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CM गहलोत का PM मोदी को पत्र, आशा सहयोगिनियों की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाने की मांग की - मुख्यमंत्री गहलोत ने लिखा पत्र

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने केन्द्र सरकार से आशा सहयोगिनियों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की मांग की है. गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की वेदनाओं के प्रति सवेदनशील है और उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए उनके साथ खड़ी है.

मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा, CM Gehlot wrote a letter to PM
CM गहलोत का PM मोदी को पत्र
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Published : Jan 3, 2021, 7:39 AM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केन्द्र सरकार से आशा सहयोगिनियों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि आशाओं की ओर से समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में निभाई जा रही अहम भूमिका को ध्यान में रखते हुए इनकी प्रोत्साहन राशि में वृद्धि जरूरी है. ताकि इनका मनोबल ऊंचा रहे और वह अधिक दक्षता और गुणवत्ता के साथ स्वास्थ्य सेवाओं का निष्पादन करें.

पढ़ेंः जयपुर: आशा सहयोगिनियों के धरने को BJP ने दिया समर्थन, कहा- महिलाओं के मुद्दों पर गहलोत सरकार असंवेदनशील

मुख्यमंत्री ने शनिवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से साल 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत चयनित आशा कार्यकर्ताओं की तरफ से आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से शहरों और दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों सहित जमीनी स्तर पर विभिन्न स्वास्थ्य गतिविधियों का लाभ प्रत्येक व्यक्ति तक सुलभ करवाने का काम किया जाता है.

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की वेदनाओं के प्रति सवेदनशील है और उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए उनके साथ खड़ी है. इस क्रम में राज्य सरकार की ओर से इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आर्थिक संबल देने के लिए समेकित बाल विकास सेवाएं विभाग की ओर से 2700 रूपए प्रतिमाह की दर से अतिरिक्त मानदेय भी दिया जा रहा है, जो पूर्णतया राज्य मद से दिया जाता है.

पढ़ेंः राजस्थान उपचुनाव के लिए भाजपा ने कसी कमर, चुनाव प्रभारी और चुनाव प्रबंधन प्रभारी नियुक्त किए

गहलोत ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि मिशन की शुरूआत से ही पिछले 15 सालों के दौरान आशा सहयोगिनियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को सुदृढ़ करने और मिशन के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. साल 2020 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के काल में आशा सहयोगिनियां ने घर-घर जाकर सर्वे जैसे महत्वपूर्ण काम को भी अंजाम दिया.

मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत सरकार की ओर से आशा सहयोगिनियों को स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न गतिविधियों हेतु देय प्रोत्साहन राशि में साल 2013-14 के बाद से विशेष कार्यक्रमों में भागीदारी को छोड़कर कोई वृद्धि नहीं की गई है. एक आशा कार्यकर्ता को इसके तहत प्रतिमाह औसतन 3 हजार रूपए का भुगतान होता है, जो कार्य निष्पादन के अनुसार कम या अधिक भी हो सकता है.

पढ़ेंः गहलोत सरकार ने जारी की नई कोरोना गाइडलाइन, शैक्षणिक संस्थान रहेंगे 15 जनवरी तक बंद

गहलोत ने पत्र में लिखा कि देश में महंगाई सूचकांक में लगातार वृद्धि के बावजूद भारत सरकार की तरफ से निर्धारित स्वास्थ्य गतिविधिवार प्रोत्साहन राशि में वृद्धि नहीं होने से आशा कार्यकर्ता हतोत्साहित हैं. उनमें असंतोष पनप रहा है. मिशन के प्रावधानों के अन्तर्गत यह प्रोत्साहन राशि केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से 60:40 के अनुपात में वहन की जाती है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में कुल 55,816 स्वीकृत पदों के विरूद्ध वर्तमान में 52,248 आशा सहयोगिनियां कार्यरत हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध किया कि आशाओं समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की पहंच में आशाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार की ओर से इनके प्रोत्साहन राशि में समुचित वृद्धि की जाए.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केन्द्र सरकार से आशा सहयोगिनियों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि आशाओं की ओर से समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में निभाई जा रही अहम भूमिका को ध्यान में रखते हुए इनकी प्रोत्साहन राशि में वृद्धि जरूरी है. ताकि इनका मनोबल ऊंचा रहे और वह अधिक दक्षता और गुणवत्ता के साथ स्वास्थ्य सेवाओं का निष्पादन करें.

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मुख्यमंत्री ने शनिवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से साल 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत चयनित आशा कार्यकर्ताओं की तरफ से आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से शहरों और दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों सहित जमीनी स्तर पर विभिन्न स्वास्थ्य गतिविधियों का लाभ प्रत्येक व्यक्ति तक सुलभ करवाने का काम किया जाता है.

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की वेदनाओं के प्रति सवेदनशील है और उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए उनके साथ खड़ी है. इस क्रम में राज्य सरकार की ओर से इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आर्थिक संबल देने के लिए समेकित बाल विकास सेवाएं विभाग की ओर से 2700 रूपए प्रतिमाह की दर से अतिरिक्त मानदेय भी दिया जा रहा है, जो पूर्णतया राज्य मद से दिया जाता है.

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गहलोत ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि मिशन की शुरूआत से ही पिछले 15 सालों के दौरान आशा सहयोगिनियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को सुदृढ़ करने और मिशन के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. साल 2020 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के काल में आशा सहयोगिनियां ने घर-घर जाकर सर्वे जैसे महत्वपूर्ण काम को भी अंजाम दिया.

मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत सरकार की ओर से आशा सहयोगिनियों को स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न गतिविधियों हेतु देय प्रोत्साहन राशि में साल 2013-14 के बाद से विशेष कार्यक्रमों में भागीदारी को छोड़कर कोई वृद्धि नहीं की गई है. एक आशा कार्यकर्ता को इसके तहत प्रतिमाह औसतन 3 हजार रूपए का भुगतान होता है, जो कार्य निष्पादन के अनुसार कम या अधिक भी हो सकता है.

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गहलोत ने पत्र में लिखा कि देश में महंगाई सूचकांक में लगातार वृद्धि के बावजूद भारत सरकार की तरफ से निर्धारित स्वास्थ्य गतिविधिवार प्रोत्साहन राशि में वृद्धि नहीं होने से आशा कार्यकर्ता हतोत्साहित हैं. उनमें असंतोष पनप रहा है. मिशन के प्रावधानों के अन्तर्गत यह प्रोत्साहन राशि केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से 60:40 के अनुपात में वहन की जाती है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में कुल 55,816 स्वीकृत पदों के विरूद्ध वर्तमान में 52,248 आशा सहयोगिनियां कार्यरत हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध किया कि आशाओं समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की पहंच में आशाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार की ओर से इनके प्रोत्साहन राशि में समुचित वृद्धि की जाए.

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