जयपुर. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश के मामले में अब सरकार और निजी स्कूल संचालकों के बीच टकराव बढ़ गया है. बीते चार साल से आरटीई की पुनर्भरण राशि नहीं मिलने से गुस्साए निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार को पहले आरटीई के तहत दी जाने वाली पुनर्भरण राशि का भुगतान करना चाहिए.
उनका कहना है कि सरकार की ओर से आरटीई के तहत बकाया राशि का पुनर्भरण नहीं करने के कारण कई निजी स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं. बताया जा रहा है कि कुछ निजी स्कूलों की आरटीई की पुनर्भरण राशि 2012 से बकाया चल रही है.
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स्कूल क्रांति संघ की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि शिक्षा विभाग की ओर से आरटीई के तहत सत्र 2021-22 के नवीन प्रवेश के लिए विज्ञप्ति निकाली गई है और लॉटरी की तारीख भी तय की गई है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में साफ तौर पर कहा है कि सरकार को मार्च 2021 तक आरटीई के तहत बकाया पुनर्भरण राशि का भुगतान करना है. जबकि सरकार ने आज तक भुगतान नहीं किया है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है.
उनका यह भी कहना है कि सरकार की ओर से पुनर्भरण की राशि नहीं देने के कारण हजारों स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गई है. इसके साथ ही स्कूल क्रांति संघ की प्रवक्ता सीमा शर्मा का कहना है कि सरकार ने आरटीई के तहत निशुल्क प्रवेश की जो उम्र सीमा तय की है. वह भी न्यायसंगत नहीं है.