जयपुर. मदरसों की बिगड़ती स्थिति को लेकर बुधवार को जयपुर के मुसाफिर खाने में एक कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई. इस कॉन्फ्रेंस में गहलोत सरकार के अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद ने भी शिरकत की. मंत्री सालेह मोहम्मद ने समस्याओं को कैबिनेट सब कमेटी के सामने रखने का आश्वासन दिया.
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कॉन्फ्रेंस के जरिए मदरसों को लेकर एक डिमांड चार्टर भी पेश किया गया, जिसमें कहा गया कि राजस्थान मदरसा अधिनियम के पारित होते ही सभी मदरसों को क्रमोन्नत करने की प्रक्रिया बिना किसी देरी के शुरू होनी चाहिए ताकि लंबे इंतजार के बाद कक्षा 8 के आगे की पढ़ाई का मदरसा प्रबंध कर सके. इसके लिए बिहार मदरसा बोर्ड का मॉडल अपनाया जा सकता है.
मदरसों को आगे आना चाहिए
आर्थिक सहयोग नहीं मिलने की स्थिति में मदरसों की स्थिति खराब होती जा रही है. इसके कारण टीचर्स की तनख्वाह भी पूरी नहीं अदा की जा सकती. कक्षा पहली से आठवीं तक प्रवेश नहीं हो पा रहे हैं. लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण आम जनता रुझान शिक्षा से विमुख हो रहा है, जो चिंता का कारण है. डिमांड चार्टर में मांग की गई कि मदरसों की आर्थिक स्थिति सही करवाने के लिए कम से कम 5 लाख रुपए की आर्थिक पैकेज की घोषणा की जानी चाहिए और इसके लिए मदरसों को आगे आना चाहिए.
मदरसों में पुस्तकों के वितरण में भी भेदभाव का मामला भी उठाया गया. इस बार भी पांचवीं से आठवीं तक की किताबें नियम के अनुसार छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुसार सप्लाई नहीं की गई. इसकी शिकायत भी दर्ज करवा दी गई है. इस सत्र में 40 से 50 फीसदी अंक वर्क बुक में किए गए होमवर्क के आधार पर छात्र-छात्राओं को दी जाएगी, लेकिन मदरसों में आज तक यह वर्क बुक वितरित नहीं किए गए. जबकि सरकारी स्कूलों में यह वर्क बुक काफी समय पहले ही जारी कर दी गई है.
छात्रवृत्ति में भागीदार बनाने की भी मांग
छात्र-छात्रों की स्कॉलरशिप के लिए जीरो बैलेंस पर अकाउंट खोले गए थे, लेकिन अब बैंक 1000 से 2000 रुपए का बैलेंस रखकर अकाउंट ऑपरेट कर रहे हैं. डिमांड चार्टर के जरिए बैंकों को जीरो बैलेंस पर ही अकाउंट ऑपरेट करने की मांग की गई. अल्पसंख्यक समुदाय ने कहा कि शिक्षा से भेदभाव के तहत शिक्षा विभाग की ओर से सभी सुविधाएं मदरसों तक नहीं पहुंच पाती. छात्र-छात्राओं को भी राज्य सरकार के कल्याण मंत्रालय की ओर से वितरित छात्रवृत्ति में भागीदार बनाने की भी मांग की गई.
कंप्यूटर वितरण नहीं किया जा रहा
लोगों ने बताया कि राजस्थान मदरसा बोर्ड की ओर से कंप्यूटर वितरण भी नहीं किया जा रहा. अब्दुल कईम अख्तर ने बताया कि मुसलमानों का बच्चा सबसे पहले मदरसों में ही बुनियादी तालीम हासिल करता है और इन मदरसों की हालत खराब है. कोरोना के कारण और ज्यादा खराब हो चुकी है. डिमांड चार्टर के जरिए मदरसे की माली हालत सुधारने की मांग की गई और भामाशाह को आगे आने की गुजारिश की गई. यह सभी मांगें अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद और विधायक रफीक खान व अमीन कागजी के सामने भी रखी गई.
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अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद ने बताया कि अल्पसंख्यकों की सभी समस्याओं को कैबिनेट सब कमेटी के सामने रखी जाएगी और यह सरकार तक पहुंचाई जाएगी. उम्मीद है कि सभी समस्याओं का समाधान जरूर होगा.
चर्चा का विषय बना सालेह मोहम्मद का पहुंचना
ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल की तरफ से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था. कॉन्फ्रेंस के बाद एक संदेश बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है. मिल्ली काउंसिल के ज्यादातर सदस्य असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को लेकर लगातार सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. ओवैसी की हर एक्टिविटी के बारे में जानकारी दी जाती है.
चर्चा है कि सालेह मोहम्मद एआईएमआईएम को समर्थन देने के लिए राजधानी जयपुर के मुस्लिम मुसाफिरखाना में पहुंचे. बता दें, राजधानी जयपुर के मुस्लिम मुसाफिरखाना कमेटी का विवाद पिछले काफी लंबे समय से चल रहा है. इस तरह का एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होना और अल्पसंख्यक मामलात मंत्री का पहुंचना भी चर्चा का विषय बना हुआ है.