जयपुर. चाहे सुखाड़िया का सियासी युग हो, या फिर शेखावत का शासनकाल. गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजधानी जयपुर का ह्रदय स्थल कहे जाने वाली बड़ी चौपड़ अनूठी सियासत की साक्षी बनती है. यहाँ सत्ताधारी और विपक्षी दल परंपरा अनुसार बारी-बारी से झंडारोहण करते हैं.
पहले सत्तापक्ष की ओर से ध्वजारोहण होता है, और उसके ठीक बाद विपक्षी दल के नेता राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये है, कि ध्वजारोहण की यह परंपरा सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से पूर्व मुखी होकर निभाई जाती है. जबकि, विपक्ष दक्षिण मुखी होकर इस परंपरा का निर्वहन करता है.
यह भी पढ़ेंः Special : पीएम को राखी बांध चुकीं ऊषा चौमर ने की तारीफ, "गांधी के बाद मोदी ने ही की स्वच्छता की बात"
राजस्थान में हमेशा से प्रमुख रूप से दो ही दल चर्चा में रहे हैं, पहली कांग्रेस और दूसरी बीजेपी. फिलहाल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता का सुख भोग रही है, और बीजेपी विपक्ष में है. जानकारों की मानें, तो सबसे पहले टीकाराम पालीवाल ने बड़ी चौपड़ पर ध्वजारोहण करके इस परंपरा की शुरूआत की थी.
कांग्रेस की ओर से सीएम अशोक गहलोत ने पहले ध्वजारोहण किया. इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, कई कांग्रेस विधायक और पार्टी के पदाधिकारी मौजूद रहे. इस दौरान गहलोत और पायलट ने प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी.
यह भी पढ़ेंः जन गण मन : यहां आजादी के 17 साल पहले ही फहरा दिया गया था तिरंगा
वहीं दूसरी ओर विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने ध्वजारोहण किया. इस दौरान पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पार्टी विधायक मौजूद रहे. यहाँ कटारिया और पूनिया ने देश के शहीदों को नमन किया. साथ ही संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के साथ लोह पुरुष वल्लभ भाई पटेल को भी याद किया.
बड़ी चौपड़ पर लहराता तिरंगा छोटीकाशी के दिल में बसी कौमी एकता का संदेश देता है. यही देश के गणतंत्र की मूल भावना भी है.