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गहलोत ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर राजस्थान में अपराधों की रोकथाम के लिए विकसित प्रणाली का किया जिक्र

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में आम आदमी को त्वरित न्याय दिलाने एवं अपराधों की रोकथाम के लिए अपनाए गए पुलिस नवाचारों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा और अपराधों की रोकथाम के लिए विकसित की गई प्रभावी और संवेदनशील प्रणाली का लाभ अन्य राज्यों को मिलने की भी बात कही.

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गहलोत ने पीएम मोदी को पत्र लिखा
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Published : Nov 12, 2020, 11:05 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में आम आदमी को त्वरित न्याय दिलाने एवं अपराधों की रोकथाम के लिए अपनाए गए पुलिस नवाचारों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया है कि अपराधों की रोकथाम के लिए विकसित की गई इस प्रभावी एवं संवेदनशील प्रणाली का लाभ अन्य राज्य भी ले सकते हैं.

गहलोत ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में प्रदेश के पुलिस थानों में अपराधों के निर्बाध पंजीकरण के लिए लागू अनिवार्य एफआईआर रजिस्ट्रेशन का जिक्र करते हुए कहा है कि पूरे देश में यह व्यवस्था सुनिश्चित कर बेहतर कानून व्यवस्था कायम की जा सकती है.

पढ़ें: बड़ी खबर: जयपुर एयरपोर्ट की नालियों में मिला 15 करोड़ से अधिक का सोना

गहलोत ने कहा है कि राज्य में अपराध पंजीकरण की प्रक्रिया सुगम बनाने के बाद हमारा अनुभव यह रहा है कि इससे अपराधों के आंकड़ों में बढ़ोतरी होना स्वाभाविक है. इस तथ्य को हाल ही एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित 'क्राइम इन इंडिया-2019' रिपोर्ट में भी मान्यता मिली है. इसमें राजस्थान में पंजीकृत अपराधों का आंकड़ा बढ़ने का उल्लेख है. कतिपय संस्थाओं एवं मीडिया समूहों ने राज्य की प्रथम सूचना रिपोर्ट के पंजीकरण में बढ़ोतरी को अपराध बढ़ना बताया है.

जबकि इस रिपोर्ट के आरंभ में चेतावनी में स्पष्ट लिखा है कि अपराध समाज में विद्यमान विभिन्न परिस्थितियों का परिणाम है. विभिन्न राज्यों में प्रचलित नीतियों एवं प्रक्रियाओं के कारण राज्यों के बीच केवल इन आंकड़ों के आधार पर तुलना करने से बचना चाहिए. अपराध में वृद्धि और अपराध पंजीकरण में वृद्धि में अंतर है और कुछ लोग दोनों को एक मानने की गलती कर लेते हैं.

पढ़ें: जयपुर ACB की बड़ी कार्रवाई, 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते PHED का एक्सईएन ट्रैप

राज्यों को आंकड़ों के मायाजाल से बाहर निकलना चाहिए

मुख्यमंत्री ने कहा कि एनसीआरबी के अनुसार आंकड़ों में वृद्धि राज्य में जन-केंद्रीत योजनाओं एवं नीतियों के फलस्वरूप हो सकती है. देश के सभी राज्यों को आंकड़ों के मायाजाल से बाहर निकलना चाहिए और राजनीतिक लाभ के लिए अपराध दर्ज होने को मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए. अपराध के पंजीकरण को पुलिस की सफलता और विफलता का पैमाना बनाने से अपराध दर्ज नहीं करने की प्रवृति को बल मिलता है. इससे पुलिस की कार्यशैली में अनेक प्रकार के विकार भी पैदा हो जाते हैं. यह समय पंजीकरण का विरोध करने का नहीं, बल्कि हर व्यक्ति को न्याय दिलाने की इस नीति का पुरजोर समर्थन करने का है. अन्यथा भविष्य में देश के किसी भी राज्य की सरकार आम आदमी को राहत देने वाले ऐसे कदम उठाने से कतराएगी.

