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ब्यूरोक्रेसी विवाद ! ऊर्जा विभाग के CMD का तबादला हुआ तो लगा दी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, CS ने देर रात की नामंजूर

राजस्थान ब्यूरोक्रेसी के एक IAS अधिकारी ने तबादले से नाराज होकर वीआरएस यानी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की ही अर्जी लगा दी. ऊर्जा विभाग में 114 करोड़ रुपए की ईआरपी टेंडर को लेकर विवादों को में सुनवाई नहीं होने पर आईएएस पी रमेश नाराज चल रहे थे.

राजस्थान न्यूज, Rajasthan Bureaucracy
आईएएस रमेश ने लगाई VRS
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Published : Oct 7, 2020, 9:13 AM IST

जयपुर. प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में अधिकारियों की नाराजगी एक बार फिर खुल कर सामने आई है. सोमवार को ऊर्जा विभाग के सीएमडी के पद से उदयपुर संभागीय आयुक्त के पद पर हुए तबादले से नाराज आईएएस पी रमेश ने मुख्य सचिव को वीआरएस यानी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी थमा दी. हालांकि, मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने देर रात को इस अर्जी को नामंजूर कर दिया है.

ऊर्जा विभाग में 114 करोड़ रुपए की ईआरपी टेंडर को लेकर विवादों के बाद आखिरकार राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पी रमेश का सोमवार को देर रात तबादला कर दिया गया. रमेश को उदयपुर संभागीय आयुक्त और खान विभाग निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जिम्मेदारी दी गई लेकिन पी रमेश को यह नई जिम्मेदारी रास नहीं आई. उन्होंने इसके पीछे की कथित राजनीति से नाराज होकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी मुख्य सचिव राजीव स्वरूप को थमा दी. उसके बाद राज्य की ब्यूरोक्रेसी में हल्ला मच गया. हालांकि, देर शाम तक मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने यह स्पष्ट कर दिया कि पी रमेश की वीआरएस अर्जी को नामंजूर कर दिया गया है. उन्होंने दावा किया है कि रमेश जल्दी नया पद संभाल लेंगे.

यह भी पढ़ें. कोर्ट ने 14 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की दी अनुमति

बता दें कि पी रमेश ने पिछले दिनों ऊर्जा विभाग में 114 करोड़ रुपए के एक सेंटर को लेकर आला अधिकारियों पर मनमानी के आरोप जड़े थे. वहीं उन्होंने विवादित टेंडर को पास कराने के लिए कुछ अफसरों पर दबाव बनाने और परेशान करने के आरोप भी लगाया था. जिसके बाद इस मामले में सुनवाई नहीं होने पर वे नाराज चल रहे थे. इसी बीच पी रमेश का ऊर्जा विभाग से तबादला की गई.

यह भी पढ़ें. हनुमानगढ़ गैंगरेप मामले में राज्य बाल संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान

वहीं जैसे ही मंगलवार सुबह जब इस बात की जानकारी सामने आई कि पी रमेश ने वीआरएस के लिए आवेदन किया है, उसके बाद से लगातार पी रमेश से संपर्क करने की कोशिश करी जा रही है लेकिन वो फोन को रिसीव नही कर रहे हैं. मतलब साफ है कि पी रमेश अभी इस विवादित मामले में मीडिया के सामने आकर सरकार से सीधा टकराव की स्थति से बचना चाह रहे हैं.

कंडीशनल वीआरएस नहीं होता मंजूर

कोई भी भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी अगर कंडीशनल वीआरएस के लिए आवेदन करता है तो नियमों के तहत उस आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा सकता. हां, अगर वीआरएस स्वैच्छिक और बिना किसी कंडीशन के लिया जाता है तो उसे सरकार स्वीकार कर लेती है लेकिन पी रमेश के मामले में माना जा रहा है कि कि पी रमेश ने कंडिश्नल वीआरएस आवेदन किया था. ऐसे में आवेदन को नामंजूर कर दिया गया.

