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वित्त मंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए की गई घोषणा आंकड़ों का मायाजाल: सीएम गहलोत - केंद्रीय वित्त मंत्री

सीएम गहलोत ने वित्त मंत्री सीतारमण की घोषणाओं बारे में ट्वीट किया. जिसमें कहा कि वित्त मंत्री को पैकेज के संबंध में संख्याओं, आंकड़ों, विवरणों का पूर्ण विराम देना चाहिए था. यह पारदर्शिता, स्पष्टता और प्रभाव को समझने के लिए महत्वपूर्ण है.

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सीएम अशोक गहलोत
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Published : May 16, 2020, 1:04 AM IST

जयपुर. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को एक घोषणा की जो प्रदेश की गहलोत सरकार को रास नहीं आई. सीएम गहलोत ने वित्त मंत्री सीतारमण की घोषणाओं बारे में ट्वीट किया.

गहलोत ने लिखा कि वित्त मंत्री को पैकेज के संबंध में संख्याओं, आंकड़ों, विवरणों का पूर्ण विराम देना चाहिए था. यह पारदर्शिता, स्पष्टता और प्रभाव को समझने के लिए महत्वपूर्ण है.

गहलोत ने कहा कि कोरोना से लड़ने, एनफोर्स, लॉकडाउन और अन्य चीजों के लिए राज्यों को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई है. जबकि प्रवासी मजदूरों को सहायता प्रदान करने और गरीबों को राहत देने का पूरा खर्चा राज्यों को उठाना पड़ा है.

जीडीपी मंदी में है और इस साल -3% की दर से बढ़ने की भविष्यवाणी की जा रही है. 14 करोड़ से अधिक लोगों की नौकरी चली गई है.

पढ़ें: मुख्यमंत्री जन आवास योजना में भवन निर्माण को बढ़ावा, 3B और 3C मॉडल में किया गया प्रावधान

बड़ी संख्या में लोग भुखमरी के स्तर पर जी रहे हैं. भारत सरकार ने पैकेज का 90% बैंक ऋण के रूप में दिया है. ये स्पष्ट है कि इस पैकेज में भूमिहीन मजदूरों और शहरी गरीबों के लिए कुछ भी नहीं है.

जयपुर. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को एक घोषणा की जो प्रदेश की गहलोत सरकार को रास नहीं आई. सीएम गहलोत ने वित्त मंत्री सीतारमण की घोषणाओं बारे में ट्वीट किया.

गहलोत ने लिखा कि वित्त मंत्री को पैकेज के संबंध में संख्याओं, आंकड़ों, विवरणों का पूर्ण विराम देना चाहिए था. यह पारदर्शिता, स्पष्टता और प्रभाव को समझने के लिए महत्वपूर्ण है.

गहलोत ने कहा कि कोरोना से लड़ने, एनफोर्स, लॉकडाउन और अन्य चीजों के लिए राज्यों को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई है. जबकि प्रवासी मजदूरों को सहायता प्रदान करने और गरीबों को राहत देने का पूरा खर्चा राज्यों को उठाना पड़ा है.

जीडीपी मंदी में है और इस साल -3% की दर से बढ़ने की भविष्यवाणी की जा रही है. 14 करोड़ से अधिक लोगों की नौकरी चली गई है.

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बड़ी संख्या में लोग भुखमरी के स्तर पर जी रहे हैं. भारत सरकार ने पैकेज का 90% बैंक ऋण के रूप में दिया है. ये स्पष्ट है कि इस पैकेज में भूमिहीन मजदूरों और शहरी गरीबों के लिए कुछ भी नहीं है.

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