जयपुर. राजस्थान में पेयजल की समस्या से निपटने के लिए गहलोत सरकार ने कितना काम किया या नहीं किया, अब इस पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं. भाजपा विधायकों का आरोप है कि इस घोषणा पर कोई काम नहीं हुआ, लेकिन मंत्री कहते हैं कि जिन विधायकों ने इसके लिए मांग पत्र भेजा, वहां ट्यूबवेल और हैंड पंप लगाए गए.
दरअसल, घोषणा के बाद जिन क्षेत्रों में पेयजल की भारी किल्लत है, वहां से जुड़े विधायकों ने पेयजल विभाग में इस घोषणा के तहत अपने-अपने क्षेत्रों में ट्यूबवेल और हैंड पंप लगाने के लिए अर्जी भेजी. जयपुर से ही आने वाले भाजपा विधायक अशोक लाहोटी, रामलाल शर्मा, निर्मल कुमावत और नरपत सिंह राजवी की मानें तो जलदाय विभाग ने इस संबंध में अर्जी भेजने के बावजूद क्षेत्र में न तो बोरिंग लगे और न ही हैंड पंप.
चौमूं से आने वाले भाजपा विधायक रामलाल शर्मा की परेशानी तो इससे भी अलग है. उन्होंने अपने क्षेत्र में घोषणा के तहत यह ट्यूबवेल और हेड पंप लगाने के लिए विभाग को कहा और विभाग ने उसे स्वीकृत भी कर दिया, लेकिन बाद में यह कहते हुए स्वीकृति निरस्त कर दी गई कि जिन क्षेत्रों में यह ट्यूबवेल लगाए जाने की मांग है वहां जल जीवन मिशन के तहत कार्यों की स्वीकृति हो गई है.
ऐसे में नए ट्यूबवेल वहां नहीं लगाए जाएंगे. वहीं, फुलेरा से भाजपा विधायक निर्मल कुमावत और विद्याधर नगर से विधायक नरपत सिंह राजवी ने भी पेयजल विभाग में इससे जुड़ा प्रस्ताव भेजा है, लेकिन उस पर अब तक कोई काम नहीं हुआ. सांगानेर से भाजपा विधायक अशोक लाहोटी तो साफ तौर पर कहते हैं कि पेयजल विभाग में इस संबंध में मांग पत्र भेजे दो महीने हो चुके हैं, लेकिन न तो स्वीकृति मिली और न कोई काम शुरू हुआ. ऐसे में यह सरकार केवल घोषणाओं की सरकार है, जबकि धरातल पर कोई काम होते ही नहीं.
मंत्री ने आरोपों को किया खारिज, कहा- जिन विधायकों ने की डिमांड वहां हुआ काम...
जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने भाजपा विधायकों के आरोपों को सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा कि कंटीजेंसी प्लान और मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप यह हैंड पंप और ट्यूबवेल लगाए जा रहे हैं. जिन विधायकों की डिमांड आई उनके क्षेत्रों में इन्हें लगाया गया और जैसे-जैसे अन्य मांग आ रही है वहां पर भी इन्हें लगाने का काम किया जाएगा.