कुछ दिनों पहले डीजीपी भूपेंद्र सिंह ने भी लगाई थी वीआरएस की अर्जी

वर्तमान डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव ने भी अपनी सेवानिवृत्ति से पहले ही वीआरएस के लिए आवेदन करके प्रशासनिक हलके में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया था. डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव वही हैं, जिनके कार्यकाल को 2 साल बढ़ाने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी लेकिन यादव ने 2 साल का कार्यकाल होने से कुछ दिन पहले ही वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया.

जयपुर. प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में अधिकारियों की नाराजगी एक बार फिर खुल कर सामने आई है. सोमवार को ऊर्जा विभाग के सीएमडी के पद से उदयपुर संभागीय आयुक्त के पद पर हुए तबादले से नाराज आईएएस पी रमेश ने मुख्य सचिव को वीआरएस यानी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी थमा दी. हालांकि, मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने देर रात को इस अर्जी को नामंजूर कर दिया है.

ऊर्जा विभाग में 114 करोड़ रुपए की ईआरपी टेंडर को लेकर विवादों के बाद आखिरकार राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पी रमेश का सोमवार को देर रात तबादला कर दिया गया. रमेश को उदयपुर संभागीय आयुक्त और खान विभाग निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जिम्मेदारी दी गई लेकिन पी रमेश को यह नई जिम्मेदारी रास नहीं आई. उन्होंने इसके पीछे की कथित राजनीति से नाराज होकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी मुख्य सचिव राजीव स्वरूप को थमा दी. उसके बाद राज्य की ब्यूरोक्रेसी में हल्ला मच गया. हालांकि, देर शाम तक मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने यह स्पष्ट कर दिया कि पी रमेश की वीआरएस अर्जी को नामंजूर कर दिया गया है. उन्होंने दावा किया है कि रमेश जल्दी नया पद संभाल लेंगे.

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बता दें कि पी रमेश ने पिछले दिनों ऊर्जा विभाग में 114 करोड़ रुपए के एक सेंटर को लेकर आला अधिकारियों पर मनमानी के आरोप जड़े थे. वहीं उन्होंने विवादित टेंडर को पास कराने के लिए कुछ अफसरों पर दबाव बनाने और परेशान करने के आरोप भी लगाया था. जिसके बाद इस मामले में सुनवाई नहीं होने पर वे नाराज चल रहे थे. इसी बीच पी रमेश का ऊर्जा विभाग से तबादला की गई.

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वहीं जैसे ही मंगलवार सुबह जब इस बात की जानकारी सामने आई कि पी रमेश ने वीआरएस के लिए आवेदन किया है, उसके बाद से लगातार पी रमेश से संपर्क करने की कोशिश करी जा रही है लेकिन वो फोन को रिसीव नही कर रहे हैं. मतलब साफ है कि पी रमेश अभी इस विवादित मामले में मीडिया के सामने आकर सरकार से सीधा टकराव की स्थति से बचना चाह रहे हैं.

कंडीशनल वीआरएस नहीं होता मंजूर

कोई भी भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी अगर कंडीशनल वीआरएस के लिए आवेदन करता है तो नियमों के तहत उस आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा सकता. हां, अगर वीआरएस स्वैच्छिक और बिना किसी कंडीशन के लिया जाता है तो उसे सरकार स्वीकार कर लेती है लेकिन पी रमेश के मामले में माना जा रहा है कि कि पी रमेश ने कंडिश्नल वीआरएस आवेदन किया था. ऐसे में आवेदन को नामंजूर कर दिया गया.

कुछ दिनों पहले डीजीपी भूपेंद्र सिंह ने भी लगाई थी वीआरएस की अर्जी

वर्तमान डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव ने भी अपनी सेवानिवृत्ति से पहले ही वीआरएस के लिए आवेदन करके प्रशासनिक हलके में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया था. डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव वही हैं, जिनके कार्यकाल को 2 साल बढ़ाने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी लेकिन यादव ने 2 साल का कार्यकाल होने से कुछ दिन पहले ही वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया.

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