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CM गहलोत ने PM मोदी को लिखा पत्र, किसानों को लेकर की ये मांग

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीयकृत, वाणिज्यिक और भूमि विकास बैंकों से किसानों के बकाया ऋणों को माफ करने की मांग की है.

cm gehlot wrote letter to pm modi, seeking to forgive farmers loans
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ...
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Published : Dec 29, 2020, 7:25 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीयकृत, वाणिज्यिक और भूमि विकास बैंकों से किसानों के बकाया ऋणों को माफ करने की मांग की है. सीएम गहलोत ने कहा कि पिछले दिनों एक आरटीआई के जवाब से पता चला है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कुल 7.95 लाख करोड़ रुपये के उद्योगपतियों के कर्ज राइट ऑफ हुए हैं. लेकिन मोदी सरकार ने किसानों के लिये कोई कर्जमाफी नहीं की है.

2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद राजस्थान में 20 लाख 56 हजार से ज्यादा किसानों के कर्ज माफ किए हैं. राज्य सरकार ने कुल 14 हजार करोड़ माफ किया है, जिसमें 6000 हजार करोड़ बीजेपी सरकार द्वारा घोषित कर्जमाफी के भी शामिल हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि 18 दिसंबर को पीएम ने बीजेपी द्वारा आयोजित मध्य प्रदेश के किसान सम्मेलन में कहा कि राजस्थान में किसान कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है. कोई भी किसान ऐसा नहीं है, जो राजस्थान सरकार के अधीन आने वाले सहकारी बैंकों से कर्जमाफी का इंतजार कर रहा हो. कर्जमाफी का इंतजार वहीं बचे हुए किसान कर रहे हैं, जिन्होंने केंद्र सरकार के अधीन राष्ट्रीयकृत एवं वाणिज्यिक बैंकों से कर्ज लिया. केंद्र सरकार ने उनके कर्ज माफ नहीं किए हैं.

पढ़ें: कोरोना से उभरने लगी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, सरकार कर रही मदद

गहलोत ने कहा कि पत्र में याद दिलाया कि यूपीए सरकार ने राष्ट्रीयकृत और वाणिज्यिक बैंकों से देशभर के किसानों के 72 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए थे. NDA सरकार आगे आकर इस तरह किसानों की कर्जमाफी क्यों नहीं करती? यह भी विडंबना है कि एक तरफ तो बीजेपी के नेता भ्रम फैलाकर राजस्थान के किसानों को भड़का रहे हैं और दूसरी ओर जो किसान एक महीने से धरने पर बैठे हुए हैं, उनसे अभी तक कोई सकारात्मक संवाद नहीं हुआ है. उन्होंने पत्र में लिखा कि मीडिया के मुताबिक, 40 से अधिक किसानों की मौत हो गई है.

पढ़ें: अन्नदाताओं की मददगार बनी 'फसली ऋण योजना', करीब 85 प्रतिशत किसानों को मिला लाभ

अगर केंद्र सरकार ये बिल लाने से पहले किसान संगठनों, कृषि विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों से संवाद स्थापित करती, तो इस तरह की परिस्थितियां पैदा नहीं होती. किसानों की समस्याओं का समाधान ना करने के कारण उनके दिल-दिमाग में सरकार के प्रति भंयकर आक्रोश है.NDA सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन आपकी सरकार की नीतियों और आज की परिस्थितियों को देखकर यह वादा पूरा होता हुआ नहीं लग रहा है. केंद्र सरकार को अपना अहम छोड़कर अविलंब किसानों से संवाद स्थापित करना चाहिए. साथ ही, किसानों को राहत देने के लिये राष्ट्रीयकृत, वाणिज्यिक एवं भूमि विकास बैंकों से ऋण लिए हुए किसानों के कर्जमाफ कर उन्हें राहत देनी चाहिए.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीयकृत, वाणिज्यिक और भूमि विकास बैंकों से किसानों के बकाया ऋणों को माफ करने की मांग की है. सीएम गहलोत ने कहा कि पिछले दिनों एक आरटीआई के जवाब से पता चला है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कुल 7.95 लाख करोड़ रुपये के उद्योगपतियों के कर्ज राइट ऑफ हुए हैं. लेकिन मोदी सरकार ने किसानों के लिये कोई कर्जमाफी नहीं की है.

2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद राजस्थान में 20 लाख 56 हजार से ज्यादा किसानों के कर्ज माफ किए हैं. राज्य सरकार ने कुल 14 हजार करोड़ माफ किया है, जिसमें 6000 हजार करोड़ बीजेपी सरकार द्वारा घोषित कर्जमाफी के भी शामिल हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि 18 दिसंबर को पीएम ने बीजेपी द्वारा आयोजित मध्य प्रदेश के किसान सम्मेलन में कहा कि राजस्थान में किसान कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है. कोई भी किसान ऐसा नहीं है, जो राजस्थान सरकार के अधीन आने वाले सहकारी बैंकों से कर्जमाफी का इंतजार कर रहा हो. कर्जमाफी का इंतजार वहीं बचे हुए किसान कर रहे हैं, जिन्होंने केंद्र सरकार के अधीन राष्ट्रीयकृत एवं वाणिज्यिक बैंकों से कर्ज लिया. केंद्र सरकार ने उनके कर्ज माफ नहीं किए हैं.

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गहलोत ने कहा कि पत्र में याद दिलाया कि यूपीए सरकार ने राष्ट्रीयकृत और वाणिज्यिक बैंकों से देशभर के किसानों के 72 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए थे. NDA सरकार आगे आकर इस तरह किसानों की कर्जमाफी क्यों नहीं करती? यह भी विडंबना है कि एक तरफ तो बीजेपी के नेता भ्रम फैलाकर राजस्थान के किसानों को भड़का रहे हैं और दूसरी ओर जो किसान एक महीने से धरने पर बैठे हुए हैं, उनसे अभी तक कोई सकारात्मक संवाद नहीं हुआ है. उन्होंने पत्र में लिखा कि मीडिया के मुताबिक, 40 से अधिक किसानों की मौत हो गई है.

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अगर केंद्र सरकार ये बिल लाने से पहले किसान संगठनों, कृषि विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों से संवाद स्थापित करती, तो इस तरह की परिस्थितियां पैदा नहीं होती. किसानों की समस्याओं का समाधान ना करने के कारण उनके दिल-दिमाग में सरकार के प्रति भंयकर आक्रोश है.NDA सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन आपकी सरकार की नीतियों और आज की परिस्थितियों को देखकर यह वादा पूरा होता हुआ नहीं लग रहा है. केंद्र सरकार को अपना अहम छोड़कर अविलंब किसानों से संवाद स्थापित करना चाहिए. साथ ही, किसानों को राहत देने के लिये राष्ट्रीयकृत, वाणिज्यिक एवं भूमि विकास बैंकों से ऋण लिए हुए किसानों के कर्जमाफ कर उन्हें राहत देनी चाहिए.

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