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PMLA के तहत ED के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को CM गहलोत ने बताया निराशाजनक, भाजपा ने कहा- टिप्पणी न्यायालय का अपमान

सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा है. कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी मनमानी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सीएम अशोक गहलोत ने निराशाजनक और चिंताजनक (CM Gehlot comment on SC decision on PMLA) बताया. इस पर भाजपा ने पलटवार करते हुए गहलोत पर न्यायालय के अपमान का आरोप लगाया है.

CM Gehlot comment on SC decision on PMLA, BJP hits back at CM
PMLA के तहत ED के अधिकारों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को गहलोत ने बताया निराशाजनक, भाजपा ने कहा-टिप्पणी न्यायालय का अपमान
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Published : Jul 27, 2022, 10:42 PM IST

Updated : Jul 27, 2022, 10:57 PM IST

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 241 याचिकाओं पर फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा है कि इस एक्ट के तहत ईडी की ओर से किसी आरोपी की गिरफ्तारी गलत नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह फैसला निराशाजनक और चिंताजनक. इस पर भाजपा ने कहा कि गहलोत की टिप्पणी संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध और न्यायालय का अपमान (BJP hits back at Gehlot on comment on SC) है.

फैसला निराशाजनक और चिंताजनक: सीएम गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि PMLA और ED के अधिकारों पर उच्चतम न्यायालय का फैसला निराशाजनक और चिंताजनक है. देश में पिछले कुछ वर्षों से जो तानाशाही का माहौल बना हुआ है, इस फैसले के बाद केन्द्र सरकार की ओर से ED का राजनीतिक इस्तेमाल और अधिक करने की संभावना बढ़ जाएगी. गहलोत ने इस फैसले पर सवाल उठाए तो पलटवार में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सीएम गहलोत की सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ की गई टिप्पणी संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध और न्यायालय का अपमान है. यह टिप्पणी न्यायालय की स्वायत्तता, गरिमा और संविधान के संघीय ढांचे पर सीधा हमला है.

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राठौड़-गहलोत का ट्वीट...

पढ़ें: National Herald Case: नेशनल हेराल्ड में 30 हजार स्वतंत्रता सेनानियों के पैसे हड़पे गए, लूटेरों को डर लगना चाहिए-तरुण चुघ

सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा: जांच प्रक्रिया में जरूरत पड़ने पर ईडी किसी की गिरफ्तारी कर सकती है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गिरफ्तारी के समय इसके आधार का खुलासा करता है, तो ये पर्याप्त है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है और ईसीआईआर प्रवर्तन निदेशालय का एक आंतरिक दस्तावेज है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आरोपी को ईसीआईआर देना अनिवार्य नहीं है और गिरफ्तारी के दौरान कारणों का खुलासा करना ही काफी (SC decision on PMLA) है. बता दें कि कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम, एनसीपी नेता अनिल देशमुख और अन्य की तरफ से आई करीब 242 अपीलों पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. सभी याचिकाओं में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी. जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया.

पढ़ें: उधार का घी पी रहा है राजस्थान, हर शख्स पर ₹71 हजार का कर्जा...सियासी फायदे में बंट रही है रेवड़ी

गहलोत ने किया न्यायालय पर सीधा हमला: राठौड़ ने वक्तव्य जारी कर कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ED के अधिकारों को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दिये गये निर्णय पर मुख्यमंत्री गहलोत की टिप्पणी संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध और सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आती है. राठौड़ ने कहा कि सच्चाई यह है कि ईडी की ओर से सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ करने पर कुपित होकर आलाकमान की मिजाजपुर्सी की पराकाष्ठा करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक निर्णय पर राजनीति करने वाले गहलोत देश के पहले मुख्यमंत्री होंगे जिन्होंने न्यायिक निर्णय को राजनीतिक चश्मे से देखकर ऐसी टिप्पणी की. यह संविधान प्रदत्त न्यायालय की स्वायत्तता, गरिमा और संविधान के संघीय ढांचे पर सीधा हमला है.

