जयपुर. गहलोत सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के संरक्षण के प्रति संवेदनशील निर्णय लेते हुए इस समुदाय के समावेशी विकास के लिए एक कार्ययोजना तैयार की है. इनके तहत ट्रांसजेंडर उत्थान कोष के लिए सीएम गहलोत ने 8.98 करोड़ रूपए स्वीकृत दी है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से प्रस्तावित इस कार्ययोजना के प्रारूप का अनुमोदन कर दिया है. उन्होंने कार्ययोजना के क्रियान्वयन के लिए लगभग 8.98 करोड़ रूपये के अतिरिक्त बजट प्रावधान को भी स्वीकृति दी है. गहलोत ने राज्य बजट वर्ष 2021-22 में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए 10 करोड़ रूपए की राशि से उत्थान कोष बनाने की घोषणा की थी. इस क्रम में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रस्ताव पर राज्य के पुलिस महानिदेशक कार्यालय में ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ (सेल) गठित किया जाना प्रस्तावित है. मुख्यमंत्री ने इसके प्रस्ताव का पूर्व में ही अनुमोदन कर दिया है.
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प्रस्ताव के अनुसार ट्रांसजेंडरों के अधिकारों की सुरक्षा अधिनियम-2019 के तहत गठित इस सेल का मुख्य कार्य ट्रांसजेंडर (ऊभयलिंगी) व्यक्तियों के अधिकारों का संरक्षण और उनको सुरक्षा प्रदान करने के अलावा राज्य स्तरीय ट्रांसजेंडर न्याय बोर्ड और जिला ट्रांसजेंडर न्याय समितियों के बीच समन्वय करना होगा. यह प्रकोष्ठ ट्रांसजेंडर के विरूद्ध अपराधों की रोकथाम, निगरानी और इससे जुड़े मामलों को समय पर पंजीकृत कर जांच और अभियोजन सुनिश्चित करने का काम करेगा. ट्रांसजेंडर उत्थान कोष के गठन का गहलोत का निर्णय इस समुदाय के सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा.
प्रदेश में ट्रांसजेंडर सुरक्षा के लिए हो चुका प्रकोष्ठ गठित
बता दें कि पिछले दिनों राज्य सरकार ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रदेश में ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ (सेल) के गठन का किया था. जिसमें पुलिस महानिदेशक कार्यालय में यह ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ गठित किया जाएगा. प्रकोष्ठ में एक पुलिस निरीक्षक, एक पुलिस उपनिरीक्षक, दो कांस्टेबल के अतिरिक्त संविदा आधार पर एक कांउसलर, मनोविज्ञानी परामर्शदाता और एक डाटा एंट्री ऑपरेटर सहित कुल 6 व्यक्ति नियोजित किए जाएंगे. इस सेल में गैर-शासकीय सदस्य के रूप में ट्रांसजेंडर समुदाय के एक प्रतिनिधि को आवश्यकता होने पर बैठक के लिए अवैतनिक सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जा सकेगा. नवसृजित पद आदेश जारी होने की तिथि से फरवरी, 2022 तक के लिए अस्थाई रूप से प्रभावी रहेंगे.
ट्रांसजेंडरों के अधिकारों की सुरक्षा अधिनियम-2019 के तहत गठित इस सेल का मुख्य कार्य ट्रांसजेंडर (ऊभयलिंगी) व्यक्तियों के अधिकारों का संरक्षण और उनको सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ राज्य स्तरीय ट्रांसजेंडर न्याय बोर्ड और जिला ट्रांसजेंडर न्याय समितियों के बीच समन्वय करना होगा. यह प्रकोष्ठ ट्रांसजेंडर के विरूद्ध अपराधों की रोकथाम, निगरानी तथा इससे जुड़े मामलों को समय पर पंजीकृत कर जांच और अभियोजन सुनिश्चित करने का काम करेगा.