होने हैं चुनाव.

जयपुर. राजस्थान में पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के चुनाव नतीजे सत्ताधारी दल कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहे हैं. कांग्रेस के लिए चिंता इस बात की है कि एक तो गांव में हमेशा कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी से मजबूत माना जाता है तो वहीं, हमेशा यह ट्रेंड होता है कि जिसकी प्रदेश में सरकार होती है गांव और शहरों में सरकार भी उसकी ही बनती है, लेकिन यह दोनों ही ट्रेंड जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव में टूट गए हैं.

कांग्रेस की मुसीबत यही खत्म नहीं हुई है. कांग्रेस पार्टी को बड़ा नुकसान पंचायतों के चुनाव में हुआ है. कांग्रेस को डर इस बात का है कि इन चुनावों में आए नतीजों का असर गुरुवार 11 दिसंबर को होने वाले 12 जिलों के 50 निकाय के चुनाव में ना पड़ जाए. क्योंकि वैसे भी कहा जाता है की गांव की तुलना में शहरों में भाजपा ज्यादा मजबूत है.

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वहीं, कांग्रेस के नेताओं का मनोबल पंचायत चुनाव के नतीजों से कमजोर है तो ऐसे में इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है. इसी के चलते भाजपा उत्साहित भी है तो कांग्रेस के खेमे में चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही है.

हालांकि, कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि इन परिणामों का असर निकायों में नहीं पड़ेगा, लेकिन इन चुनाव के नतीजे का डर भी कांग्रेस नेताओं में साफ देखा जा सकता है. बुधवार को 12 जिलों के 50 निकायों में प्रचार का आखिरी दिन है जहां दोनों ही पार्टियों ने दमखम लगा दिया है.

इन 12 जिलों में होने हैं निकाय चुनाव

अलवर, बारां, धौलपुर, दौसा, श्रीगंगानगर, जयपुर, जोधपुर, कोटा ,सवाई माधोपुर, करौली, सिरोही और भरतपुर में होने हैं चुनाव.

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