पढ़ें: Ashok Gehlot On ED: सीएम हैरान, बोले- जिस एजेंसी का सक्सेस रेट .5 प्रतिशत वो CBI से भी ज्यादा पावरफुल

प्रदेश की कानून व्यवस्था चिंताजनक: राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री केन्द्र सरकार के विरोध में आरोप लगाने की जगह अगर अपने लगभग 4 साल पूर्ण करने की ओर बढ़ रही सरकार के कार्यकाल में जर्जर कानून व्यवस्था की चिंता करते तो अच्छा होता. राठौड़ ने कहा कि भरतपुर में ब्रज चौरासी क्षेत्र के पहाड़ में अवैध खनन के विरुद्ध 551 दिनों तक साधु-संतों के आंदोलन में संत विजय दास का आत्मदाह करना सरकार के माथे पर कलंक है. अब भी यक्ष प्रश्न यह है कि भरतपुर के आदिबद्री और कनकांचल क्षेत्रों में खनन बंद करने के भरतपुर जिला कलेक्टर के राज्य सरकार को भेजे गये प्रस्ताव पर 8 महीने तक चुप्पी क्यों व किसके दबाव में साधी?

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 241 याचिकाओं पर फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा है कि इस एक्ट के तहत ईडी की ओर से किसी आरोपी की गिरफ्तारी गलत नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह फैसला निराशाजनक और चिंताजनक. इस पर भाजपा ने कहा कि गहलोत की टिप्पणी संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध और न्यायालय का अपमान (BJP hits back at Gehlot on comment on SC) है.

फैसला निराशाजनक और चिंताजनक: सीएम गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि PMLA और ED के अधिकारों पर उच्चतम न्यायालय का फैसला निराशाजनक और चिंताजनक है. देश में पिछले कुछ वर्षों से जो तानाशाही का माहौल बना हुआ है, इस फैसले के बाद केन्द्र सरकार की ओर से ED का राजनीतिक इस्तेमाल और अधिक करने की संभावना बढ़ जाएगी. गहलोत ने इस फैसले पर सवाल उठाए तो पलटवार में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सीएम गहलोत की सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ की गई टिप्पणी संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध और न्यायालय का अपमान है. यह टिप्पणी न्यायालय की स्वायत्तता, गरिमा और संविधान के संघीय ढांचे पर सीधा हमला है.

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राठौड़-गहलोत का ट्वीट...

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सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा: जांच प्रक्रिया में जरूरत पड़ने पर ईडी किसी की गिरफ्तारी कर सकती है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गिरफ्तारी के समय इसके आधार का खुलासा करता है, तो ये पर्याप्त है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है और ईसीआईआर प्रवर्तन निदेशालय का एक आंतरिक दस्तावेज है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आरोपी को ईसीआईआर देना अनिवार्य नहीं है और गिरफ्तारी के दौरान कारणों का खुलासा करना ही काफी (SC decision on PMLA) है. बता दें कि कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम, एनसीपी नेता अनिल देशमुख और अन्य की तरफ से आई करीब 242 अपीलों पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. सभी याचिकाओं में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी. जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया.

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गहलोत ने किया न्यायालय पर सीधा हमला: राठौड़ ने वक्तव्य जारी कर कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ED के अधिकारों को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दिये गये निर्णय पर मुख्यमंत्री गहलोत की टिप्पणी संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध और सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आती है. राठौड़ ने कहा कि सच्चाई यह है कि ईडी की ओर से सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ करने पर कुपित होकर आलाकमान की मिजाजपुर्सी की पराकाष्ठा करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक निर्णय पर राजनीति करने वाले गहलोत देश के पहले मुख्यमंत्री होंगे जिन्होंने न्यायिक निर्णय को राजनीतिक चश्मे से देखकर ऐसी टिप्पणी की. यह संविधान प्रदत्त न्यायालय की स्वायत्तता, गरिमा और संविधान के संघीय ढांचे पर सीधा हमला है.

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प्रदेश की कानून व्यवस्था चिंताजनक: राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री केन्द्र सरकार के विरोध में आरोप लगाने की जगह अगर अपने लगभग 4 साल पूर्ण करने की ओर बढ़ रही सरकार के कार्यकाल में जर्जर कानून व्यवस्था की चिंता करते तो अच्छा होता. राठौड़ ने कहा कि भरतपुर में ब्रज चौरासी क्षेत्र के पहाड़ में अवैध खनन के विरुद्ध 551 दिनों तक साधु-संतों के आंदोलन में संत विजय दास का आत्मदाह करना सरकार के माथे पर कलंक है. अब भी यक्ष प्रश्न यह है कि भरतपुर के आदिबद्री और कनकांचल क्षेत्रों में खनन बंद करने के भरतपुर जिला कलेक्टर के राज्य सरकार को भेजे गये प्रस्ताव पर 8 महीने तक चुप्पी क्यों व किसके दबाव में साधी?

Last Updated : Jul 27, 2022, 10:57 PM IST
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