जयपुर. राजस्थान के लिए लगातार कहा जाता है कि यहां जनता किसी भी पार्टी को दोबारा सत्ता में आने का मौका नहीं देती. यही कारण है कि राजस्थान में एक बार कांग्रेस (Congress In Rajasthan) और एक बार भाजपा की सरकार बनती है लेकिन अबकी बार कांग्रेस रिस्क नहीं लेना चाहती. पार्टी राजस्थान समेत हिंदी बेल्ट के छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश पर ज्यादा फोकस इस सोच के साथ कर रही है कि अगर इतिहास का दोहराव हुआ तो साल 2024 में लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी (Congress Focuses On Hindi Belt). यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी जिन दोनों राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता में है वहां सरकार कैसे रिपीट हो इसे लेकर बार-बार जनता की नब्ज टटोल फीडबैक ले रही है.
बीते 1 साल में कांग्रेस आलाकमान की ओर से राजस्थान का दो बार गुप्त सर्वे करवाया गया है, जिनकी रिपोर्ट राहुल गांधी के पास पहुंच भी गई है (Congress Focuses On Rajasthan). सभी 200 विधानभाओं मे सर्वे करवाया गया है. इसमें कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, चुनावों में चेहरा कौन समेत तमाम सवाल पूछे गए हैं. अहम प्रश्न सरकार के कामकाज और विधायकों के परफॉर्मेंस, उनके दोबारा जीतने की संभावना और राजस्थान में हुई सांप्रदायिक घटनाओं का जनता पर असर संग करीब एक दर्जन से ज्यादा सवाल पूछे गए हैं.
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सर्वे में रिपोर्ट खराब आई तो...: राजस्थान में पिछले साल विधानसभा सत्र से पहले जो कांग्रेस पार्टी के विधायकों का ट्रेनिंग कैंप लगाया गया था ,उस समय भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों के सामने सर्वे का जिक्र किया था (Congress Surveys Rajasthan). कह दिया था की सर्वे के अनुसार ही कांग्रेस विधायकों को टिकट देगी. ताकीद की थी कि विधायक जनता के बीच रहकर काम करें.उन्होंने निर्देश दिए थे कि सरकार के कामकाज के साथ ही हर विधायक अपने क्षेत्र में के कामकाज की बुकलेट छापकर जनता में पहुंचाएं ताकि जनता को कांग्रेस के जनहितकारी योजनाओं के बारे में पता लग सके.
पिछले सर्वे में भी उड़ी थी नींद!: पिछले साल जब कांग्रेस पार्टी ने सर्वे कराया था तब भी ये कहा गया कि ज्यादातर विधायकों के बारे में जनता की राय सही नहीं थी. हालांकि सर्वे पूरी तरीके से गुप्त है और अजय माकन समेत कुछ आला नेताओं को ही इस सर्वे की रिपोर्ट दी गई थी. इस बार भी सर्वे की रिपोर्ट अजय माकन के जरिए राहुल गांधी तक पहुंच चुकी है. अब विधायकों की नींद उड़ी हुई है कि अगर कहीं सर्वे रिपोर्ट में उनके लिए कुछ गलत आया तो उनके टिकट पर ग्रहण लग जाएगा.