कोताही बरतने वाले थानाधिकारी के खिलाफ की कार्रवाई

मुख्यमंत्री ने पत्र में बताया है कि अपराध पंजीकरण में जटिलता को दूर करने के लिए मई, 2019 में राजस्थान में अपराधों के निर्बाध पंजीकरण की व्यवस्था लागू की है. इसके तहत थाने में प्रकरण दर्ज नहीं करने की स्थिति में आम आदमी पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर एफआईआर दर्ज करवा सकता है. हमने पुलिस थानों में प्रकरण पंजीबद्ध नहीं करने के प्रत्येक मामले की जांच तथा कर्तव्य में कोताही बरतने वाले थानाधिकारी के विरूद्ध अनुशासत्मक कार्यवाही की व्यवस्था भी सुनिश्चित की है.

पढ़ें: जोधपुर में एक और हनी ट्रैप...शराब पिलाकर लिए आपत्तिजनक फोटो, फिर मांगे 20 लाख रुपये

साथ ही नियमित रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पुलिस अधिकारियों को जागरूक करने एवं डिकॉय ऑपरेशन्स से भी इसकी अनुपालना सुनिश्चित की जा रही है. गहलोत ने कहा है कि इस व्यवस्था से पुलिस थानों में अपराध पंजीकरण सुगम हुआ है. साथ ही जघन्य अपराधों पर संवेदनशीलता के साथ उच्च स्तरीय मॉनिटंरिग की व्यवस्था भी की गई है. राज्य सरकार जघन्य अपराधों के पंजीकरण, उनके अनुसंधान एवं अभियोजन इत्यादि सभी चरणों पर प्रभावी पर्यवेक्षण कर रही है.

अपराधों को कम करन के लिए कई नवाचार किए

पत्र में आगे लिखा कि पारदर्शी और उत्तरदायी पुलिस प्रशासन के लिए थानों में स्वागत कक्ष, महिला डेस्क, राजकॉप सिटीजन एप, स्पेशल इन्वेस्टीगेशन यूनिट फॉर क्राइम अगेन्स्ट वुमन, मामलों की प्रभावी सुनवाई, बालिकाओं और महिलाओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण, कमाण्ड एवं कन्ट्रोल सेन्टर, साइबर ट्रेनिंग लैब और जघन्य अपराध निगरानी इकाई गठित करने जैसे महत्वपूर्ण नवाचार भी किए हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोविड-19 के इस दौर में पुलिस ने उत्कृष्ट कार्य किया है और उसकी सिटीजन फ्रेण्डली छवि बनी है. राजस्थान में अपनाए जा रहे नवाचार पुलिस की कार्यशैली और छवि को आगे भी सिटीजन फ्रेण्डली बनाए रखने में कारगर साबित होंगे.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में आम आदमी को त्वरित न्याय दिलाने एवं अपराधों की रोकथाम के लिए अपनाए गए पुलिस नवाचारों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया है कि अपराधों की रोकथाम के लिए विकसित की गई इस प्रभावी एवं संवेदनशील प्रणाली का लाभ अन्य राज्य भी ले सकते हैं.

गहलोत ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में प्रदेश के पुलिस थानों में अपराधों के निर्बाध पंजीकरण के लिए लागू अनिवार्य एफआईआर रजिस्ट्रेशन का जिक्र करते हुए कहा है कि पूरे देश में यह व्यवस्था सुनिश्चित कर बेहतर कानून व्यवस्था कायम की जा सकती है.

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गहलोत ने कहा है कि राज्य में अपराध पंजीकरण की प्रक्रिया सुगम बनाने के बाद हमारा अनुभव यह रहा है कि इससे अपराधों के आंकड़ों में बढ़ोतरी होना स्वाभाविक है. इस तथ्य को हाल ही एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित 'क्राइम इन इंडिया-2019' रिपोर्ट में भी मान्यता मिली है. इसमें राजस्थान में पंजीकृत अपराधों का आंकड़ा बढ़ने का उल्लेख है. कतिपय संस्थाओं एवं मीडिया समूहों ने राज्य की प्रथम सूचना रिपोर्ट के पंजीकरण में बढ़ोतरी को अपराध बढ़ना बताया है.

