जयपुर. राजस्थान के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (DIPR) में घोटाले का मामला सामने आया है. सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की ओर से प्रकाशित पत्रिका 'सुजस' के घोटाले की विस्तृत जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB to investigate DIPR scam) करेगी. मामले में एसीबी के डीआईजी सवाई सिंह गोदारा ने डीआईपीआर के प्रमुख शासन सचिव से जांच की अनुमति मांगी है.
गोदारा की ओर से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रमुख शासन सचिव को लिखे गए पत्र के अनुसार DIPR के विरुद्ध पद का दुरुपयोग कर पत्रिका सुजस के मुद्रण और वितरण में भारी अनियमितता बरतते हुए राजकोष को लाखों रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाने की शिकायत प्राप्त हुई है. शिकायत में अंकित तथ्यों के अनुसार प्रथम दृष्टया यह मामला पद के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और राजकोष को हानि पहुंचाने का प्रतीत होता है. शिकायत विस्तृत जांच योग्य पाई गई है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 17 ए के तहत लोकसेवक से संबंधित अपराधों की जांच के लिए सक्षम स्तर से पूर्व अनुमोदन आवश्यक है. DIPR के प्रमुख शासन सचिव से पूर्व अनुमोदन की अपील की गई है.
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जर्नलिस्ट महेश झालानी की ओर से पिछले दिनों एसीबी को शिकायत की गई थी कि 'सुजस' के प्रकाशन और वितरण में जबरदस्त घोटाला (Complaint of scam in DIPR magazine Sujas ) है. टेंडरों की शर्तों के अनुसार न तो निर्धारित संख्या में सुजस का प्रकाशन हो रहा है और न ही उल्लेखित क्वालिटी का पेपर उपयोग में लिया जा रहा है. टेंडर में भी घोटाला हुआ है. इस घपले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार कानून के अंतर्गत कार्रवाई होनी चाहिए. सुजस के अलावा हाल में डीआईपीआर की ओर से प्रकाशित एक 16 पेज की पुस्तिका के प्रकाशन में भी तीन करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला किया गया है. पुस्तिका का प्रकाशन केवल कागजो में ही किया गया है. हकीकत में चंद पुस्तके ही प्रकाशित हुई है, ताकि उसको दिखाकर भुगतान उठाया जा सके.