जयपुर. प्रदेश में 2 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर अब तक तस्वीर साफ हो गई है. वल्लभनगर सीट पर जहां चतुष्कोणीय मुकाबला माना जा रहा है, तो वहीं धरियावद सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होनी है.
तमाम समीकरणों के बीच सत्ताधारी दल कांग्रेस दोनों सीटों पर जीत का दावा कर रही है और कांग्रेस के नेता लगातार अपनी जीत को लेकर बड़े-बड़े दावे भी करते नजर आ रहे हैं. लेकिन ये दावे कांग्रेस नेता ऐसे ही नहीं कर रहे, बल्कि कांग्रेस के इस दावे के पीछे आधार भी है.
दरअसल, कांग्रेस पार्टी का उपचुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन रहा है, चाहे इस बार कांग्रेस सत्ताधारी दल हो या फिर 2013 में केवल 21 सीट जीतने वाला छोटा सा विपक्ष, लेकिन कांग्रेस पार्टी को उपचुनाव में जबरदस्त सफलता मिलती रही है. इस बार कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में है तो अब तक पांच उपचुनाव और एक रामगढ़ विधानसभा सीट पर विधानसभा चुनाव के बाद चुनाव हुए. इन छह चुनाव में से 4 सीट पर कांग्रेस, एक विधानसभा सीट पर आरएलपी और एक विधानसभा सीट पर भाजपा ने उपचुनाव जीते.
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इसी तरीके से साल 2013 में जब कांग्रेस विपक्ष में थी तो भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतरीन रहा था. साल 2013 से 2018 के बीच राजस्थान में 6 विधानसभा सीटों और दो लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए, जिनमें से कांग्रेस पार्टी ने 4 विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव जीते. यहां समझिये...
खींवसर से आरएलपी से विधायक हनुमान बेनीवाल नागौर के सांसद बने तो उपचुनाव में आरएलपी के नारायण बेनीवाल ने चुनाव जीते. मंडावा से भाजपा विधायक नरेंद्र कुमार सांसद बने तो मंडावा से कांग्रेस ने भाजपा से यह सीट छीन ली. इस सीट पर रीटा चौधरी विधायक बनीं. जबकि सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन होने पर कांग्रेस गायत्री देवी ने चुनाव जीता.
इसी तरह सुजानगढ़ से मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन होने पर हुए उपचुनाव में उनके बेटे मनोज मेघवाल ने चुनाव जीता. राजसमंद से भाजपा की किरण माहेश्वरी के निधन होने पर उनकी बेटी दीप्ति माहेश्वरी ने भाजपा के लिए चुनाव जीता. वहीं, अलवर के रामगढ़ में हालांकि उपचुनाव नहीं हुए, बल्कि विधानसभा चुनाव में ही बसपा के प्रत्याशी के निधन के चलते विधानसभा चुनाव के बाद चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस के साफिया जुबेर ने चुनाव जीता.
इस तरह कांग्रेस ने इस बार सत्ता में रहते हुए पांच उपचुनाव में से तीन उपचुनाव जीते हैं, तो एक रामगढ़ का चुनाव जो विधानसभा चुनाव के बाद हुआ उसमें भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इसी तरीके से भाजपा ने एक और आरएलपी ने एक उपचुनाव जीता है.
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय कांग्रेस के महज 21 विधायक थे, लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया. ये रहे थे नतीजे...
कोटा से ओम बिरला सांसद बने तो उनकी विधानसभा सीट कोटा दक्षिण से भाजपा के ही संदीप शर्मा ने चुनाव जीता. अजमेर लोकसभा से जब सांवरलाल जाट सांसद बने तो नसीराबाद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के महेंद्र गुर्जर चुनाव जीते. जबकि झुंझुनू से संतोष अहलावत सांसद बनीं तो उनकी विधानसभा सीट सूरजगढ़ से कांग्रेस के श्रवण कुमार विधायक बने. भरतपुर से बहादुर सिंह कोली सांसद बने तो उनकी विधानसभा सीट वैर से कांग्रेस के भजन लाल जाटव ने चुनाव जीता.
इसी तरह भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के चलते हुए उपचुनाव में मांडलगढ़ से कांग्रेस के विवेक धाकड़ चुनाव जीते. धौलपुर से बसपा विधायक के जेल जाने पर हुए उपचुनाव में भाजपा की शोभारानी विधायक बनीं. अजमेर सांसद सांवरलाल जाट के निधन के चलते अजमेर में उपचुनाव में कांग्रेस के रघु शर्मा सांसद बने. जबकि अलवर सांसद महंत चांद नाथ के निधन के बाद आए उपचुनाव में कांग्रेसी करण सिंह यादव सांसद बने.
ऐसे में कांग्रेस पार्टी जब विपक्ष में थी तो 5 साल में 8 उपचुनाव हुए उन 8 उपचुनाव में से 6 उपचुनाव कांग्रेस पार्टी ने जीते, जबकि दो उपचुनाव भाजपा ने जीते.