जबकि इस रिपोर्ट के आरंभ में चेतावनी में स्पष्ट लिखा है कि अपराध समाज में विद्यमान विभिन्न परिस्थितियों का परिणाम है. विभिन्न राज्यों में प्रचलित नीतियों एवं प्रक्रियाओं के कारण राज्यों के बीच केवल इन आंकड़ों के आधार पर तुलना करने से बचना चाहिए. अपराध में वृद्धि और अपराध पंजीकरण में वृद्धि में अंतर है और कुछ लोग दोनों को एक मानने की गलती कर लेते हैं.

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राज्यों को आंकड़ों के मायाजाल से बाहर निकलना चाहिए

मुख्यमंत्री ने कहा कि एनसीआरबी के अनुसार आंकड़ों में वृद्धि राज्य में जन-केंद्रीत योजनाओं एवं नीतियों के फलस्वरूप हो सकती है. देश के सभी राज्यों को आंकड़ों के मायाजाल से बाहर निकलना चाहिए और राजनीतिक लाभ के लिए अपराध दर्ज होने को मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए. अपराध के पंजीकरण को पुलिस की सफलता और विफलता का पैमाना बनाने से अपराध दर्ज नहीं करने की प्रवृति को बल मिलता है. इससे पुलिस की कार्यशैली में अनेक प्रकार के विकार भी पैदा हो जाते हैं. यह समय पंजीकरण का विरोध करने का नहीं, बल्कि हर व्यक्ति को न्याय दिलाने की इस नीति का पुरजोर समर्थन करने का है. अन्यथा भविष्य में देश के किसी भी राज्य की सरकार आम आदमी को राहत देने वाले ऐसे कदम उठाने से कतराएगी.

कोताही बरतने वाले थानाधिकारी के खिलाफ की कार्रवाई

मुख्यमंत्री ने पत्र में बताया है कि अपराध पंजीकरण में जटिलता को दूर करने के लिए मई, 2019 में राजस्थान में अपराधों के निर्बाध पंजीकरण की व्यवस्था लागू की है. इसके तहत थाने में प्रकरण दर्ज नहीं करने की स्थिति में आम आदमी पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर एफआईआर दर्ज करवा सकता है. हमने पुलिस थानों में प्रकरण पंजीबद्ध नहीं करने के प्रत्येक मामले की जांच तथा कर्तव्य में कोताही बरतने वाले थानाधिकारी के विरूद्ध अनुशासत्मक कार्यवाही की व्यवस्था भी सुनिश्चित की है.

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साथ ही नियमित रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पुलिस अधिकारियों को जागरूक करने एवं डिकॉय ऑपरेशन्स से भी इसकी अनुपालना सुनिश्चित की जा रही है. गहलोत ने कहा है कि इस व्यवस्था से पुलिस थानों में अपराध पंजीकरण सुगम हुआ है. साथ ही जघन्य अपराधों पर संवेदनशीलता के साथ उच्च स्तरीय मॉनिटंरिग की व्यवस्था भी की गई है. राज्य सरकार जघन्य अपराधों के पंजीकरण, उनके अनुसंधान एवं अभियोजन इत्यादि सभी चरणों पर प्रभावी पर्यवेक्षण कर रही है.

अपराधों को कम करन के लिए कई नवाचार किए

पत्र में आगे लिखा कि पारदर्शी और उत्तरदायी पुलिस प्रशासन के लिए थानों में स्वागत कक्ष, महिला डेस्क, राजकॉप सिटीजन एप, स्पेशल इन्वेस्टीगेशन यूनिट फॉर क्राइम अगेन्स्ट वुमन, मामलों की प्रभावी सुनवाई, बालिकाओं और महिलाओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण, कमाण्ड एवं कन्ट्रोल सेन्टर, साइबर ट्रेनिंग लैब और जघन्य अपराध निगरानी इकाई गठित करने जैसे महत्वपूर्ण नवाचार भी किए हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोविड-19 के इस दौर में पुलिस ने उत्कृष्ट कार्य किया है और उसकी सिटीजन फ्रेण्डली छवि बनी है. राजस्थान में अपनाए जा रहे नवाचार पुलिस की कार्यशैली और छवि को आगे भी सिटीजन फ्रेण्डली बनाए रखने में कारगर साबित होंगे.

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