जयपुर. राजस्थान विधानसभा में लगातार यह मांग उठती रही है कि राजस्थानी भाषा को मान्यता दी जाए. इसे लेकर राजस्थान विधानसभा में प्रस्ताव लाने की बात भी होती रही है लेकिन आज विधानसभा में जिस तरीके से कांग्रेस के विधायक हरीश मीणा ने राजस्थानी भाषा के प्रस्ताव के विरोध में अपनी बात रखी, ऐसा संभवत पहली बार हुआ है.
हरीश मीणा ने कहा कि मैं राजस्थान का रहने वाला हूं ,कहीं बाहर से नहीं आया. मेरे मां-बाप भी राजस्थान के ही हैं. राजस्थानी भाषा क्या है ये हर आदमी जानता है. ये हमारी महानता, शान और का आन का प्रतीक है, लेकिन यह बताएं कि राजस्थानी भाषा है क्या? जो गंगानगर में बोली जाती है वह राजस्थानी है या जो बांसवाड़ा की बोली है वह राजस्थानी है या फिर जैसलमेर में जो बोली जाती है वह राजस्थानी है. भाषा को मान्यता देना चाहते हो तो पहले बता तो दो कि राजस्थान की भाषा है कौन सी ? मीणा ने कहा कि भाषा कोई सी भी बोलें लेकिन हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों को रोजगार मिले, महंगाई से मुक्ति मिले, भ्रष्टाचार से मुक्ति मिले.
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राजस्थानी भाषा से क्या मिलेगा, कितने बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा और कितने लोगों को साफ पानी मिलेगा, कितने लोगों को रोटी मिलेंगे? उन्होंने कहा कि कुछ लोग आपको जाति विशेष में बांटना चाहते हैं तो कुछ क्षेत्र में बांटना चाहते हैं ओर कुछ भाषा के नाम पर बांटना चाहते हैं. यह लोग आपको लड़ाकर प्रदेश की शांति व्यवस्था को खराब करना चाहते हैं. इस राजस्थानी भाषा के प्रकरण को यहीं समाप्त किया जाए जो भाषा चल रही है वह ठीक है. उन्होंने हाथ जोड़ते हुए कहा कि हमें राजस्थानी भाषा का प्रस्ताव नहीं चाहिए, अगर पास किया जाता है तो भी मैं इसका विरोध करूंगा.
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कांग्रेस के विधायक हरीश मीणा ने आज विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर अपनी बात रखते हुए उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ पर भी बिना नाम लिए कटाक्ष कर दिया. उन्होंने कहा कि माफिया को लेकर आज सदन में बात हुई है. बजरी माफिया, शराब माफिया, ब्याज माफिया के बारे में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को जितना ज्ञान है, उतना मुझे नहीं है. इन्होंने जैसे बताया कि शराब किस रास्ते से आती है, सादुलपुर से आती है और चूरू होकर जाती है और कैसे गैंगवार होते हैं. माफिया वार भाजपा कांग्रेस का मामला नहीं है यह प्रदेश के लिए चिंता का विषय है. कोई भी राज हो लेकिन इन माफिया से हमें मुक्ति मिलनी चाहिए. चाहे दारा सिंह हत्याकांड हो चाहे आनंद पाल हत्याकांड हो इस प्रदेश और सदन को यह मनाना चाहिए कि कौन लोग थे जिन्होंने इनके कार्यों से लाभ उठाया.
उनके टेलीफोन जब्त किए गए थे. उसका पता लगाना चाहिए कि वह किस के संपर्क में थे. इतना बड़ा माफिया एक दिन में नहीं पनपता है. अपराध का गढ़ क्यों बन गई इतनी अच्छी जगह चाहे न्यांगली कांड हो या कोई अन्य कांड हो सादुलपुर से क्यों शुरू होता है. हरियाणा से तो बहुत जिलों के बॉर्डर जुड़े हुए हैं, यहीं पर ऐसा क्यों होता है. दरअसल हरीश मीणा ने जिस दारिया प्रकरण की बात की उस प्रकरण में खुद राजेंद्र राठौड़ का नाम जोड़ा गया था. हालांकि बाद में उन्हें अदालत ने बरी कर दिया था तो वहीं जिस चूरू में उन्होंने शराब माफिया की बात कही राजेंद्र राठौड़ भी उसी चूरू से आते हैं. वहीं शिक्षा माफिया को लेकर उन्होंने कहा की दूनी गांव में सरकार ने प्राइवेट स्कूलों के प्रभाव में आकर विज्ञान संकाय खत्म कर दिया. लोग तो साइंस का सब्जेक्ट जुड़वाते हैं लेकिन इन्होंने खत्म कर दिया. यह संकाय दोबारा खोला जाए.