जयपुर. प्रदेश में अनाथ और उपेक्षित बच्चों की देखरेख, संरक्षण और पुनर्वास के लिए जिला स्तर पर सामूहिक देखरेख योजना शुरू की जाएगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अभिनव पहल करते हुए सभी जिला मुख्यालयों पर एनजीओ और सिविल सोसायटी के समन्वय से गोराधाय ग्रुप फोस्टर केयर योजना के संचालन को मंजूरी दी है.
सीएम अशोक गहलोत ने राज्य बजट 2021-22 में घोषित इस योजना के दिशा-निर्देशों का अनुमोदन कर दिया है. योजना के तहत 0-18 वर्ष आयु वर्ग के ऐसे बालक-बालिकाएं, जिन्हें लंबे समय तक परिवार आधारित देखरेख की आवश्यकता है वे लाभांवित होंगे. समेकित बाल संरक्षण सेवाएं (आईसीपीएस) योजना के अंतर्गत गठित जिला बाल संरक्षण इकाई संबंधित क्षेत्र में स्वयंसेवी संस्थानों को सेवा प्रदाता के रूप में चिन्हित एवं चयनित कर जिला बाल कल्याण समिति को अनुशंसा भेजेगी. इसके आधार पर संस्थान को बच्चों की देखरेख के लिए मान्यता दी जाएगी.
प्रस्तावित योजना में जिला बाल कल्याण समिति की ओर से बच्चों की देखरेख के लिए स्वयं सेवी संस्थान अथवा सेवा प्रदाता को शुरूआत में तीन वर्ष के लिए मान्यता देने का प्रावधान है. यह अवधि संस्थान की कार्यशैली और योजना के लिए अनुकूलता के आधार पर आगामी तीन वर्षाें तक बढ़ाई जा सकेगी. इस विषय में बाल कल्याण समिति का निर्णय अंतिम होगा. पोष्य बच्चों को किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) आदर्श अधिनियम 2016 सहित अन्य संबंधित कानूनों के तहत सुविधाएं देय होंगी.
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योजना के प्रस्ताव के अनुसार एक ग्रुप फोस्टर केयर में अधिकतम 8 बच्चे रखे जा सकेंगे. संचालक संस्थान को बच्चों के पालन-पोषण हेतु बाल संरक्षण इकाई की ओर से वित्तीय सहायता दी जाएगी. पोषण, वस्त्र, शिक्षण-प्रशिक्षण और दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रति बालक अथवा बालिका 4 हजार रुपए और दो देखभाल कर्ताओं को मानदेय या पारिश्रमिक के रूप में प्रति देखभाल कर्ता 20 हजार रुपए प्रतिमाह देय होंगे. साथ ही विविध व्यय हेतु 10 हजार रुपए प्रतिमाह वित्तीय सहायता दी जाएगी.
मुख्यमंत्री के इस संवेदनशील निर्णय से प्रदेश में संरक्षण एवं पुनर्वास की आवश्यकता वाले बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए अच्छी देखभाल और शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त होगा. उल्लेखनीय है कि राज्य स्तर पर राजस्थान राज्य बाल संरक्षण समिति और जिला स्तर पर जिला बाल संरक्षण इकाई इस योजना के बेहतर क्रियान्वयन, पर्यवेक्षण, पोषक माता-पिता एवं पोष्य बच्चों को आवश्यक सहयोग सेवा प्रदाता स्वयं सेवी संस्था और बच्चों की बीच सामन्जस्य, समस्याओं के समाधान तथा योजना के लिए आवश्यक प्रशिक्षण एवं आमुखीकरण के लिए सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा. राज्य सरकार इस योजना पर आईसीपीएस योजना में राज्य की 40 फीसदी हिस्सेदारी के अतिरिक्त प्रतिवर्ष 1.17 करोड़ रुपए व्यय करेगी.